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Devbhog: अब एनआईटी बताएगी सुपेबेडा सामूहिक जल प्रदाय योजना में पानी देने तेल नदी कितना सक्षम*

*अब एनआईटी बताएगी सुपेबेडा सामूहिक जल प्रदाय योजना में पानी देने तेल नदी कितना सक्षम*


 *इंटेक वेल व प्लांट के लोकेशन की भी पड़ताल किया।ईई बोले योजना अति   महत्वपूर्ण इसलिए हर पहलू को परखना जरूरी है



    देवभोग ---आज पीएचई विभाग के ई ई पंकज जैन एन आई टी रायपुर की टीम को लेकर तेल नदी के उस लोकेशन पर पहुचे थे जहा सुपेबेडा जल प्रदाय योजना के तहत इंटेक व्हेल बनाया जाना है।टीम को लीड कर रहे एनआईटी के प्रोफेसर डॉक्टर मणिकांत वर्मा व डॉक्टर इस्तियाक अहमद ने तेलनदी का 3 घंटे तक मुआयना किया।सिंचाई विभाग के अफसरों से नदी के स्वभाव,सतही जल ,बरसात के अलावा अन्य सीजन में नदी में बहाव की विस्तृत जानकारी लिया,नदी पर बने योजना व उनकी सफलता पर भी कई सवाल जवाब किए।उस स्थान को भी देखा जहा योजना का इंटेक व्हेल बनना है।गांव में जा कर टीम ने ग्रामीणों से भी नदी से जुड़ी कई जानकारियां जुटाई।बहाव के नेचर व पानी की उपयोगिता को लेकर हर उस सवाल का जवाब जाना जो आगे पर्याप्त पेय जल उपलब्धता को लेकर जरूरी है। सुपेबेड़ा में  निर्माणाधीन वाटर फिल्टर प्लांट स्थल पर भी जा कर आवश्यक डेटा लिया। पीएचई विभाग के ईई पंकज जैन ने कहा कि अभी टीम प्रारंभिक जानकारी जुटाई है।जीवन से जुड़ी इस योजना को लागू करने से पहले इसे सफल बनाने हर मुमकिन प्रयास की यह एक कड़ी है ।योजना लंबे समय के लिए चलती रहे,इसलिए स्थल की सारी परिस्थिति योजना के अनुकूल हो,इसलिए एन आई टी की मदद ली गई है।टीम ने अभी तक जो भी देखा उसे उपयुक्त बताया है।जल की उपलब्धता बारहों मास बनी रहेगी इस पर भी वे अपनी शोध के बाद रिपोर्ट जल्द दे देंगे।


*ज्यादातर सिंचाई योजना फेल,इसलिए पड़ताल की जरूरत पड़ी*_



8 करोड़ 45 लाख लागत से बन रही योजना में सुपेबेडा सामूहिक जल प्रदाय योजना समेत 9 गांव के 2074 घरों तक रोजाना पीने का साफ पानी पहूचाना है। 10 लाख लीटर पानी फिल्टर करने की क्षमता वाली प्लांट को दुगुना मात्रा में पानी की सप्लाई 12 माह करना है।इस नदी पर बनी ज्यादातर सिंचाई योजनाएं फेल है,जल प्रदाय योजना के लिए बहाव को रोकने के लिए बनाए गए सिंचाई विभाग के एनिकट वाल का ऊपरी हिस्सा योजना शुरू होने से पहले टूट गया है।

ऐसे में पीएचई विभाग अपनी योजना की सफलता से पहले कोई रिस्क नहीं लेना चाह रही है।हालाकि विभाग के अफसर इस विषय पर खुल कर नही बोले ,लेकिन लागू करने से पहले नदी की पड़ताल बात पीएचई अफसर भविष्य के लिए कोई चांस नही लेना चाहते।



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