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Durgkondal: आयुर्वेद औषधालय कोदापाखा में ऑक्सीजन ज़ोन क्षेत्र का निर्माण एक नई पहल*

*आयुर्वेद औषधालय कोदापाखा में ऑक्सीजन ज़ोन क्षेत्र का निर्माण एक नई पहल*





दुर्गुकोंदल:प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौधे भोजन बनाने के लिए सूर्य से ऊर्जा का उपयोग करते हैं। वे चीनी और ऑक्सीजन बनाने के लिए हवा से कार्बन डाइऑक्साइड और मिट्टी से पानी का उपयोग करते हैं। अधिकांश पौधे केवल दिन के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं , जब सूर्य प्रकाश संश्लेषण को शक्ति प्रदान कर सकता है। इस सामान्य नियम के अपवाद पौधे हैं।ऑक्सीजन पृथ्वी पर जीवन का एक केंद्रीय तत्व है क्योंकि यह एरोबिक श्वसन में मदद करता है जो चीनी (ग्लूकोज) या C6H12O6 को CO2 और H2O में परिवर्तित करता है जिससे कोशिकाओं को संचालित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा मिलती है।इसी प्रकार कृषि, वन तथा मत्स्यिकी उत्पाद, स्थायी प्राकृतिक जलीय चक्र, उपजाऊ मृदा, संतुलित जलवायु तथा अनेक अन्य विस्तृत पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता के संरक्षण पर निर्भर करते हैं। खाद्य पदार्थों का उत्पादन जैव विविधता के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पौधों, परागण की प्रक्रिया, कीट नाशक, पौषक तत्वों, तथा बीमारियों से सुरक्षा एवं बचाव पर निर्भर करता है। औषधीय पौधों तथा उत्पादित औषधियाँ दोनों ही जैव-विविधता पर निर्भर करती हैं।एक समृद्ध जैव विविधता के साथ भारत प्रकृति से संपन्न वह देश है जहां पौधों की 40,000 से अधिक प्रजातियां और जानवरों की 75000 प्रजातियों पायी जाती हैं। करीब 3,000 प्रजातियों के पादपों के बीच वैश्विक वनस्पति की 12% संपत्ति भारत के पास है। भारत में लगभग 15,000 फूल पौधों की प्रजातियां पायी जाती हैं। भारत में 3000 से अधिक औषधीय पौधे हैं। दुनिया में कुछ ऐसे पेड़-पाैधे हैं जिससे 24 घंटे ऑक्सीजन मिलती है। इनमें आरिका बाम,एलोवेरी, तुलसी,वाइल्ड जरबेरा, स्नेक प्लांट,आरकिड, क्रिसमस केक्टस,पीपल और नीम,बैम्बू प्लांट,स्पाइडर प्लांट आदि शामिल हैं। ये पौधे हर वक्त ऑक्सीजन देते हैं।अगर हम पीपल और नीम के पौधों को घर के बाहर आसपास के इलाके में लगाएं और अन्य पौधों को घर में ही गमले में रोपें तो घर को ऑक्सीजोन बनाया जा सकता है।कुछ ऐसा ही कार्य कोदापाखा के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. के. व्ही. गोपाल अपने आयुर्वेद औषधालय में करने जा रहे है,वे कहते है कि समय के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ने से हवा दिन ब दिन खराब हो रही है। सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत हमें करनी होगी। क्योंकि बाहर जहरीली हो चुकी हवा को हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं लेकिन घर व गांव में भरपूर ऑक्सीजन देने वाले कुछ पौधे जरूर लगा सकते हैं। इससे  प्रदूषण और जहरीले पदार्थों से बचाव में मदद मिलेगा।योगाचार्य संजय वस्त्रकार ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि आधुनिक जीवन की भागदौड़ में नींद की गुणवत्ता अक्सर पीछे छूट जाती है। हम आरामदायक गद्दे,पर्दे और शोर वाली मशीनों में गुणवत्ता को निवेश करते हैं, लेकिन हम एक महत्वपूर्ण तत्व हमारे मन मस्तिष्क से विस्मृत होते जा रहा है वह जो न केवल हमारी नींद बल्कि हमारे समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। सोते समय हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसके बारे में आपने सोचा?मानो या न मानो, ऐसे पौधे भी हैं जो रात में ऑक्सीजन पैदा करते हैं। ये प्राकृतिक वायु शोधक न केवल हमारी नींद को बेहतर बनाते हैं बल्कि हमारे रहने की जगह में हरियाली का स्पर्श भी लाते हैं।

ऑक्सीजन ज़ोन क्षेत्र निर्माण में डॉ एस एस ध्रुव जिला आयुर्वेद अधिकारी,राकेश पांडेय कंपनी कमांडर बीसएफ 178वी बटालियन कोदापाखा,स्थानीय निवासियों,योगाचार्य संजय वस्त्रकार,आयुष्मान आरोग्य मंदिर के शिक्षक शिवप्रसाद बघेल,सविता कोमरे,सीमा कावड़े,जगदीश मरकाम आदि का भरपूर सहयोग रहा है।

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