Ticker

6/recent/ticker-posts

MAINPUR: ग्राम बजाडी में महालक्ष्मी पूजा उत्सव की छबीसवां वर्ष दूंदुर्भी घंट वाद्य के साथ धूमधाम से हुई कलश यात्रा l

 ग्राम बजाडी में महालक्ष्मी पूजा उत्सव की छबीसवां वर्ष दूंदुर्भी घंट वाद्य के साथ धूमधाम से हुई कलश यात्रा l



सार्वजनिक श्री श्री महालक्ष्मी पूजा उत्सव समिति बजाडी के द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 26 वां वर्ष को महालक्ष्मी पूजा उत्सव की कलश स्थापना कलश यात्रा एवं मूर्ति स्थापना दुंदर बी घंटा बाद के साथ जल कलश यात्रा संध्या 4:00 बजे किया गया एवं 5 बजे मां लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापना की गई आज की इस कलश यात्रा में नव कन्या के द्वारा नौ कलश  एवं साथ ही गांव के माताओं एवं बहनों ने कलश लेकर शामिल हुई कलश यात्रा दुंदरभी घंट वाद्य के साथ जल कलश यात्रा किया गया l रात्रि में मनोरंजन हेतु नाटक का आयोजन किया गया एवं दिनांक 07/12/2022 व 08/12/2022 को रात्रि कालीन मनोरंजन हेतु कार्यक्रम भी रखी गई है और दिनांक 09/12/2022 को माता लक्ष्मी जी की मूर्ति विसर्जन किया जायेगा l


जानिए किसी भी कार्यक्रम के पहले क्यों कलश यात्रा या कलश स्थापना की जाती है ?


कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। वहीं कलश को धारण करने वाले जहां से भी ग्राम का भ्रमण करता है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है। जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं। कलश विश्व ब्रह्मांड का, विराट ब्रह्म का, भू-पिंड (ग्लोब) का प्रतीक है। इसे शांति और सृजन का संदेशवाहक कहा जाता है। संपूर्ण देवता कलशरूपी पिंड या ब्रह्मांड में व्यष्टि या समष्टि में एकसाथ समाए हुए हैं। वे एक हैं तथा एक ही शक्ति से सुसं‍बंधित हैं। बहुदेववाद वस्तुत: एक देववाद का ही एक रूप है। एक माध्यम में, एक ही केंद्र में समस्त देवताओं को देखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है। कलश को सभी देव शक्तियों, तीर्थों आदि का संयुक्त प्रतीक मानकर उसे स्थापित एवं पूजित किया जाता है। वेदोक्त मंत्र के अनुसार कलश के मुख में विष्णु का निवास है, उसके कंठ में रुद्र तथा मूूल में ब्रह्मा स्थित हैं। कलश के मध्य में सभी मातृशक्तियां निवास करती हैं। कलश में समस्त सागर, सप्तद्वीपों सहित पृथ्वी, गायत्री, सावित्री, शांतिकारक तत्व, चारों वेद, सभी देव, आदित्य देव, विश्वदेव, सभी पितृदेव एकसाथ निवास करते हैं। कलश की पूजा मात्र से एकसाथ सभी प्रसन्न होकर यज्ञ कर्म को सुचारुरूपेण संचालित करने की शक्ति प्रदान करते हैं और निर्विघ्नतया यज्ञ कर्म को समाप्त करवाकर प्रसन्नतापूर्वक आशीर्वाद देते हैं l कलश में पवित्र जल भरा रहता है। इसका मूल भाव यह है कि हमारा मन भी जल की तरह शीतल, स्वच्‍छ एवं निर्मल बना रहे। हमारे शरीररूपी पात्र हमेशा श्रद्धा, संवेदना, तरलता एवं सरलता से लबालब भरे रहें। इसमें क्रोध, मोह, ईर्ष्या, घृणा आदि की कुत्सित भावनाएं पनपने न पाएं। अगर पनपें भी तो जल की शीतलता से शांत होकर घुलकर निकल जाएं। कलश के ऊपर आम्रपत्र होता है जिसके ऊपर मिट्टी के पात्र में केसर से रंगा हुआ अक्षत (चावल) रहता है जिसका भाव यह होता है कि परमात्मा यहां अवतरित होकर हम अक्षत अथवा अविनाशी आत्माओं एवं पंचतत्व की प्रकृति को शुद्ध करें। दिव्यज्ञान को धारण करने वाली आत्मा आम्रपत्र (पल्लव) के समान हमेशा हरियाली (सुखमय) युक्त रहे। कलश में डाला जाने वाला दूर्वा-कुश, सुपारी, पुष्प इस भावना को दर्शाती है कि हमारी पात्रता में दूर्वा (दूब) के समान जीवनी-शक्ति, कुश जैसी प्रखरता, सुपारी के समान गुणयुक्त स्थिरता, फूल जैसा उल्लास एवं द्रव्य के समान सर्वग्राही गुण समाहित हो जाए।


और इसी मधुर बेला में माताओं बहनों ने कलश लेकर पूरे गांव का भ्रमण किया इस लक्ष्मी पूजा के आचार्य रहे श्री वृन्दावन शर्मा देवभोग वाले , मुख्य कर्ता के रूप में श्री कृष्णानंद ठेला व श्रीमती सभ्या बाई ठेला, संरक्षक श्री वरुण सोरी (सरपंच), अध्यक्ष अरुण साहू, उपाध्यक्ष सुरेश नायक, कौषाध्यक्ष भंवर लाल, सह कोषाध्यक्ष भजन राम सोना, सचिव नीलांबर एवं डोमार यादव, सह सचिव खगेश कुमार नागेश, संयोजक शोभाराम केतकी ,सहसंयोजक विकास यादव ,संपादक जितेंद्र यादव, ग्राम पटेल गंभीर राम ठेला, ग्राम पुझारी पवन नेताम , संगठनकर्ता रोहित सोरी, सलाहकार शोभाराम बेमाल, उद्घोषक निरंजन यादव ,सहयोगी आचार्य रामरतन सोरी, पालेश्वर साहू ,रामेश्वर यादव ,भंडार गृह की व्यवस्था हेतु दुर्जन ठेला, रायधर ठेला, चंचल साहू, खगेश्वर नियाल, टंकधर नागेश, मुकुंद घिभेला, पितांबर ठेला, नूर्तन  बाग , अंतोराम साहू, शांति व्यवस्था मानसिंह कोटवार एवं राजीव मितानी युवा क्लब के समस्त पदाधिकारी एवं आयोजक सार्वजनिक श्री श्री महालक्ष्मी पूजा उत्सव समिति एवं समस्त ग्रामवासी बाजाडी l

Post a Comment

0 Comments

Balod:  सेवानिवृत्त व्यायाम शिक्षक का सस्मामान विदाई।
Balod:  बालोद पुलिस ने 02 दिवस में जुआ खेलते 15 आरोपियों को किया गिरफ्तार।
Bilaspur:  फोटोबाजी के लिए पार्षद का खिलवाड़, मगरमच्छ के पीठ पर बैठ थाम ली लगाम  बिलासपुर रतनपुर सोशल मीडिया पर धाक जमाने और हवाबाजी करने के लिए रतनपुर का एक पार्षद ने एक विशालकाय मगरमच्छ के पीठ पर बैठ फोटो खिचवाने के लिए उस  मगरमच्छ पर बंधे रस्सी को घोड़े की लगाम की तरह थाम ली। उनकी देखा सीखी अब नगर के कई युवा और बच्चे भी इस तरह की हरकत कर अपनी जान जोखिम में डाल सकते हैं। ये महाशय है रतनपुर नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद हकीम मोहम्मद, एक जन प्रतिनिधि होने के कारण उन्हे इस तरह की खतरनाक फोटो बाजी को रोकना चाहिए और लोगो को जागरूक करना चाहिए जबकि वो खुद इस तरह की स्टंटबाजी को बढ़ावा दे रहे  दरसल रतनपुर के वार्ड क्रमांक 5 रानीपारा में स्थित बिकमा तालाब जिससे लगा हुआ खेत में  था मगरमच्छ मोहल्ले के कुछ लोग सुबह उठ कर निकले खेत की ओर जहां खेत में घूमता हुआ दिखा  मगरमच्छ जिसे देख होश उड़ गय चीख पुकार सुन कर पूरे मोहल्ले हो गय एकत्रित सभी ने हिम्मत जुटा कर किसी भी तरह बांध कर वन विभाग को दी सूचना सूचना मिलते ही वन विभाग अधिकारी पहुंचे टीम के साथ पहुंचकर खुटा घाट में छोड़ा गयापर वहा देखी गई लापरवाही रतनपुर नगर पालिका के जनप्रतिनिधि वार्ड क्रमांक 12 के भाजपा पार्षद हकीम मोहम्मद के द्वारा ऐसे खिलवाड़ किया जा रहा है ।जिसकी वीडियो फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है क्या एक जनप्रतिनिधि होते हुए ऐसी हरकत कीया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है। अब देखना है कि सरकार द्वारा इस लापरवाही के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे