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Durgkondal: *निरीक्षक निर्मल जांगड़े सहित 14 जवानों को वीरता पदक से नवाजा जाएगा।* दुर्गूकोंदल /कांकेर । छत्तीसगढ़ में निरीक्षक निर्मल जांगड़े समेत 14 जवानों को वीरता पदक से नवाजा जाएगा। साल 2022 में बीजापुर जिले में हुए एक एनकाउंटर में इन्होंने 4 नक्सलियों को घेरकर मारा था, जिसमें 2 पुरुष और 2 महिला माओवादी शामिल थीं। चारों पर लाखों रुपए का इनाम घोषित था। इस ऑपरेशन को निर्मल जांगड़े ने ही लीड किया था, वर्तमान में ज़िला कांकेर में पदस्थ हैं।वीरता पदक की घोषणा होने के बाद निर्मल से बातचीत की। उन्होंने बताया कि हिड़मा जैसे खूंखार नक्सली कमांडर का एंबुश तोड़ा है। 8 एनकाउंटर में शामिल हुए हैं, जिसमें 11 नक्सलियों को मार गिराया। निर्मल जांगड़े ने बताया कि उन्हें नक्सलियों को मार कर शांति स्थापित करना चाह रहे है। पढ़िए निर्मल की जुबानी... साल 2022 में मैं बीजापुर जिले में DRG नंबर 1 में पदस्थ था। इस टीम में अच्छे फाइटर्स हैं। पूरी टीम को मैं लीड कर रहा था। वहीं दिनांक 25 -11- 2022 को हमें मुखबिर से सूचना मिली थी कि मिरतुर थाना के जंगलों में मोहन, सावित्री समेत करीब 50 से 60 की संख्या में नक्सली उपस्थित हैं। इसी सूचना के बाद मैं अपनी टीम के साथ रात करीब 10 से 11 बजे के बीच ऑपरेशन पर निकला था। गांव के नजदीक नहीं जा सकते थे, क्योंकि नक्सलियों के मुखबिर की ड्यूटी लगी रहती थी। हमारे आने की खबर मिलती तो वे अपने साथियों को इसकी जानकारी दे देते। रातभर हम चलते रहे। पहाड़ चढ़ते वक्त गिरे और उठेजब सामने खड़ा पहाड़ आया तो अंधेरे में उस पर भी चढ़े। कई दफा फिसल कर नीचे गिरे, लेकिन हमारा लक्ष्य सिर्फ नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचना था। किसी तरह से पहाड़ पार कर लिए। मेरी टीम ने एक तरफ से नक्सलियों को घेर लिया। एक दूसरी टीम थी जिसने दूसरी तरफ से नक्सलियों को घेरा। उस रात नक्सलियों ने अपने उस ठिकाने को छोड़ने की प्लानिंग कर ली थी। हमारी जो दूसरी टीम ने घेरा था वहां थोड़ी हलचल हो गई और नक्सलियों को इस बात की खबर मिल गई थी। इसके बाद नक्सलियों की उनके साथ मुठभेड़ हुई। हमारे साथियों ने उन्हें वहां से खदेड़ा तो नक्सली हमारी तरफ आ गए। नक्सलियों ने हमें देख फिर फायर खोल दिया। इसके बाद हमने भी जवाबी कार्रवाई में उन पर गोलियां दागी। काफी देर तक दोनों तरफ से मुठभेड़ चलती रही। नक्सली बड़ी संख्या में थे। उनके पास आधुनिक हथियार भी थे। पूरी टीम को मैं लीड कर रहा था। गोलीबारी करते हुए पोजिशन लेते हम आगे बढ़ते गए। नक्सलियों की डॉक्टर ढेर सबसे पहले एक महिला माओवादी को ढेर किया गया। वह नक्सलियों की डॉक्टर थी। इसके पास से एक US मेड वेपन मिला था। जब आगे बढ़े तो एक पुरुष माओवादी को ढेर किया। दूसरी तरफ हमारी टीम ने मुठभेड़ में एक महिला और एक पुरुष माओवादी को ढेर किया था। इस एनकाउंटर में हमने कुल 4 लाल लड़ाकों को मार गिराया था। ये नक्सलियों के भैरमगढ़ एरिया कमेटी में सक्रिय थे। इसमें और भी कुछ नक्सलियों को गोली लगी थी। जिन्हें उनके साथी अपने साथ लेकर चले गए थे। निर्मल जांगड़े ने बताया कि वे लगभग साढ़े चार साल तक DRG में काम किए। कुल 8 बड़े एनकाउंटर में शामिल थे। टेकलगुडम जिसे नक्सली कमांडर हिड़मा का गढ़ कहा जाता है वहां ऑपरेशन पर निकले थे। उनकी टीम सामने थी, कुछ और टीमों को बैकअप के लिए 500 मीटर की दूरी पर ही रखे थे।हिड़मा के इलाके में जब आगे बढ़ते गए तो इन्हें अंदाजा भी नहीं हुआ कि ये सारे एंबुश में फंस गए हैं। हिड़मा की बटालियन नंबर एक ने इन्हें चारों तरफ से घेर लिया था। इन पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। कुछ गोलियां इनके शरीर के बगल से निकलती हुई पेड़ों पर लगी थी निर्मल जांगड़े ने बताया कि किसी तरह से उन्होंने पूरी प्लानिंग की। यहां समझ आ गया था या तो मरेंगे या मारेंगे। बस इसी उद्देश्य के साथ फिर हम आगे बढ़ गए। नक्सलियों के पहले लेयर में तैनात नक्सलियों पर गोलियां दागनी शुरू की। उनका चैनल टूटा।जांगड़े ने बताया कि उनमें से कुछ नक्सलियों को गोली लगी। उनके साथी वहां से बैक फुट हुए, फिर हम इस इलाके में और आगे बढ़े। थोड़ी देर के बाद हमारी बैकअप पार्टी भी आ गई थी। हालांकि तब तक सारे नक्सली वहां से भाग निकले। बाद में पता चला था कि उनके कुछ साथियों की मौत हुई है।लंबा ऑपरेशन, पका चावल को धोकर खाएजांगड़े ने बताया कि अंदरुनी इलाके में हम ऑपरेशन पर निकलने से पहले दूरी और जगह के हिसाब से तय करते हैं कि अपने साथ किस तरह का खाना लेकर जाएं। अधिकतर चावल-अचार का पैकेट बनाकर लेकर जाते हैं। जंगल में खाना बनाकर खाने की इजाजत नहीं है। जांगड़े ने बताया कि तीन-चार दिनों तक हमने जंगल में समय बिताया था। पका चावल लेकर गए थे, उसमें से थोड़ी बदबू आने लगी थी। जिसे जंगल में ही एक नदी के पानी से धोए। फिर गमछा पर रखकर सुखाया। इसके बाद अचार के साथ खाकर हमने पेट भरा था। यहां खाना से जरूरी था नक्सलियों को घेरकर मारना। वर्तमान में जिला कांकेर में अक्टूबर 2023 में पदस्थापना होते ही यहाँ भी नक्सल विरोधी उन्मूलन अभियान में शामिल होकर कांकेर जिला को नक्सल मुक्त कराने में लग गये इस दौरान डीआरजी एवम् बस्तर फाइटर का आपरेशन कमांडर के रूप मे सराहनीय कार्य किया गया।

*निरीक्षक निर्मल जांगड़े सहित 14 जवानों को वीरता पदक से नवाजा जाएगा।* 






दुर्गूकोंदल /कांकेर । छत्तीसगढ़ में निरीक्षक निर्मल जांगड़े समेत 14 जवानों को वीरता पदक से नवाजा जाएगा। साल 2022 में बीजापुर जिले में हुए एक एनकाउंटर में इन्होंने 4 नक्सलियों को घेरकर मारा था, जिसमें 2 पुरुष और 2 महिला माओवादी शामिल थीं। चारों पर लाखों रुपए का इनाम घोषित था। इस ऑपरेशन को निर्मल जांगड़े ने ही लीड किया था, वर्तमान में ज़िला कांकेर में पदस्थ हैं।वीरता पदक की घोषणा होने के बाद निर्मल से बातचीत की। उन्होंने बताया कि हिड़मा जैसे खूंखार नक्सली कमांडर का एंबुश तोड़ा है। 8 एनकाउंटर में शामिल हुए हैं, जिसमें 11 नक्सलियों को मार गिराया। निर्मल जांगड़े ने बताया कि उन्हें नक्सलियों को मार कर शांति स्थापित करना चाह रहे है।

पढ़िए निर्मल की जुबानी...

साल 2022 में मैं बीजापुर जिले में DRG नंबर 1 में पदस्थ था। इस टीम में अच्छे फाइटर्स हैं। पूरी टीम को मैं लीड कर रहा था। वहीं दिनांक 25 -11- 2022 को हमें मुखबिर से सूचना मिली थी कि मिरतुर थाना के जंगलों में मोहन, सावित्री समेत करीब 50 से 60 की संख्या में नक्सली उपस्थित हैं। इसी सूचना के बाद मैं अपनी टीम के साथ रात करीब 10 से 11 बजे के बीच ऑपरेशन पर निकला था। गांव के नजदीक नहीं जा सकते थे, क्योंकि नक्सलियों के मुखबिर की ड्यूटी लगी रहती थी। हमारे आने की खबर मिलती तो वे अपने साथियों को इसकी जानकारी दे देते। रातभर हम चलते रहे। पहाड़ चढ़ते वक्त गिरे और उठेजब सामने खड़ा पहाड़ आया तो अंधेरे में उस पर भी चढ़े। कई दफा फिसल कर नीचे गिरे, लेकिन हमारा लक्ष्य सिर्फ नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचना था। किसी तरह से पहाड़ पार कर लिए। मेरी टीम ने एक तरफ से नक्सलियों को घेर लिया। एक दूसरी टीम थी जिसने दूसरी तरफ से नक्सलियों को घेरा। 

उस रात नक्सलियों ने अपने उस ठिकाने को छोड़ने की प्लानिंग कर ली थी। हमारी जो दूसरी टीम ने घेरा था वहां थोड़ी हलचल हो गई और नक्सलियों को इस बात की खबर मिल गई थी। इसके बाद नक्सलियों की उनके साथ मुठभेड़ हुई। हमारे साथियों ने उन्हें वहां से खदेड़ा तो नक्सली हमारी तरफ आ गए।

नक्सलियों ने हमें देख फिर फायर खोल दिया। इसके बाद हमने भी जवाबी कार्रवाई में उन पर गोलियां दागी। काफी देर तक दोनों तरफ से मुठभेड़ चलती रही। नक्सली बड़ी संख्या में थे। उनके पास आधुनिक हथियार भी थे। पूरी टीम को मैं लीड कर रहा था। गोलीबारी करते हुए पोजिशन लेते हम आगे बढ़ते गए। 

नक्सलियों की डॉक्टर ढेर

सबसे पहले एक महिला माओवादी को ढेर किया गया। वह नक्सलियों की डॉक्टर थी। इसके पास से एक US मेड वेपन मिला था। जब आगे बढ़े तो एक पुरुष माओवादी को ढेर किया। दूसरी तरफ हमारी टीम ने मुठभेड़ में एक महिला और एक पुरुष माओवादी को ढेर किया था।

इस एनकाउंटर में हमने कुल 4 लाल लड़ाकों को मार गिराया था। ये नक्सलियों के भैरमगढ़ एरिया कमेटी में सक्रिय थे। इसमें और भी कुछ नक्सलियों को गोली लगी थी। जिन्हें उनके साथी अपने साथ लेकर चले गए थे। 

निर्मल जांगड़े ने बताया कि वे लगभग साढ़े चार साल तक DRG में काम किए। कुल 8 बड़े एनकाउंटर में शामिल थे। टेकलगुडम जिसे नक्सली कमांडर हिड़मा का गढ़ कहा जाता है वहां ऑपरेशन पर निकले थे। उनकी टीम सामने थी, कुछ और टीमों को बैकअप के लिए 500 मीटर की दूरी पर ही रखे थे।हिड़मा के इलाके में जब आगे बढ़ते गए तो इन्हें अंदाजा भी नहीं हुआ कि ये सारे एंबुश में फंस गए हैं। हिड़मा की बटालियन नंबर एक ने इन्हें चारों तरफ से घेर लिया था। इन पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। कुछ गोलियां इनके शरीर के बगल से निकलती हुई पेड़ों पर लगी थी निर्मल जांगड़े ने बताया कि किसी तरह से उन्होंने पूरी प्लानिंग की। यहां समझ आ गया था या तो मरेंगे या मारेंगे। बस इसी उद्देश्य के साथ फिर हम आगे बढ़ गए। नक्सलियों के पहले लेयर में तैनात नक्सलियों पर गोलियां दागनी शुरू की। उनका चैनल टूटा।जांगड़े ने बताया कि उनमें से कुछ नक्सलियों को गोली लगी। उनके साथी वहां से बैक फुट हुए, फिर हम इस इलाके में और आगे बढ़े। थोड़ी देर के बाद हमारी बैकअप पार्टी भी आ गई थी। हालांकि तब तक सारे नक्सली वहां से भाग निकले। बाद में पता चला था कि उनके कुछ साथियों की मौत हुई है।लंबा ऑपरेशन, पका चावल को धोकर खाएजांगड़े ने बताया कि अंदरुनी इलाके में हम ऑपरेशन पर निकलने से पहले दूरी और जगह के हिसाब से तय करते हैं कि अपने साथ किस तरह का खाना लेकर जाएं। अधिकतर चावल-अचार का पैकेट बनाकर लेकर जाते हैं। जंगल में खाना बनाकर खाने की इजाजत नहीं है। जांगड़े ने बताया कि तीन-चार दिनों तक हमने जंगल में समय बिताया था। पका चावल लेकर गए थे, उसमें से थोड़ी बदबू आने लगी थी। जिसे जंगल में ही एक नदी के पानी से धोए। फिर गमछा पर रखकर सुखाया। इसके बाद अचार के साथ खाकर हमने पेट भरा था। यहां खाना से जरूरी था नक्सलियों को घेरकर मारना।

वर्तमान में जिला कांकेर में अक्टूबर 2023 में पदस्थापना होते ही यहाँ भी नक्सल विरोधी उन्मूलन अभियान में शामिल होकर कांकेर जिला को नक्सल मुक्त कराने में लग गये इस दौरान डीआरजी एवम् बस्तर फाइटर का आपरेशन कमांडर के रूप मे सराहनीय कार्य किया गया।

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