महासमुंद जिले से हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन जारी
विभाग की चुप्पी बता रही है उनकी मौन स्वीकृति
रिपोर्टर आशीष गुप्ता बागबाहरा
महासमुंद जिला कलेक्टर विनय कुमार लगेंह के आदेश का भी पालन नही कर रहे है अधिकारी, जबकि उन्होंने साफ तौर से कहा है कि मजदूरों के पलायन हमारे जिले में सबसे बड़ी चुनौती है, आपको बता दें कि आगामी कुछ महीनो में त्रिस्तरी पंचायत चुनाव है इसमें शासन प्रशासन मतदान शत प्रतिशत कराने में पूरी जी जान लगा देती है परंतु क्या इस स्थिति में मतदान शत प्रतिशत हो पाएगा जब महासमुंद जिले में हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन भट्टा दलालों के द्वारा कराया जा रहा है खासकर बागबाहरा ,पिथौरा, एवं कोमाखान क्षेत्र में जिसमें महासमुंद जिले के सबसे बड़े मजदूर दलाल एवं बहुत चर्चित जगत गुप्ता है जिनके द्वारा हजारों की संख्या मे मजदूरों को उत्तर प्रदेश , झारखंड के ईट भट्टो में भेजा जा रहा है।
सूत्रों से जानकारी मिली है कि 29 नवंबर 2024 शुक्रवार को बागबाहरा ब्लॉक के पटपरपाली गांव से सैकड़ों की संख्या में मजदूरों को आलू भांटा की सब्जी खिलाकर उत्तर प्रदेश के लिए रात्रि 10 से 11:00 बजे के आसपास पलायन कराया गया है जानकारी मिलने पर इसकी सूचना दुरभाष के माध्यम से जिला श्रम अधिकारी डी. एन. पात्र को देनी चाही परंतु उनका मोबाइल स्विच ऑफ आया, ऐसा संयोग वस हुआ या जानबूझकर यह तो सोचनीय विषय है।
संबंधित विभाग को जानकारी होने के बाद भी कुंभकर्णीय निद्रा में सोए हुए हैं. अभी हाल ही में 4 नवंबर 2024 को ही जिले के सबसे बड़े मजदूर दलाल जगत गुप्ता के द्वारा पटपरपाली गांव से चार लग्जरी बसों में भरकर जिले के मजदूरों का पलायन उत्तर प्रदेश, झारखंड के लिए कराया गया, समय रहते इसकी पुख्ता जानकारी श्रम अधिकारी डी. एन. पात्र को भी दी गई ।परंतु श्रम अधिकारी ने साफ कह दिया कि जगत गुप्ता का लाइसेंस है वह मजदूर ले जा सकता है हालांकि जांच के बाद कार्यवाही की बात भी उन्होंने कहा, लेकिन जांच एवं कार्यवाही का मतलब आप समझ सकते हैं ............
हालांकि अभी हाल ही में 21 नवंबर 2024 को जिला श्रम अधिकारी डी एन पात्र ने प्रेस नोट जारी करते हुए वर्तमान में जिले के श्रमिकों द्वारा अधिक मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन को देखते हुए श्रम निरीक्षकों और श्रम उप निरीक्षकों को जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशनों और बस स्टेशनों पर सघन निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे जबरन श्रमिकों को ले जाने वाले दलालों एवं ठेकेदारों के खिलाफ अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979 के तहत कानूनी कार्यवाही के भी निर्देश दिए थे परंतु महासमुंद जिले एवं क्षेत्र में हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन जारी है जिसकी खबर आए दिनों अखबारों एवं समाचारों से प्राप्त होती रहती है बता दें कि क्षेत्र ही नहीं अपितु जिले का सबसे बड़ा भट्ठा दलाल जगत गुप्ता पटपरपाली के द्वारा पिछले दिनों 4 नवंबर 2024 को रात्रि 10 - 11 बजे के आसपास ग्राम पटपरपाली से चार लग्जरी बसों में मजदूरों का पलायन उत्तर प्रदेश एवं झारखंड के लिए कराया गया था। जिसकी सूचना मिलने पर कुछ मिडियाकर्मियों के द्वारा इसकी जमीनी हकीकत की पड़ताल करने गए परंतु मजदूर दलाल के द्वारा गुर्गे लगाकर मिडियाकर्मियों हमले की कोशिश भी किया गया था, एवं धमकी भी दिया गया था। जिसकी जानकारी समाचार एवं अखबारों के माध्यम से प्राप्त हुआ था।
श्रम विभाग द्वारा दिए गए निर्देश और कानूनी प्रावधानों के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई का ना होना एवं भट्ठा दलालों के हौसले बुलंद होना उनकी निडरता को एवं विभाग के मौन स्वीकृति को साफ उजागर करता है जो की प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है
*श्रम विभाग में एक व्यक्ति के नाम से पांच से ज्यादा अनुमति*
इस संदर्भ में जब हमने श्रम विभाग के अधिकारी डी एन प्रात्र से मिले तो पता चला कि एक व्यक्ति के नाम से पांच -से -छै लाइसेंस जारी किया गया है। जिसमें मजदूरों कि संख्या 100 या 50 दर्शाया गया है।
*मजदूरों को पलायन से पहले किया जाता है स्वास्थ्य परीक्षण और ग्राम पंचायत सचिव को नाम उल्लेख*
गौरतलब है कि अभी 15 दिवस पहले पलायन कर रहे एक मजदूर कि बस में ही मौत की खबर सूर्खियों में रही लेकिन मजदूर दलाल ने उस मामले को दबाने के लिए पुरा जोर लगा दिया।
पलायन कर्ता मजदूरों को नियमानुसार उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर किस ग्राम से कितना मजदूर पलायन कर रहे हैं , इसकी जानकारी ग्राम पंचायत सचिव को बताना अंतराज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979 के तहत् जरूरी रहता है।
*त्रिस्तरीय चुनाव पर प्रभाव*
जिले में हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन हो चुका है और आगे भी पलायन का सिलसिला जारी है क्या इसका असर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर पड़ेगा, क्या मतदान शत प्रतिशत तक हो पाएगा, क्या विभाग पलायनकर्ता मजदूरों का सही आंकड़ा प्रस्तुत कर पाएगा इस तरह के बहुत से सवाल खड़े होते हैं एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह भी लगाते हैं इस तरह से मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है क्या इसकी जानकारी विभाग को नहीं है या विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता या उन्हें मौन स्वीकृति देता है यह अपने आप में एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर बहुत बड़ा सवाल है।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि मजदूर दलालों पर विभाग क्या कार्यवाही करता है।
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