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Balod: संघ शिक्षा वर्ग (विशेष)बालोद का समापन

👆प्रेस विज्ञप्ति

संघ शिक्षा वर्ग (विशेष)बालोद का समापन

सीखे हुए संगठन गुण का उपयोग समाज को जोड़ने और मजबूत करने में करें..शिवराम समदरिया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छत्तीसगढ़ प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग  (विशेष)बालोद का समापन आज 1जून 2025 को सरस्वती शिशु मंदिर बालोद में सम्पन्न हुआ।






वर्ग कार्यवाह श्री घनश्याम साहू जी ने बताया कि यह वर्ग 17 मई 2025 दोपहर भोजन के पूर्व सभी शिक्षार्थियों के सरस्वती शिशु मंदिर बालोद में आगमन से प्रारंभ हुआ। यह वर्ग पूर्णतः आवासीय है ।इस वर्ग में पहले दिन ही सभी शिक्षार्थियों को मोबाइल जमा किया गया ताकि साधना ठीक से हो सके। इस वर्ग की दिनचर्या सुबह 4:30 में जागरण से प्रारंभ होकर रात्रि 10:00 बजे तक दीप निर्माण तक  रही। प्रातः 70 मिनट का संघ  स्थान एवं स्वयं 60 मिनट का संघ स्थान रहा जिसमें शाखा लगाने से लेकर विविध शारीरिक कार्यक्रम, आचार विभाग एवं समता आदि का प्रशिक्षण रहा। आवासीय  परिसर में सुबह एकात्मता, योग ,प्राणायाम, श्रम साधना, चर्चा ,संवाद, अभ्यास बौद्धिक सत्र स्वाध्याय सत्र, रात्रि कालीन विविध कार्यक्रम हुए।   देश, समाज ,धर्म संस्कृति, हिंदुत्व, राष्ट्रीयता सेवा, संपर्क , प्रचार गौ सेवा, धर्म जागरण ,ग्राम विकास, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण गतिविधियों पर विस्तार से मार्गदर्शन किया गया। बीच में 5 दिन सभी शिक्षार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के नगर और आसपास के क्षेत्र में भी प्रत्यक्ष ले जाकर प्रशिक्षण दिया गया। शिक्षार्थियों के विकास ,दक्षता एवं क्षमता वृद्धि के प्रत्येक आयाम पर सूक्ष्मता और वैज्ञानिक पद्धति से ध्यान दिया गया। इस वर्ग में 34 जिले, 54 खंड /नगर, 63 बस्ती /मंडल ,130 स्थान से कुल 174 शिक्षार्थी सम्मिलित हुए जिसमें प्राध्यापक शिक्षक 70, डॉक्टर इंजीनियर अधिवक्ता 13,अन्य शासकीय कर्मचारी 22, कृषक 22, व्यवसायी 47 सम्मिलित हैं ।इस वर्ग को सफल बनाने के लिए शिक्षक 14, प्रबंधक 21, संचालन टोली के 15 सदस्य एवं स्थानीय कार्यकर्ता व्यवस्था की दृष्टि से पूर्ण समय वर्ग स्थान में उपस्थित रहे। वर्ग सुव्यवस्थित एवं उत्तम वातावरण में संपन्न हुआ। 

वर्ग में 2अखिल भारतीय अधिकारी ,क्षेत्र के 3, प्रांत के 13, विभाग के 6 अधिकारियों को सानिध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। 

सर्वव्यवस्था प्रमुख श्री राजेश्वर राव जी द्वारा आभार व्यक्त किया गया। 

दीक्षांत समारोह के वक्ता श्री शिवराम समदरिया जी क्षेत्र प्रचारक प्रमुख केंद्र जबलपुर रहे। 

कार्य की सफलता के लिए गुरु के वचनों पर श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए, श्रद्धा और विश्वास रखने से कार्य करने की शक्ति आती है। 1939 - 40 में कोई भारत को, हिंदू समाज को संगठित राष्ट्र के रूप में एक राष्ट्र बनाने के लिए संगठन करने की बात कर रहा है तो कोई सुनने को तैयार नहीं होता था, उस समय देश के लिए काम करने का मतलब होता था, देश के लिए बलिदान करना, देश के लिए अपना सब कुछ निछावर करना, उस समय संगठन की बात पागलपन मानी जाती थी। इसीलिए दत्तोपंत जी ठेंगड़ी ने कहा हम पागल है और हमें पागल ही रहने दो ।

अभी तक पांच पीढ़ी खप गई ,कहते-कहते कि भारत हिंदू राष्ट्र है और यह परिवर्तन कार्य पद्धति से ही होगा। यह कार्य पद्धति संघ की शाखा पद्धति है। संघ का काम उत्साह से आगे बढ़ने का काम है। इसके लिए तन, मन ,धन बुद्धि शुद्ध चाहिए ।किसी काम के करने के लिए मनसा, वाचा, कर्मणा एक होना चाहिए । स्वयंसेवक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए - पहले वह कार्य के प्रति कटिबद्ध होना चाहिए. दूसरा वह कार्य के प्रति सांघीक  होना चाहिए, तीसरा कार्य के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। 

संघ अनुकूल जीवन की रचना करनी चाहिए। 

वर्ग में स्वयंसेवकों के विकास के लिए सभी पक्षों पर ध्यान दिया गया। खेलकूद, व्यायाम, योग, आसन आदि के माध्यम से शारीरिक क्षमता का विकास किया गया। कदम से कदम मिलाकर कैसे चलना है? इसका अभ्यास किया गया. देश भक्ति गीत कैसे गाना यह भी सिखाया गया. अनेक राष्ट्रीय और सामाजिक विषय पर मार्गदर्शन हुआ. यह जो कुछ भी सीखा है इसे अपने घर तक भी लेकर जाना है .अपने समाज में भी लेकर जाना है .सबको जोड़ने के लिए इन सब गुणों  का उपयोग करना है ।

यह शताब्दी वर्ष है और शताब्दी वर्ष में हमारा प्रशिक्षण हो रहा है।

 हम सब के लिए सौभाग्य की बात है। नई जगह जाकर कम से कम 21 दिन शाखा लगाना ,नई जगह में नए-नए लोगों को जोड़ना ,नई बातें सीखना अच्छी-अच्छी बातें सीखना ,समाज का संगठन कैसे होगा? समाज सही दिशा में कैसे लेकर जाएंगे ,देशभक्ति क्या होती है यह सीखना। कार्य के गुणवत्ता कैसे आए? स्वयंसेवकों का कैसा विकास होना चाहिए? इससे कार्य की गुणवत्ता दिखती है. दुर्गा भाभी का जीवन को उदाहरण सभी जानते हैं. दुर्गा भाभी ने दूसरों को नहीं देखा. वह देश और समाज के लिए स्वयं बढ़कर आ गई और अपना सब कुछ बलिदान किया। अभी देश की स्थिति देखे तो देश के लिए काम करने के लिए कम से कम 16 लाख कार्यकर्ता चाहिए ।यह कार्यकर्ता हमको तैयार करना है । घर में भी देशभक्ति का, समाज की भलाई का ,समाज के लिए काम करने का बेहतर माहौल होना चाहिए।  शाखा में जो होता है उसे घर में चर्चा करना, हमारी बातों के मान्यता है ।उसका वातावरण घर में बनाना ।तब वह समझ में आता है ।पांच बातों का ध्यान रखना ।पहले सावधानी पूर्ण जीवन जीना। हमको हर काम सावधानी से करना चाहिए। सही तरीके से करना चाहिए। कहीं भी जल,वायु ,मिट्टी का प्रदूषित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। मन को भी प्रदूषित नहीं करना।

 दूसरा है सुंदर जीवन - हर काम को अच्छे तरीके से करना ,तभी जीवन में सुंदरता आएगी .तीसरा है आश्चर्यजनक जीवन - हर काम को बहुत अच्छे तरीके से करना .

तब जीवन आश्चर्यजनक होगा ।

चौथा है- शांतिपूर्ण जीवन गीता के 17वें अध्याय में  मन को शांत रखना, समता का भाव रखना, प्रसन्न रखना ,मौन रखना, आत्म निवेदन करना ,यह मन को शांत रखने का गुण है ।पांचवा है- हृदय को पवित्र रखना ,शुद्ध ,सात्विक प्रेम अपने कार्य का आधार है। दिव्य प्रेम, एक दूसरे से आत्मीयता पूर्ण व्यवहार, सबको प्रेम से देखना, सब के प्रति आत्मीयता का भाव रखना ।सबको अपना समझना। सबको अपने से जोड़ कर रखना। सबसे अपने को जोड़ लेना ।इसी को शुद्ध सात्विक प्रेम कहा है। तभी हम भारत माता के पुत्रहैं। 

उपरोक्त बातें कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री शिवराम समदरिया जी ने अपने उद्बोधन में सभी स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा। 

उपरोक्त जानकारी संघ के प्रचार प्रमुख रेवा राम मानिकपुरी ने प्रदान की।

वर्ग में स्थानीय कार्यकर्ता विनोद साहू,संतोष साहू, जितेंद्र भाई ,निर्मल,रूपेंद्र,योगेश्वर,सहित बड़ी संख्या में थे

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