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Gariyaband: पत्थर फेंकते फेंकते भाला और गोला फेंक में ख्याति हासिल कर लिया

 पत्थर फेंकते फेंकते भाला और गोला फेंक में ख्याति हासिल कर लिया

*राज्यस्तरीय गोल्ड मेडल जीतने वाले  नित्यानंद का राष्ट्रीय ओलंपिक में हुआ चयन 



देवभोग-देवभोग के गरीब परिवार का बेटा पत्थर फेंकते फेंकते भाला और गोला फेंक में छग में ख्याति हासिल कर लिया।देवभोग के निषादपारा के शिवलाल निषाद का बेटा नित्यानंद दो बार राज्यस्तरीय भाला और गोला फेंक में गोल्ड मेडल जीतकर देवभोग सहित छग का नाम रोशन किया है।आई ए एल एथलेटिक फाउंडेशन छग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में नित्यानंद ने राजनांदगाँव और रायपुर में सहित दो बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में चार गोल्ड मेडल हासिल किया है।दो बार के जीत के बाद इसी प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर गोवा के लिये चयन हो गया है । ऐसे तो स्कूली समय भी दल्लीराजहरा में आयोजित भाला और गोला फेंक में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।जिसके बाद से नित्यानंद ने स्टेट और नेशनल ओलंपिक के लिये तैयारी शुरू कर दिया था चूंकि गाँव में अल्प सुविधा के चलते पत्थर फेंकर निरंतर अभ्यास करता रहा है।नित्यानंद फिलहाल पं.श्यामशंकर मिश्र महाविद्यालय के बीएससी का छात्र है।जब नित्यानंद दूसरी बार राज्यस्तरीय भाला और गोला फेंक में मेडल जीत कर देवभोग लौटा तो महाविद्यालयीन छात्रो सहित जनप्रतिनिधी और क्षेत्रभर के लोगो ने आतिशवाजी के साथ जोरदार स्वागत किया।इस अवसर पर कांग्रेस जिलाउपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा,महेश्वर बघेल,विहिप जिला सह मंत्री गौरीशंकर कश्यप महाविद्यालय के प्राचार्य मरकाम सहित सहयक प्राध्यापक भी उपस्थित थे।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक खिताब जीतने की है इच्छा


नित्यानंद अपनी दोनो जीत का श्रेय अपने माता पिता और महाविद्यालय प्रबंधन और दोस्तो को दे रहें है।वही नित्यानंद को विश्वास है गोवा में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल जीतेगा और उनका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की है।उनके नेशनल ओलंपिक में इस चयन को लेकर परिजनो में भारी उत्साह है।और उनको दिनभर बधाई का तांता लगा रहा। 

पढाई से ज्यादा खेल में रूचि ही बनाया खिताब जीतने वाला


नित्यानंद के पिता शिवलाल निषाद पेशे से घडी सुधारक है थोडी कमाई से उनका घर चल जाता है पढाई के लिये पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नही हो पाता बचपन से नित्यानंद की रूचि खेल और एथलेटिक मे रहा है और उनकी इस रूचि ने भाला और गोला फेंक मे उनके मुकाम तक पहुँचा दिया।

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