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Surajpur: नौकरी व मुआवजे को लेकर आमगांव खदान में हड़ताल चौथे दिन भी जारी*

 *नौकरी व मुआवजे को लेकर आमगांव खदान में हड़ताल चौथे दिन भी जारी*


*मो0 रमीज राजा सूरजपुर*

*छत्तीशगढ़ विज़न टीवी*





सूरजपुर / एसईसीएल बिश्रामपुर के आमगांव ओपन कास्ट परियोजना में पटना क्षेत्र के ग्रामीणों ने नौकरी, मुआवजा व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर खदान को प्रभावित कर दिया है। जिससे उत्पादन व परिवहन ठप हो गया है। आंदोलनकारी ग्रामीणों ने अधिग्रहित की गई भूमि में ग्रामीणों अथवा उनके आश्रितों को नौकरी दिए जाने के मामले को लेकर अपनी भड़ास निकाली है तो दूसरी ओर प्रबंधन भी नौकरी व मुआवजा देने के लिए संकल्पित है। किन्तु कुछ नेताओं के बहकावे व आंदोलन को पर्दे के पीछे से हवा देने के कारण पात्र भूमि स्वामियों और उनके आश्रितों के बीच प्रबंधन की कार्रवाई व राजस्व अमले के द्वारा अब तक की गई पहल की वास्तविक जानकारी भी नहीं पहुंच पा रही है। हालांकि इस हड़ताल से लगभग ढाई हजार टन उत्पादन प्रतिदिन व चार हजार टन का डिस्पैच बंद होने के साथ 30 हजार टन ओबी का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया है और लगभग ढाई करोड़ रूपए का रोज का नुकसान प्रबंधन को हो रहा है। वहीं लगभग 70 लाख रूपए रोज की रॉयल्टी का नुकसान जिला प्रशासन को उठाना पड़ रहा है।



एक ओर आंदोलनकारी नौकरी नौकरी देने के मामले में एसईसीएल पर टाल-मटोल का रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे है। तो दूसरी तरफ प्रबंधन का कहना है कि पटना की अधिग्रहित भूमि के बदले जिनके दस्तावेज पूर्ण हो चुके हैं। उन में 37 लोगों को नौकरी दी जा चुकी है तथा 50 अन्य के प्रपोजल स्कूटनी के उपरांत मुख्यालय गये हुए हैं। वहीं हड़ताल के बीच 16 अन्य के प्रकरणों का भी सत्यापन तहसीलदार ने खदान में पहुंचकर करते हुए प्रकाशन हेतु प्रेषित किया है। आंदोलन को लेकर डटे ग्रामीण जहां अपनी मांगों पर अडिग हैं। वहीं प्रबंधन ने हड़ताल खत्म कर खदान को चालू करने की अपील ग्रामीणों से की है।


* 82 में 78 करोड़ का बांट चुकी है मुआवजा.


82 करोड़ रूपए के स्वीकृत हुए मुआवजे में एसईसीएल प्रबंधन ने 78 करोड़ रूपए का मुआवजा पात्र हितग्राहियों को बांट दिया है। वहीं शेष बचे साढे चार करोड़ रूपए भूमि स्वामियों के पारिवारिक विवाद के कारण लंबित हैं, जिसको लेकर एसईसीएल प्रबंधन कई बार इसके लिए बैठकों में अपनी बातें रख चुका है और उन्होंने पूर्व में भी अपील की है कि तहसील से आप अपने प्रकरणों का निराकरण करायें हम त्वरित मुआवजा बांटने के लिए तैयार हैं।


* मामला पटना का, बंद की आमगांव खदान.


एसईसीएल प्रबंधन तथा जिले के अधिकारियों का कहना है कि जिस खदान के मामले को लेकर ग्रामीण आंदोलनरत हैं, उस खदान में अभी प्रबंधन ने काम ही शुरू नहीं किया है। अगले वर्ष 2024 में कार्य शुरू होने की संभावना है। कंपनी के द्वारा जितने दस्तावेज पूर्ण हो रहे हैं, उन्हें मुख्यालय भेजकर आगे की कार्रवाई की जा रही है, किन्तु बड़ी तादाद में लोगों के दस्तावेज पूर्ण नहीं है, इसलिए उनके प्रपोजल पूर्ण नहीं हो पाये हैं।


* राजस्व अमले की उदासीनता से गहराया मामला.


मुआवजे व नौकरी के साथ नियुक्ति पत्र देने की मांग पर अड़े ग्रामीणों के मामलों में सर्वाधिक समस्या स्थानीय राजस्व अमले की है। आंदोलनकारियों को उपलब्ध कराये गये दस्तावेज में 70 से उपर ऐसे प्रकरण है, जिनमें नामांकन, वंशवृक्ष, परिवार की सहमति, दस्तावेज में विसंगतियां, सत्यापन, अभिलेख भिन्नता, रकबे में विसंगतियां, पारिवारिक विवाद इत्यादि मामलों के कारण अधिकतर प्रकरण लंबित हैं। राजस्व अमला गांव में ही कैम्प लगाकर पहल करे तो संभवत: आंदोलन की स्थिति ही निर्मित न हो।

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