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Durgkondal: दीपावली को लेकर मिट्टी के दियों से पटा बाजार,खरीदारी करने लगी भीड़*

 *दीपावली को लेकर मिट्टी के दियों से पटा बाजार,खरीदारी करने लगी भीड़*


 त्यौहार_*पारंपरिक रूप से मिट्टी के दीये जलाने के चलन को लेकर इसकी खास बिक्री होती है, हर साल कुम्हारों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है*






दुर्गुकोंदल । दिवाली की खूबसूरती मिट्टी की दीयों से ही होती हैं। वैसे बाजार में तरह-तरह के बिजली। वाली लाइटें और झालर भी मौजूद है। इस कारण मिट्टी के दीयों की बिक्री में आजकल थोड़ी कमी आई है, फिर भी दिवाली में पारंपरिक रूप से मिट्टी के दीये जलाने के चलन को लेकर इसकी खास बिक्री होती है। इसके साथ ही कुम्हारों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार मिट्टी के दीयों की बिक्री का हाल

क्या रहेगा।

दुर्गुकोंदल साप्ताहिक बाजार में आज धनतेरस के अवसर पर  कुम्हारों को दीपावली के मद्देनजर मिट्टी के दीयों की बिक्री में तेजी आई है। कुम्हारों का

कहना है कि दीपावली में चाइना और कई प्रकार की बिजली बत्ती और झालर आ जाने से मिट्टी के दीये कम बिकने लगे हैं।

बच्चों के खिलौनों की ब्रिकी से किसी तरह गुजारा हो जाता है। मिट्टी की मूर्तियां गणेश लक्ष्मी का बनाते हैं जो ज्यादा बिकते हैं। इसका

इस्तेमाल हर घर में किया जाता है। वहीं दुकानदार अपने दुकानों में जो बर्तन रखते हैं उनको धनतेरस के दिन काफी आमदनी होती है और

लोग तरह तरह के बर्तन खरीदते है." मिट्टी के दीये और समान बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। मिट्टी को पहले गूंथना पड़ता है फिर

उसे अच्छी तरह से सानकर चाक पर रख कर मूर्ति और दीये बनानी होती है। इतनी मेहनत के बाद भी मजदूरी नहीं कर पाती है आज के साप्ताहिक बाजार में मिटटी के दिये बाजार में बड़ी संख्या में कुम्हारो के द्वारा लाया गया था जो की₹5 से लेकर 10, 20, 30 ,रुपए में बिक रहा था वही दीपावली बाजार की रौनकता अन्य सामग्रियों में भी देखने को मिला चायना की झालर,फाटाका, एवं अन्य सामग्रियों की दुकान सजा हुआ था बाजार में काफी रौनक का देखने को मिली।

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