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Balod: आयुष्मान कार्ड के पैकेज पर उठाया पीड़ित परिवार ने सवाल! बोले हर बीमारी का नही होता इलाज? सरकार से व्यवस्था में सुधार की मांग

बालोद 

लोकेशन- बालोद 

तारीख 07/06/24


आयुष्मान कार्ड के पैकेज पर उठाया पीड़ित परिवार ने सवाल! बोले हर बीमारी का नही होता इलाज? सरकार से व्यवस्था में सुधार की मांग


इधर कलेक्टर ने पत्रकार दीपक यादव को हरसंभव मदद करने का दिया आश्वासन, सौंपा गया ज्ञापन


टॉन्सिल और सरवाइकल स्पाइन से डेढ़ महीने से जूझ रहें दीपक यादव, सिस्टम के भी हुए शिकार







बालोद। गुरुवार को बालोद जिले के सभी मीडिया साथियों द्वारा गले और सर्वाइकल स्पाइन की समस्या से करीब डेढ़ महीने से जूझ रहे जगन्नाथपुर के पत्रकार दीपक यादव को आर्थिक मदद दिलाने के लिए कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल से मुलाकात की गई। इस दौरान पत्रकार की पत्नी माधुरी यादव भी मौजूद रही। जिन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। मौके पर पत्रकारों ने उन्हें दीपक यादव की वस्तुस्थिति और परेशानी के बारे में अवगत कराया। जिस पर यथाशीघ्र कलेक्टर द्वारा मदद दिलाने का आश्वासन दिया गया है। बता दे कि लगभग 45 दिनों से दीपक यादव का इलाज जारी है। गले की समस्या पहले से सुधर चुकी है। अब वह धीरे-धीरे बोलने की स्थिति में आ चुके हैं। पर सर्वाइकल स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी में नस दबने से होने वाले दर्द और रक्त प्रवाह बाधित होने की समस्या जटिल हो चुकी है। जिससे उन्हें बाएं गर्दन से लेकर कंधा, हाथ और कमर तक दर्द रहता है। इससे सोने, बैठने में दिक्कत होती है। इसका इलाज भी न्यूरोसर्जन के जरिए शुरू किया गया है। दुर्ग सहित रायपुर में भी विशेषज्ञ से इलाज करवा रहे हैं। न्यूरोसर्जन का कहना है कि सर्वाइकल स्पाइन की समस्या को अगर दवाई से ठीक किया जा सकेगा तो कोशिश की जाएगी। उन्हें अभी 1 महीने के लिए दवाई देकर ट्रायल पर रखा गया है। अगर इस बीच नस का दर्द कम होता है तो दवाई से आगे इलाज जारी रहेगा। जिसमें 5 से 6 महीने कवर करने में लगेंगे। अगर ऐसा नहीं हो पाया तो फिर ऑपरेशन करने की नौबत आ सकती है। 

विशेषज्ञ ने स्पष्ट हिदायत दी है कि गर्दन को ज्यादा से ज्यादा सीधा रखने की कोशिश करना है। इसके लिए कॉलर पहनना है। ज्यादा झुकना नहीं है वरना दर्द होगा। वजन उठाने से मना किया गया है। तो वही भागदौड़ से बचने कहा गया है।  मौके पर स्वयं पत्रकार दीपक यादव ने भी अपनी समस्या और अब तक के संघर्षों के बारे में संक्षिप्त जानकारी कलेक्टर को दी। इस पर कलेक्टर ने जल्द से जल्द यथासंभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया।


आयुष्मान कार्ड में नहीं होता हर बीमारी का इलाज, इससे बढ़ गई मुसीबत 


पत्नी माधुरी यादव ने सवाल उठाया कि शासन की योजना के तहत आयुष्मान कार्ड में 5 लाख तक इलाज की व्यवस्था होती है लेकिन कई ऐसी तकलीफ और बीमारी है जिनका इलाज उक्त कार्ड में होता ही नहीं है। ऐसे में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को काफी परेशानी हो जाती है। ऐसा हमारे साथ भी हुआ। ज्ञापन सौंपने के दौरान कलेक्टर द्वारा भी इस बात को लेकर पूछा गया कि आयुष्मान कार्ड से इलाज हुआ कि नहीं? हमने उन्हें बताया कि इसमें टॉन्सिल का पैकेज ही नहीं है इसलिए आर्थिक परेशानी हुई । कलेक्टर ने इस पर विचार करते हुए जल्द मदद दिलाने की बात कही ।


केंद्र सरकार को करना चाहिए इस व्यवस्था में सुधार!


माधुरी यादव ने शासन प्रशासन से मांग की है कि केंद्र सरकार को आयुष्मान कार्ड के पैकेज में बदलाव किया जाना चाहिए। 5 लाख जो शासन से देने की बात होती है उसमें सभी बीमारियों को कवर किया जाना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को इलाज में सुविधा हो। वरना यह योजना और कार्ड सिर्फ नाम का रह जाता है। सरकारी हो या प्राइवेट किसी अस्पताल में जाते हैं तो वहां आयुष्मान कार्ड लागू होने की बात लिखी होती है पर किस बीमारी में इलाज होगा यह स्पष्ट नहीं होता। भर्ती होने पर बताया जाता है कि अमुक बीमारी का पैकेज ही नहीं है। हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही वाकया हुआ। जिस अस्पताल में लेकर वहां आयुष्मान कार्ड चलता था लेकिन टॉन्सिल का पैकेज ही नहीं होने पर  हमें व्यक्तिगत खर्चे पर पूरा इलाज करवाना पड़ा। ऐसा और भी कई लोगों के साथ होता है और ऐन वक्त में कब कैसी मुसीबत आ जाए कोई नहीं जानता और फिर इलाज के लिए शासन की योजना और आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भटकना पड़ता है। इस व्यवस्था में सुधार होनी चाहिए। ताकि हमें जो परेशानी हुई आगे और किसी को ना हो। देश में तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनने जा रही है। इस पर आगामी सरकार को विचार कर करना चाहिए।


आचार संहिता समाप्त होने के बाद  मदद उम्मीद


पत्रकार दीपक यादव को खासतौर से जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद का आश्वासन मिला है। चूंकि अब चुनावी आचार संहिता समाप्त हो चुकी है। ऐसे में शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के जरिए उन्हें मदद मिलने की उम्मीद  है। इसके पूर्व उनकी पत्नी माधुरी यादव द्वारा विधायक संगीता सिन्हा को ज्ञापन देकर मदद की मांग की गई थी। जिस पर विधायक ने आचार संहिता हटने के बाद पहला काम उनका ही करवाने का आश्वासन दिया था। आचार संहिता हटते ही जिला प्रशासन से भी सहायता राशि दिलाने की मांग की गई है। इस संबंध में ज्ञापन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम से कलेक्टर को सौंपा गया है। इस दौरान जिले के प्रमुख वरिष्ठ पत्रकार, संपादक, ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर आदि मौजूद रहें।



क्या है ज्ञापन में


कलेक्टर को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम से ज्ञापन दिया गया है। जिसमें उन्हें पत्नी माधुरी यादव द्वारा पति दीपक यादव (पत्रकार) के इलाज हेतु शासन/ जिला प्रशासन/ डीएमएफ/ या फिर रेडक्रास किसी भी मद से सहायता राशि दिलाने का निवेदन किया गया है। 



इस तरह से हुई परेशानी की शुरुआत


माधुरी यादव ने बताया कि  पति दीपक यादव स्वतंत्र पत्रकारिता (डेली बालोद न्यूज में) करते हैं। जो कि 2007 से श्रमजीवी पत्रकार हैं। विगत 22 अप्रैल 2024 से उनके जीभ में छोटा सा छाला  होने के बाद गले में अचानक मवाद जमा होने से आहार और श्वास नली अवरुद्ध हो गया इसके इलाज हेतु दुर्ग के गला रोग विशेषज्ञ के पास ले गए थे। जहां दुर्ग के एक सेंटर में सीटी स्कैन, एमआरआई और अन्य जांच उपरांत रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि उनके गले में मवाद का गोला बन चुका है साथ ही टॉन्सिल बाएं साइड से काफी बड़ा हो चुका है और सरवाइकल स्पाइन की भी समस्या है। जिससे गर्दन के पीछे हड्डियों और नसों को काफी नुकसान पहुंचा है। जब उन्हें अस्पताल ले गए थे तो वे सांस लेने में भी दिक्कत महसूस कर रहे थे। 


लास्ट स्टेज में पहुंचे थे अस्पताल


लास्ट स्टेज में होने के कारण तत्काल डॉक्टर ने उन्हे एडमिट किया और इलाज शुरू किया। चूंकि टॉन्सिल के इलाज का पैकेज आयुष्मान कार्ड में नहीं था इसलिए स्वयं के खर्चे पर इलाज करवाना पड़ा। अचानक पैसों की व्यवस्था नहीं होने से लोगों से उधारी और सहयोग  लेकर काम चलाना पड़ा।



18 दिन के भीतर दो ऑपरेशन 


 इस बीच 25 अप्रैल से 13 मई के बीच उनके (दीपक यादव) गले का दो ऑपरेशन हुआ। पहला मवाद निकालने का और दूसरा टॉन्सिल का। जिसमें अब तक करीब सवा लाख तक खर्च आ चुका है। आगे इलाज जारी है। प्रति मंगलवार को उन्हें अस्पताल शिफ्ट किया जाता है। घर पर भी ड्रिप, दवाई आदि के जरिए इलाज जारी है। टॉन्सिल का दूसरा ऑपरेशन बड़ा था इसलिए उन्हे खाने पीने में भी दिक्कत है। 22 अप्रैल से वे भोजन ग्रहण नहीं कर पा रहें थे।



अब आगे क्या स्थिति है



करीब 45 दिन तक दवाई, दूध, दाल पानी के भरोसे रहे हैं। आगे उनका सरवाइकल स्पाइन (रीढ़ की हड्डियों के बीच नस दबने से संबंधित) का इलाज भी होना है। जिसमें पांच से छह महीने तक दवाई से इलाज चलेगा। इस बीच नस की समस्या ठीक नही हुई तो उसका भी  ऑपरेशन करना पड़ेगा। इन सबमें पिछले हो चुके इलाज और आगे लागत मिलाकर करीब पांच लाख तक खर्च आ सकता है। हमारे घर में पति के अलावा और कोई पुरुष सदस्य कमाऊ नहीं है। इलाज में काफी खर्च हो जाने से आगे आर्थिक समस्या आ रही है। इसलिए मेरी समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके मुझे शासन/ जिला प्रशासन/ डीएमएफ/ रेडक्रास से सहयोग/ सहायता राशि दिलाने की मांग की गई है। उनकी मांग का समर्थन करते हुए जिले के सभी पत्रकारों ने जिला प्रशासन से मदद के लिए बात की।


रिपोर्टर 

विजन टीवी चैनल के लिए संवाददाता रूपचंद जैन, ब्यूरो की चिप दीपक देवांगन के साथ बालोद

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