लोकेशन बालोद
संजय कुमार
*कांग्रेस के आपातकाल ने बेटों को माता पिता की चिता को अग्नि देने तक नहीं दीं: राकेश यादव*
*कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान को कुचला: राकेश यादव*
*आपातकाल कांग्रेस की तानाशाही सोच का प्रमाण है, आज भी जिंदा है वही मानसिकता" — राकेश यादव*
बालोद।
25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को देश के लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बताते हुए जिला भाजपा कार्यालय बालोद में आयोजित आपातकाल के 50 वे वर्ष पर आयोजित संगोष्ठी पर जिला भाजपा महामंत्री राकेश यादव कहा कि आज भी कांग्रेस उस तानाशाही मानसिकता से मुक्त नहीं हो सकी है, जिसकी नींव इंदिरा गांधी ने 50 वर्ष पूर्व आपातकाल लगाकर रखी थी।
उन्होंने कहा कि आपातकाल कोई राष्ट्रीय संकट नहीं, बल्कि एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की साजिश थी। 12 जून 1975 को जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में दोषी ठहराया, तो उन्होंने 25 जून को ‘आंतरिक अशांति’ का हवाला देकर अनुच्छेद 352 के तहत देश पर आपातकाल थोप दिया।
संविधान, प्रेस, न्यायपालिका सब कुछ कुचला गया
श्री यादव ने कहा कि उस समय लोकतंत्र के तीनों स्तंभ—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका—को बंधक बना दिया गया। प्रेस की आज़ादी पर इतना बड़ा हमला हुआ कि कई अखबारों की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप लगाई गई, और 253 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि "कांग्रेस के आपातकाल ने बेटों को माता-पिता की चिता को अग्नि देने तक नहीं दिया," यह उस अमानवीय शासन का प्रमाण है। इस दौरान लाखों लोगों को बिना मुकदमे जेल में डाला गया, जिनमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता शामिल थे।
*तानाशाही संशोधन और संजय गांधी की परछाई*
इंदिरा गांधी ने संविधान में 39वां और 42वां संशोधन कर प्रधानमंत्री पद को न्यायिक समीक्षा से बाहर कर दिया। उन्होंने 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को जोड़कर वैचारिक एजेंडा थोपने की कोशिश की। प्रेस, न्यायपालिका और नागरिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला किया गया।
श्री यादव ने कहा कि सत्ता का असली केंद्र बन चुके संजय गांधी ने बिना किसी संवैधानिक पद पर रहते हुए नीतिगत निर्णय लिए। "कांग्रेस में परिवार ही पार्टी और सत्ता का केंद्र बन गया था, संविधान और जनता नहीं।"
वर्तमान समय राष्ट्रीय नेता पर निशाना साधा और कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से केंद्र सरकार के अध्यादेश को फाड़कर उसी आपातकालीन सोच को उजागर किया। कांग्रेस आज भी उसी मानसिकता से काम कर रही है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस शासित राज्यों में आज भी पत्रकारों पर मुकदमे, सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तारी और एक्टिविस्टों पर पुलिस कार्रवाई होती है।"
*डिजिटल इमरजेंसी: नई रणनीति*
श्री यादव ने कहा कि आज कांग्रेस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर झूठ फैलाने वालों को संरक्षण देती है और विपक्ष की आवाज दबाने के लिए 'डिजिटल इमरजेंसी' चला रही है। कांग्रेस अब भी लोकतंत्र को सिर्फ सत्ता हथियाने का औजार मानती है।
*शाह आयोग की रिपोर्ट और कांग्रेस का इतिहास मिटाने का प्रयास*
शाह आयोग की रिपोर्ट ने साफ लिखा था कि आपातकाल लगाने का कोई संवैधानिक औचित्य नहीं था। लेकिन 1980 में सत्ता में लौटने के बाद इंदिरा गांधी ने इस रिपोर्ट को ही नष्ट करवा दिया।
*भाजपा मना रही 'संविधान हत्या दिवस'*
भाजपा 25 जून को पूरे जिला में 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मना रही है। लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया जा रहा है और जनता को आपातकाल का काला सच बताया जा रहा है। श्री यादव ने कहा कि विष्णुदेव साय सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों के लिए सम्मान निधि योजना को पुनः लागू कर यह सिद्ध कर दिया है कि भाजपा लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। किन्तु पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में इस योजना को बंद कर अपमान किया था
उपस्थित गण:
इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता राकेश यादव,प्रेम साहू, जुंगेरा मंडल अध्यक्ष अरुण साहू ,पूर्व मंडल अध्यक्ष पालक ठाकुर, प्रकाश नाहर ,संतोष साहू,जनपद सदस्य भुनेश्वरी चंद्राकर ,टेमन साहू,संतानद साहू ,संजय साहू,शिवेंद देशमुख ,हरिराम साठिया ,कामता प्रसाद साहू, साहू दुष्यंत साहू, भूपेश साहू ,ओम प्रकाश सिन्हा, लेश्वर साहू बाल सिंह साहू ,तामेश्वर साहू, गिरीश कुमार निर्मलकर ,संतोष चंद्राकर, इंदू पवार ,विनोद गोस्वामी, रामेश्वर पटेल सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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