*विश्व आदिवासी दिवस में बाइक रैली के माध्यम से कार्यक्रम स्थल पहुंचे लोहत्तर के युवा*
दुर्गूकोंदल | दुर्गूकोंदल ब्लॉक के सर्कल लोहत्तर से विकास राजु नायक, मन्नू राम दीवान, उमेश कोला और नरेश गावड़े के नेतृत्व में आदिवासी समाज के युवाओ ने ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रम दुर्गूकोंदल में लोहत्तर सोनादाई शीतला माता की पुजा अर्चना कर बाइक रैली के माध्यम से दमकसा, दुर्गूकोंदल होते हुये सुरुंगदोह पुरे जोश के साथ पहुंची, विश्व आदिवासी मूलनिवासी दिवस के बारे में प्रत्येक आदिवासी व्यक्ति को बताने के लिए आदिवासी दिवस के बारे में कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने इन भाषाओं और समाज के लोगों को समझने और समझाने के लिए विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है, आदिवासी समाज के लोगों का मुख्य आहार आज भी पेड़-पौधों से जुड़ा है, इनके धर्म-त्योहार भी प्रकृति से जुड़े हैं। आदिवासी समुदाय भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज सबकुछ आम लोगों से अलग होता है। समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण आदिवासी समाज आज भी पिछड़े हुए हैं। यही वजह है कि भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व मुद्दों में सुधार के लिए आदिवासी लोगों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देता है. यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार, आदिवासी लोग दुनिया के सभी क्षेत्रों में रहते हैं |
विश्व (मूलनिवासी) आदिवासी दिवस का इतिहास जानने को मिलता है कि दिसंबर 1992 में, UNGA ने 1993 को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष बनाने का संकल्प अपनाया. 23 दिसंबर 1994 को, UNGA ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा, यह तारीख 1982 में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर उप-आयोग के स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दिन को चिह्नित करती है. ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, यह बताया गया कि 2016 में, लगभग 2,680 ट्राइबल भाषाएं खतरे में थीं और विलुप्त होने की स्तिथि में है और आज ज्ञान का जश्न मनाने का एक अवसर रहता है, विश्व के आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, दुनिया भर के लोगों को इन लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन पर संयुक्त राष्ट्र के संदेश को फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया और विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी (मूलनिवासी) दिवस इन समुदायों और उनके ज्ञान का जश्न मनाने का एक अवसर है. इस दिन लोगों को ट्राइबल लोगों और उनकी भाषाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. दुनिया के मूल निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन एक लगातार समस्या बन गई है, इसलिए, यह दिन लोगों के लिए उनके मुद्दों को समझने का एक अवसर है, यह दिन आदिवासी लोगों को वैश्विक मंच पर अपने दृष्टिकोण और चिंताओं को साझा करने का अवसर प्रदान करता है. इसका उद्देश्य सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और आम जनता के बीच आदिवासी मुद्दों की बेहतर समझ को बढ़ावा देना भी है. पिछले कुछ वर्षों में, आदिवासी अधिकारों और कल्याण के विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न विषयों को चुना गया है. संयुक्त राष्ट ने विश्व आदिवासी दिवस 2024 के थीम को आदिवासी युवाओं पर फोकस किया है, यूएन द्वारा दिये गये एक अपडेट के अनुसार, इस साल के विश्व आदिवासी दिवस का थीम है आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के प्रेरक के रूप में आदिवासी युवा आज के अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का प्रयोग सक्रिय तौर पर कर रहे हैं, आदिवासी संस्कृति और पारंपरिक देशज ज्ञान से आज के आदिवासी युवा सराबोर हैं और पारंपरिक विरासत के वाहक बने हैं, हम जानते हैं कि हमारा भविष्य आज लिए गए निर्णयों पर निर्भर करता है. ऐसे में आदिवसी युवाओं द्वारा जो कार्य आज किए जा रहे हैं, वे मानवता के सामने मौजूद कुछ सबसे गंभीर समस्याओं से उबरने में सबसे असरदार प्रेरक के तौर पर काम कर रहे हैं | और सभी आदिवासी समुदायों को अधिक से अधिक संख्याओं में ऐसे आयोजनों में हिस्सा लेकर आदिवासी समुदाय के संस्कृति, रीति रिवाजों को जानने के लिए आदिवासी समाज लोहत्तर ने ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रम में हिस्सा लिया| जिसमें आदिवासी समाज के ज्ञानेश्वर दीवान, पुरुषोत्तम राणा, नरेश दीवान, अजित नायक, हेम दीवान, गोविन्द दीवान, दीनू देहारी, डीकेश राणा, चंद्र प्रकाश दीवान, सरस्वती देहारी, अरुणा नायक, राधिका दीवान, दीपिका देहारी, रवीना, नूतन, यामिनी, पल्ल्वी दीवान सहित भारी संख्या में युवा साथी शामिल हुये|
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