*शारदीय नवरात्रि के महानवमी पर कराया गया नौ कन्या भोज*
*देवी मंदिर दुर्गा पंडाल एवं घरों में भी कन्या पूजन किया गया*
दुर्गूकोदल। शारदीय नवरात्रि के महानवमी पर देवी मंदिर दुर्गा पंडाल एवं नवरात्र व्रत धारीयो के घरों में कराया गया नौ कन्या भोज शारदीय नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान में से एक कन्या पूजन है। यह अनुष्ठान आखिरी दिन, महाष्टमी और महानवमी को होता है। दुर्गूकोदल, भानुप्रतापपुर, में श्रीमती मनीषा सिन्हा के द्वारा नवरात्रि पर्व के दौरान अपने निवास स्थान में नौ कन्याओं का भोज कराकर माता का आशीर्वाद लिया और सुख, समृद्धि, शांति ,की प्रार्थना की और कन्या माताओं से आशीर्वाद लिया मान्यता है कि नौ दिन नवरात्रि व्रत रखने वाले व्यक्ति को कन्या पूजन जरूर करना चाहिए तभी व्रत पूरा मना जाता है।कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के अंतिम दिन कुंआरी कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। ये नौ कन्याएं मां का नौ स्वरूप मानी जाती है, इस दिन एक लांगुर की भी पूजा होती है, जिसे भैरव स्वरूप माना जाता है। नौ दिन व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं।
मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है। कन्या पूजन की कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हों तो जातक और उसका जीवन उन्नतशील रहता है।
इस साल 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है, जिसका समापन 11 अक्टूबर को हुआ इस दिन होगा विसर्जन
12 अक्टूबर को माता दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन होगा। नवरात्रि में आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है। लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं।
इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें। कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं। पुराणों में है कन्या भोज का महत्व
पौराणिक धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन आवश्यक होता है। क्योंकि कन्या पूजन के बिना भक्त के नवरात्र व्रत अधूरे माने जाते हैं। कन्या पूजन के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि और कन्या भोज के लिए दस वर्ष तक की कन्याएं उपयुक्त होती हैं। वही दुर्गूकोदल अचल में दुर्गा पंडाल हाहालददी बंजारी माता मंदिर एवं गांव में नवरात्र व्रत धारी के यहां नौ कन्या भोजन किया गया और भक्ति माहौल में पूरा आंचल नवरात्र पर्व धूमधाम से मनाया गया।
महानवमी पर हुई कन्या पूजन*
दुर्गूकोंदल। ग्राम महेंद्रपुर में शारदीय नवरात्रि के महानवमी पर भक्तों द्वारा अपने घरों में कन्या पूजन किया गया। बिंदा सलाम, रतूला जैन ने अपने-अपने घरों में नौ कन्याओं के पाँव पखारे व विधि_विधान से पूजन कर चुनरी ओढ़ाने के साथ ही आरती उतारी और कन्याओं को खीर, पुड़ी,फल,परोसा।उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया,साथ हि परापंरा अनुसार बटुक पूजन भी किया गया।
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