*दो दिन में धान खरीदी केंद्र की मांग पुरी नहीं होने पर किसान उतरेंगे सड़को पर, 17नवंबर को होगा बड़ा आंदोलन*
*कई वर्षों से लंबित मांग पर भड़के किसान—प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप, आंदोलन होगा तेज*
दुर्गूकोदल। दमकसा सहकारी समिति के अंतर्गत महेन्द्रपुर में नवीन धान खरीदी केंद्र स्थापित करने की वर्षों पुरानी मांग अब किसान आंदोलन के रूप में तेज होती दिखाई दे रही है। किसानों ने प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए आगामी 17 नवंबर 2025 को बांसला और महेन्द्रपुर के किसान संयुक्त रूप से धरना-प्रदर्शन एवं चक्काजाम करने की चेतावनी दी है। क्षेत्र के किसान लगातार बढ़ती समस्याओं और उपार्जन केंद्रों में अव्यवस्था को लेकर भारी नाराजगी हैं।स्थानीय सरपंच किसान चंद्रिका नेताम,बलराम टेपरिया,जनपद सदस्य पीलम नरेटी, ने बताया कि ग्राम पंचायत राऊस्याही के आश्रित ग्राम महेन्द्रपुर में धान खरीदी केंद्र खोले जाने की मांग कई बार प्रशासन को भेजी गई है, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला है। वर्तमान में किसानों को दमकसा केंद्र में धान बेचने के लिए भारी भीड़, जगह की कमी और लंबी प्रतीक्षा जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कैलाश नेताम कहा कि केंद्र की कमी के कारण 10–15 किलोमीटर तक का अतिरिक्त परिवहन खर्च और समय की बर्बादी किसानों की परेशानी और बढ़ा रही है।किसानों द्वारा अधिकारियों को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि नवीन केंद्र न खोले जाने से नाराज 790 किसान, ग्राम पंचायत चिहरो, आमाकड़ा, राऊरवाही और महेन्द्रपुर के, पहले ही 15 नवंबर 2025 को प्रतीकात्मक चक्काजाम कर चुके हैं। उस दिन किसानों ने स्पष्ट किया था कि यदि प्रशासन ठोस निर्णय नहीं लेता तो बड़े आंदोलन की शुरुआत होगी।किसानों का यह विरोध अब और उग्र रूप ले रहा है। सरपंच बलराम टेपरिया ने कहा कि 17 नवंबर को होने वाला चक्काजाम पिछले विरोध से बड़ा होगा और सम्बलपुर मंडी के सामने लगातार धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में किसानों की उपस्थिति होगी। किसानों ने यह भी कहा कि जब तक महेन्द्रपुर में नया धान उपार्जन केंद्र स्वीकृत नहीं होता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़ने से न केवल भीड़ कम होगी बल्कि छोटे किसानों को समय पर धान बेचने में सुविधा मिलेगी। साथ ही परिवहन खर्च में कमी आने से उन्हें आर्थिक राहत भी मिलेगी।क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच सभी की नजर अब प्रशासन की प्रतिक्रिया पर टिकी है कि क्या वह आंदोलन से पहले कोई सकारात्मक निर्णय लेता है या किसान 17 नवंबर को व्यापक चक्काजाम के लिए सड़क पर उतरेंगे।

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