छोटी सी उम्र में कविता की अमिट छाप छोड़ रहे है। शुभम साहू।
0 अपने सी उम्र में पुस्तक प्रकशित कर अपने गाँव और परिवार का नाम कर रहे रौशन।
गंडई पंडरिया:- कहते है कला कभी किसी उम्र की मोहताज नही होती बहुत ही हर्ष की बात है कि आज कल इस छोटी सी उम्र में भी ऐसी सोच रखने वाले लोग है। हमारे भविष्य के बारे में सोच रहे है। जिस उम्र लोग नशे में भटक जाते है। उस उम्र में इन्होंने देश के सैनिकों के बारे में सोचा और अपनी पुस्तक प्रकाशित की। तो आइए मिलाते हैं उनसे जो
एक छोटे से गांव के रहने वाले है ग्राम कुकुरमुडा रोड़ अतरिया खैरागढ़ गंडई के रहने वाले है । इनका नाम शुभम साहू शुभ जिनका उम्र महज 21 वर्ष का है। और शायर है इन्हे अपने देश से बेहद प्रेम है ये अपनी प्रेम भाव अपनी कविता और शायरी में दिखाते है। इन्होंने अपने अपनी स्वरचित पुस्तक प्रकाशित की है जिसका नाम लफ्जे जवानों के नाम है इससे पहले इनकी एक और पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है जिसका नाम लफ्जे खामोशी की है वर्तमान में भाषा आयोग के सदस्य है। इतनी कम उम्र में इतनी कामयाबी मिल चुकी है आशा करते है भविष्य में पूरी दुनिया में अपने नाम से जाने जाएंगे । अपनी शिक्षा के लिए ये अभी दुर्ग में रह कर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे है दुतीय वर्ष में अधयन कर रहे है। इनके पिता श्री अशोक साहू हैं जो पंचायत सचिव है और उनके गाने भी आकाशवाणी रायपुर में प्रकाशित हो चुकी है।इनके दादा स्व श्री कन्हैया राम साहू जी है । इन्होंने अपने लेखन की शुरुवात आज से 2 साल पहले की थी इनकी पहली शायरी भी किसानों के उप्पर ही थी। तो आइए इनकी पहली शायरी की कुछ झलक दिखाते है।
बैमानी का ना खाता हु,
मेहनत के बीज लगाता हु,
निस्वार्थ होकर पूरी दुनियां को खिलाता हु,
इतना बड़ा दिल है पर मै ही गरीब कहलाता हु। जैसे शब्दों से लोगो को आकर्षित कर रहा है।
इनकी पुस्तक आपको ऑनलाइन
फ्लिप्कार्ड,अमीजों,प्लेयस्टोर
में मिल जायेगी।
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