उपसंचालक कृषि अधिकारी ने कृषकों को दिया मिलेस्ट की जानकारी एवं रोजगार मूलक प्रशिक्षण
बालोद:- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच को बढ़ावा देने के लिए कृषकों को दो दिवसीय प्रशिक्षण छत्तीसगढ़ के जिला राजनांदगांव में दिया गया जिसमे सीताफल से आईसक्रीम,अम्बाड़ी से शर्बत,लघुधान्य कोदो, कुटकी, रागी से इडली, चीला,मिष्ठान,रखिया से पेठा मिठाई,पलाश फूल से हर्बल गुलाल तैयार करने की विधि विषय पर कृषको को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम पर अपने उद्बोधन में वरिष्ठ कृषि अधिकारी नागेश्वर लाल पांडे ने बताया कि हम सभी जानते हैं कि आज खाद्य पदार्थों पर रसायनों की मात्रा बड़ रही है, जिससे हम सभी परेशान हैं दुनिया भर में खाए जाने वाले अधिकांश भोजन में चावल, गेहूं, मांस शामिल हैं। इस भोजन में फाइबर की मात्रा लगभग शून्य है क्योंकि अधिकांश भोजन “रिफाइंड” या “प्रोसेस्ड” है, यहां तक कि “आटा” से बनी वस्तुओं को भी रिफाइन किया जाता है या इस हद तक पकाया जाता है कि यह “WHOLE” होने के सभी लाभों को खो देता है, आपके भोजन में अन्य अवयवों (Ingredients) के साथ भी यही स्थिति है, और ये सब हमारा रक्त गाढ़ा कर देता है क्योंकि यह सभी तेजी से हमारे शरीर में शर्करा (चीनी) में परिवर्तित होता है और रक्त में मिल जाता है है। इसलिए हम जिन कार्बोहाइड्रेट (अनाज आदि) का सेवन करते हैं उनमें फाइबर भी होना चाहिए। हो सकता है हम में से अधिकांश ने इस पहलु को पहले सुना और समझा हो, लेकिन असली मुद्दा सामान पर लगे लेबल को गलत पढ़ने का है , और परिणामस्वरूप हमारे भोजन में महत्वपूर्ण फाइबर गायब है। और यहीं पर मिलेट (जौ, बाजरा आदि अनाज) का महत्व है, और इसे विशिष्ट प्रकार के चमत्कारी अनाज कहा जाता है।अनाज को पॉजिटिव, न्यूट्रल और नेगेटिव अनाज में बांटा जा सकता है । इनमें से, अनाज की पहली दो श्रेणियाँ वाले अनाज अर्थात पॉजिटिव और न्यूट्रल अनाज को मिलेट (MILLET) कहा जाता है । डायबिटीज, गठिया, थायराइड की समस्या, अग्न्याशय, मस्तिष्क, दिल और तिल्ली से संबंधित बीमारियों, विभिन्न तरह के बुखार, गैंगरीन, फिट्स/दौरे पड़ना, अस्थमा, पुरुष और महिला प्रजनन प्रणाली संबंधी समस्याओं आदि को नियंत्रित करने में ये मिलेट अत्यधिक प्रभावी हैं।श्रीधान्य मिलेट पकने के बाद चावल जैसा दिखता है और वैसा ही स्वाद देता है. पकाने से पहले 6-8 घंटों के लिए इन को पानी में भिगोएँ। एक बार में एक तरह का मिलेट खाना चाहिए, और कई तरह के अनाज का मिश्रण करने से बचें। आप इनसे उपमा, बनाते हैं।पोहा, इडली, डोसा, चपाती और कई अन्य रोजाना खाये जाने वाले व्यंजन बना सकते हैं ठीक वैसे ही जैसे आप चावल और गेहूं।
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