एनएचएआइ के अफसरों की लापरवाही के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग 30 की स्ट्रीट लाईट बंद
कांकेर. बस्तर के प्रवेश व्दार मचान्दूर से चारामा, जैसाकर्रा, कानापोढ़ होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर लगी स्ट्रीट लाइटें शोपीस बनकर रह गई हैं। यह लाइटें सालों से बंद पड़ी हैं। मगर इन को ठीक कराने की जहमत कोई नही उठा पा रहा है। इस राजमार्ग के डिवाइडरों पर लगी स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं, जिसके चलते यहां राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि सड़क के बीचों बीच मवेशी बैठ जाते हैं और अंधेरा होने के कारण यह राहगीरों को दिखाई नहीं देते हैं। यह मवेशी हादसों को न्योता दे रहे हैं। खास बात यह है कि स्ट्रीट लाइट के विद्युत पोल जो डिवाइडरों पर लगाये गयें हैं, वह मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं। बताते चलें कि राष्ट्रीय राजमार्ग 30 का चैड़ीकरण होने के बाद से इस सड़क पर स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हंै, जो मचान्दूर, चारामा, जैसाकर्रा व कानापोढ़ में है। इस हाईवे पर मात्र कुछ ही स्ट्रीट लाइटें जलती दिखाई देते हैं। इस मामले पर खास बात यह है कि इन स्ट्रीट लाईट के शुरुवात होने के बाद से आज तक पूरी स्ट्रीट लाईटें नहीं जल पायी है। जबकि इनके रखरखाव का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) का है। इस विभाग के अधिकारियों को न कार्रवाई का डर है और न ही नियमों की चिन्ता। उनके व्दारा इस मामले को पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया है, उन्हें आमजन की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं हैं। एनएचएआइ के अफसरों की लापरवाही के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग 30 की स्ट्रीट लाईट बंद है। यह स्ट्रीट लाईट राहगीरों की सुविधा के लिए लगाई गई थी। मगर इसका लाभ न तो क्षेत्र की जनता को मिल पा रहा है और न ही राहगीरों को। मजे की बात यह है कि स्ट्रीट लाइट लगाने के कुछ महीनों बाद से ही यह खराब भी होने लगी। लेकिन खराब पड़ी स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त करने वाला कोई नहीं है। कई बार तो विभागीय कर्मचारी पहले लाइट को दुरुस्त करने के लिए आए। लेकिन काम चलाऊ व्यवस्था करके निकल गए। कई बार स्थानीय लोगों द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत भी कराया गया, लेकिन विभाग के अधिकारियों पर इसका कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। आलम यह है कि मचान्दूर से लेकर कानापोढ़ तक जगह-जगह स्ट्रीट लाइटें खराब है और हाईवे पर अंधेरा पसरा हुआ है।
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