चिर्रा गौठान से जुड़कर महिलाओं ने 20 लाख रूपए से अधिक का लाभ किया अर्जित*
*महिला समूह के लिए चिर्रा गौठान बना आजीविका का प्रमुख जरिया*
*समूह की महिलाएं गौठान से जुड़कर बन रही आर्थिक रूप से सुदृढ़*
*जैविक खाद निर्माण, केंचुआ उत्पादन जैसे अन्य गतिविधियों से हो रही हैं सशक्त*
कोरबा पाली छत्तीसगढ़ शशि मोहन कोशला
कोरबा, प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के तहत जिला प्रशासन के सहयोग से गौठानों में ग्रामीण महिलाएं विभिन्न आजीविका गतिविधियां संचालित कर स्वालंबन की राह पर अग्रसर हो रही हैं। जिले के दूरस्थ वनांचल स्थित ग्राम चिर्रा में गोधन न्याय योजना अंतर्गत निर्मित गौठान में स्व सहायता समूह की महिलाएं जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना रही है। यहां गौठान मवेशियों की देखरेख के उपयुक्त स्थान के साथ ही महिलाओं के लिए आजीविका गतिविधियों का एक सशक्त जरिया भी है। कभी दूसरों के खेतों में रोजी-मजदूरी का काम करने वाली ग्रामीण महिलाएं अब समूह के माध्यम से गौठान में संचालित जैविक खाद निर्माण, मुर्गी पालन, मछली पालन सहित अन्य विभिन्न आय जनित गतिविधियों का संचालन कर रही है। जिसके माध्यम से वे अपना और अपने परिवार की आजीविका को समृद्ध और मजबूत बना रही है। चिर्रा का यह गौठान कुल 7 एकड़ में फैला है जिसमें 4 एकड़ में गौठान एवं 3 एकड़ में चारागाह बना हुआ है। गौठान में कुल 125 पशुपालक पंजीकृत है। जिनके द्वारा नियमित रूप से गौठान में गोबर विक्रय किया जाता है। गौठान में अब तक 2,10,883 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई है। जिसके एवज में उन्हें 4 लाख 21 हजार 766 रुपये का भुगतान किया गया है।
चिर्रा के इस गौठान से जुड़कर 4 अलग-अलग स्व सहायता समूह की कुल 46 महिलाएं आत्मनिर्भर बनी है। इनके जिंदगी में योजना संचालन से सकारात्मक बदलाव हुए है। इन महिलाओं ने गौठान में संचालित विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेकर अब तक 20 लाख से अधिक का आय हासिल की है। गौठान में चंद्रमुखी स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, नेपियर घास का उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, गोमूत्र से कीटनाशक का निर्माण जैसी आजीविका गतिविधियां कर रही है। चंद्रमुखी महिला समूह द्वारा अब तक 82 हजार 656 किलो जैविक खाद का उत्पादन किया गया है एवं 69 हजार 156 किलो खाद का विक्रय किसानों को किया है। जिससे उन्हें लगभग 7 लाख का आय प्राप्त कर चुकी हैं। इसी प्रकार केंचुआ उत्पादन से उन्हें लगभग 10 लाख का लाभ हुआ है। उनके द्वारा गौठान से लगे 3 एकड़ के चारागाह में नेपियर घास की खेती भी की गई थी। जिसके विक्रय से उन्हें साढ़े 4 लाख का लाभ हुआ था। समूह की महिलाओं द्वारा गौ मूत्र का क्रय कर जैविक कीटनाशक दवाई को बनाकर 60 हजार का कीटनाशक का विक्रय किया गया है। चंद्रमुखी महिला समूह की अध्यक्ष ललिता राठिया बताती है कि जैविक कीटनाशक फसलों के उत्पादन के लिए लाभदायक है। जो कि फसलों को अनेक कीटों से बचाता है। समूह की सदस्य बताती है कि प्राप्त आय से किसी ने अपने लिए जमीन, किसी ने जेवर, किसी ने बीमा के साथ साथ अपने एवं अपने परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति की है। समूह की महिलाएं बताती है कि समूह से जुड़ने के बाद वे आर्थिक रूप से सशक्त हुई है। साथ ही अपने घर परिवार की आवश्यकताओ की पूर्ति करने में सक्षम बनी है। समूह की महिलाओं ने गौठान से जुड़कर स्वावलंबी बनाने हेतु प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया है।
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