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Belgahana: सनातन धर्म की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, मानस तीर्थ सोनकुंड में श्री श्री 108 श्री पूज्य स्वामी शिवानंद जी महाराज श्री सिद्ध बाबा आश्रम बेलगहना के सानिध्य में मनाया गया गुरु पूर्णिमा।**

 *सनातन धर्म की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, मानस तीर्थ सोनकुंड में श्री श्री 108 श्री पूज्य स्वामी शिवानंद जी महाराज श्री सिद्ध बाबा आश्रम बेलगहना के सानिध्य में मनाया गया गुरु पूर्णिमा।**


छत्तीसगढ़ विजन tv संवाददाता राम प्रताप सिंह की खास रिपोर्ट बेलगहना.....




 बेलगहना /सोनकुंड..... आश्रम पर वर्षो से चली आ रही, गुरु शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए,पूज्य स्वामी जी मानस तीर्थ सोनकुंड में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर  समाधि पूजा एवं व्यास पूजा किया गया  तत्पश्चात दीक्षा का कार्यक्रम किया गया बताया जाता है की पूज्य श्री श्री 1008 श्री स्वामी श्री सदानंद जी महाराज का तपोभूमि है साथ ही साथ गुरु स्थान भी माना जाता है । प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी पूरे भारत भूमि से श्रद्धवान भक्तों का ताँता लगा हुआ देखने को मिला जिसमे यूपी,बिहार, मध्यप्रदेश, जम्मू, खासकर छत्तीसगढ़ से से हजारों की संख्या में दर्शन करने पहुंचे थे। इस गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर पेंड्रा,मरवाही विधायक के.के.ध्रुव, अरुन् चौहान (जिला पंचायत आध्यक्ष).कन्हैया लाल गंधर्व ( सभापति जनपद पंचायत कोटा )और भी राजनेता  स्वामी जी से आशीर्वाद प्राप्त किए , सोनकुंड में गुरु पूर्णिमा मानने के बाद दोपहर 3.00 बजे  पुनः बेलगहना वापिस होकर यहाँ भी समाधि पूजा व सिद्ध बाबा जी की पूजा कर कुर्मी समाज द्वारा नवनिर्मित गुरु कृपा भवन का पूज्य स्वामी जी के कर कमलों द्वारा लोकार्पण किया गया। इस शुभ अवसर पर संगीत का भी कार्यक्रम रखा गया जिसमें बहुत दूर दूर से संगीत प्रेमी अपनी भजन से संगीत श्रवण करने वाले भक्तों को आनंदित किए, उसके  बाद सभी श्रद्धालु भक्तों ने भंडारे में जाकर प्रसाद ग्रहण किए,पूज्य स्वामी जी  अपने उद्धबोधन में कहा की, गुरु बिनु भावनिधि तरही ना  कोई,जो बिरंची शंकर सम होही  इस कथन की व्याख्या करते हुए बताया की गुरु के बिना कोई भी भावसागर पार नहीं हो सकता, चाहे वो ब्रम्हा जी शंकर जी के समान ही क्यो ना हो ,सदगुरु का अर्थ शिक्षक या आचार्य नहीं है । शिक्षक अथवा आचार्य हमें थोड़ा-बहुत ऐहिक ज्ञान देते हैं लेकिन सदगुरु तो हमें निजस्वरूप का ज्ञान दे देते हैं । जिस ज्ञान की प्राप्ति के बाद मोह उत्पन्न न हो, दुःख का प्रभाव न पड़े और परब्रह्म की प्राप्ति हो जाए ऐसा ज्ञान गुरुकृपा से ही मिलता है । उसे प्राप्त करने की भूख जगानी चाहिए । इस अवसर पर कार्यक्रम में सेवा समिति ,प्रबंध समिति एवं पुलिस प्रशासन, विद्युत विभाग,का विशेष सहयोग रहा ।

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