*कोटा - मेरा गांव मेरी गरीमा अभियान के साथ बिरहोर जनजाति के लोगों ने रोपे बांस के पौधे*
Cgvtv संवाददाता राम प्रताप सिंह की रिपोर्ट बेलगहना....
बेलगहना/कोटा....... गरिमा (ग्रामीण आत्मनिर्भर रोजगारी मंच) ने आदिम जनजाति बिरहोर की अजीविका को संरक्षित करने की तरफ कदम बढ़ते हुए कोटा ब्लॉक ग्राम पंचायत सेमरिया के अश्रित गांव माझीपारा में 2000 बांस के पौधों का रोपण किया। यह पौधों को जीवित रखने के लिए बिरहोर जनजाति के लोगों ने संकल्प लिया है कि किसी भी विषम परिस्थितियों में पौधों को जीवित रखकर अजीविका सृजित करेगें। जंगल नहीं जाना होगा कुछ सालों बाद गांव में ही बांस उत्पादित होगा जिससे झौआ, टोकनी, खरहेरा, बेहरी,सूपा और अन्य घरेलू सजावट की सामग्री इन्हीं बांसों से बना कर अजीविका सुदृण एवं स्वरोजगार स्थापित करेंगें। गरिमा मंच पिछले एक वर्ष से ग्रामीण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में सीमांत किसान और मजदूरों के स्वास्थ्य, पोषण, और आजीविका एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य और लक्ष्य को लेकर सामूहिक मालिकी वाले अनुकरणीय मॉडल को स्थापित करने की दिशा में पुरजोर प्रयास कर रहा है। गरिमा मंच गांव गांव में छोटी व्यवसायिक गतिविधियों के साथ छोटे व्यवसायिक उपकरण स्थापित करने में महिला समूहों को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है जिससे अन्यत्र रोजगार की तलाश में होने वाले पलायन में कमी लाई जा सके। ''मेरा गांव मेरी गरिमा'', ''खेत से पेट तक'' जैसे अभियान को संचालित कर लोगों को जागरुक कर जैविक व परांपरागत खेती करने के लिए जुड़ाव स्थापित कर रहा है। गरिमा से जुड़े महिला समूह द्वारा उत्पादित कोदो,कुटकी रागी जैसे मिलेट एवं अन्य सामान अब छत्तीसगढ़ के इलावा महाराष्ट, कोलकत्ता,राजिस्थान, आदि शहरों में विक्रय किये जा रहे हैं। गरिमा मंच से कबीरधाम, बिलासपुर, मुंगेली जिलों के आदिवासी ग्रामीण किसान ज़ुड़ कर जैविक उत्पादन कर हम सब की थाली तक उपभोग की वस्तुयें व अनाज पहुंचा रहे हैं।
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