*छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन अपनी मांगों को लेकर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर*
महासमुन्द ब्यूरो रिपोर्ट आशीष गुप्ता
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर चरमरा सकता है। स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष टार्जन गुप्ता के निर्देशन में छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के बैनर तले 21 अगस्त से अनिश्चित कालीन हड़ताल में जाने की तैयारी कर ली है, विगत दिनों 11 अगस्त को हेल्थ फेडरेशन के 12 संगठन सांकेतिक हड़ताल के लिए 40000 अधिकारी कर्मचारी तूता धरना स्थल में जुटे थे जिसके बाद से ही अनिश्चितकालीन आंदोलन की तैयारी संगठन के अधिकारियों द्वारा तैयार कर ली गई थी।स्वास्थ्य संयोजक संघ जिला महासमुन्द के जिलाध्यक्ष विनय प्रधान ने जानकारी दिया कि
अनिश्चित कालीन हड़ताल में स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण कैडर के साथ भेदभाव के कारण ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (एएनएम/एमपीडब्ल्यू), डॉक्टर, नर्सिंग कैडर ,एनएचएम, वाहन चालक एवम् विभिन्न कैडर बेमुद्द हड़ताल के लिए बाध्य है, lज्ञात हो कि ग्रामीण क्षेत्रो में 5200 उप स्वास्थ्य केंद्रों में कार्य करने वाले ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजको की मुख्य मांगो में ग्रेड पे संशोधन है जिसके लिए पूर्व में 2018 में 47 दिन 2022 में 11 दिन का अनिश्चित कालीन आंदोलन किया जा चुका है जिस पर वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय भुपेश बघेल जी के ठोस आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित किया गया था।
लेकिन मांगे पूरी नही होने पर स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ ने विधानसभा के मानसून सत्र से पूर्व सभी 90 विधायकों से मुख्यमंत्री के नाम समर्थन पत्र प्राप्त किया था ,26 जून को बस्तर में संघ का अधिवेशन हुआ था जिसमे प्रदेश सरकार के मंत्री कवासी लखमा जी द्वारा मुख्यमंत्री से चर्चा कर अनुपूरक बजट में हमारी मांगो को पूरा करवाने की सहमति दी थी,लेकिन अनुपूरक बजट में भी मांगे नही पूरी होने से प्रदेश के 18000 ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजको में भारी आक्रोश है जिसके लिए 21 अगस्त से अनिश्चित कालीन आंदोलन में जाने का फैसला किया है।
इस पर बात करने पर प्रदेश स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ के प्रदेश आईटी सेल प्रभारी सुरेश पटेल, जिला मीडिया प्रभारी महासमुंद टीकम दीवान ने जानकारी दिया कि 21 अगस्त के अनिश्चित कालीन हड़ताल में जा रहे हैं,इसमें प्रदेश भर के 12 संगठन के कुल 40000 अधिकारी कर्मचारी जिसमे डॉक्टर, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (एएनएम/एमपीडब्ल्यू), नर्सिंग कैडर, एनएचएम, वाहन चालक संघ शामिल होंगे जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में इमरजेंसी जैसी स्थिति बन सकती है, इमरजेंसी सेवा, पोस्टमार्टम, टीकाकरण , ओपीडी सेवाएं, बाधित होगी जिसकी जवाबदेही शासन प्रशासन की होंगी।
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