*भाई दूज का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया।*
दुर्गुकोंदल।दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैया दूज का पर्व दुर्गुकोंदल अंचल में मनाया गया।विदित हो कि भाई दूज का संबंध यमराज से होने के कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।आज बहनें अपने भाई का तिलक कर उनकी लम्बी उम्र की कामना किये। ऐसा माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन से तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।आज शुभ मुहूर्त में भइया दूज का त्योहार मनाया गया।आज बहन दवाइया भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त था। पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक था। जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक था।हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज पर बहनें भाई के माथे पर तिलक करके उनके सुखमय जीवन, उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना किये। वहीं भाई भी अपने कर्तव्य के निर्वहन का संकल्प लिए। मान्यता है कि इस दिन भाई का तिलक करने से उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। भाई दूज के पर्व की पावन कथा सूर्य देव पुत्र यम और यमुना से जुड़ी हुई है।हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज पर बहनें भाई के माथे पर तिलक करके उनके सुखमय जीवन, उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं। वहीं भाई भी अपने कर्तव्य के निर्वहन का संकल्प लेते हैं। मान्यता है कि इस दिन भाई का तिलक करने से उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। भाई दूज के पर्व की पावन कथा सूर्य देव पुत्र यम और यमुना से जुड़ी हुई है।
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