*जान जोखिम में डालकर पार करते हैं रावली नाला, प्रशासन मौन*
*वर्षाकाल के चार माह बहता है इस नाला में पानी*
दुर्गूकोंदल ।सरकार द्वारा गांव-गांव में स्कूल और सड़क-पुल-पुलियों का निर्माण किया जा रहा है। ताकि ग्रामीण इलाकों को सड़क-पुल-पुलिया से जोड़कर उनका विकास किया जा सके और गांवों में स्कूल बनाकर वहां के बच्चों को शिक्षित किया जा सके। लेकिन दुर्गूकोंदल विकासखंड के ग्राम पंचायत परभेली में कुछ और ही मामला देखने को मिला है।
भानुप्रतापपुर से लगभग 30 किलोमीटर में ग्राम परभेली एवं सोनादाई के मध्य में स्थित रावली नाला पर वर्षाकाल के दिनों में लगभग चार माह तक पानी का तेज बहाव होता है, जिसके कारण गांव का सपंर्क टूट जाता है। क्षेत्र के लगभग 10-12 गांव के रहवासी अपने आवश्यकताओं का सामान लेने के लिए रावली नाला को जान जोखिम में डाल कर बेखौफ होकर नाला को पार करते हैं यदि किसी ग्रामीण की रात में अचानक स्वास्थ्य खराब हो जाए तो बड़ी मुश्किल से नाला पार कर उसे अस्पताल या डाक्टर तक लेकर जाते है। ऐसे में यह अधिक जोखिम भरा होता है तथा ग्रामीण अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
*जान जोखिम में डालकर नाला पार कर स्कूल जाने मजबूर बच्चे*- ग्राम जाड़ेकुर्से, परभेली एवं आस-पास गांव के स्कूली बच्चे पढ़ने के लिए लोहत्तर एवं उच्च शिक्षा अध्ययन हेतु पीजी कॉलेज भानुप्रतापपुर के लिए रावली नाला को पार करना पड़ता है। तेज बहाव के कारण नाले पर पुलिया के अभाव में स्कूल, कालेज पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। नाला के दोनो छोर में पक्की सड़क बनने के बावजूद नाला में पुल का निर्माण नहीं हुआ है। पानी का बहाव अधिक होने पर आमजनों को कोड़ेकुर्से मार्ग होते हुए दुर्गूकोंदल से भानुप्रतापपुर जाने में लगभग 60 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है, इसके कारण आने-जाने में परेशानी होती है। यदि रावली नाला में पुल का निर्माण होता हो यह दूरी 30 किलोमीटर पड़ेगा और उस क्षेत्र के लगभग 10-12 गांव के ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा।
*जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों का नहीं ध्यान*- नाले पर पुलिया बनाने अनेक बार शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई। लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इन ग्रामीणों का उपयोग मतदान के लिए किया जाता है। उसके बाद इनकी समस्याओं पर इन प्रतिनिधियों ने कभी ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।
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