*नये भारतीय न्याय संहिता में नये अपराध शामिल*:- *प्रशांत पैकरा*।
दुर्गुकोंदल:तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य संहिता एक जुलाई यानी सोमवार से देश में हो लागू हो गए हैं।उक्त भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ले चुके हैं।उक्त बातें प्रशांत पैकरा एडडीओपी भानुप्रतापपुर के द्वारा उमाकान्त जायसवाल तहसीलदार,योगेश सोनी टीआई,श्रीमती पार्वती सोरी सरपंच ग्रामपंचायत दुर्गुकोंदल,शकुंतला नरेटी उपाध्यक्ष महिला मोर्चा बीजेपी, श्रीमती रीना नरेटी सरपंच ग्रामपंचायत खुटगांव की उपस्थिति में दुर्गुकोंदल क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, ब्यवसायियों, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े प्राचार्य, ब्याख्याता, शिक्षको, विद्यार्थीगणों
कि उपस्थिति में पुलिस थाना दुर्गुकोंदल में एक जुलाई सोमवार को एक दिवसीय नवीन आपराधिक विधि संग्रह के संबंध में कार्यक्रम के तहत बताई गई।पैकरा ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि नए भारतीय न्याय संहिता में नए अपराधों को शामिल गया है। जैसे- शादी का वादा कर धोखा देने के मामले में 10 साल तक की जेल। नस्ल, जाति- समुदाय, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा, छिनैती के लिए तीन साल तक की जेल,यूएपीए जैसे आतंकवाद-रोधी क़ानूनों को भी इसमें शामिल किया गया है।एफ़आईआर, जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गई है. अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फ़ैसला देना होगा, शिकायत के तीन दिन के भीतर एफ़आईआर दर्ज करनी होगी।एफ़आईआर अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से दर्ज की जाएगी। ये प्रोग्राम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तहत काम करता है. सीसीटीएनएस में एक-एक बेहतर अपग्रेड किया गया है, जिससे लोग बिना पुलिस स्टेशन गए ऑनलाइन ही ई-एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। ज़ीरो एफ़आईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज हो सकेगी चाहे अपराध उस थाने के अधिकार क्षेत्र में आता हो या नहीं।पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी. लेकिन अब 60 या 90 दिन तक दी जा सकती है।भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को ख़तरे में डालने वाली हरकतों को एक नए अपराध की श्रेणी में डाला गया है।तकनीकी रूप से राजद्रोह को आईपीसी से हटा दिया गया है,जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगा दी थी, यह नया प्रावधान जोड़ा गया है। इसमें किस तरह की सज़ा दी जा सकती है, इसकी विस्तृत परिभाषा दी गई है।
आतंकवादी कृत्य, जो पहले ग़ैर क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष क़ानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है।इसी तरह, पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों समेत संगठित अपराध में तीन साल की सज़ा का प्रवाधान है।
शादी का झूठा वादा करके यौन को विशेष रूप से अपराध के रूप में पेश किया गया है।इसके लिए 10 साल तक की सज़ा होगी।व्याभिचार और धारा 377, जिसका इस्तेमाल समलैंगिक यौन संबंधों पर मुक़दमा चलाने के लिए किया जाता था, इसे अब हटा दिया गया है।जांच-पड़ताल में अब फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने को अनिवार्य बनाया गया है।
सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग, जैसे खोज और बरामदगी की रिकॉर्डिंग, सभी पूछताछ और सुनवाई ऑनलाइन मोड में करना।
अब सिर्फ़ मौत की सज़ा पाए दोषी ही दया याचिका दाखिल कर सकते हैं।जैसे अन्य जानकारी दी गई।ततपश्चात कार्यक्रम में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, ब्यवसायियों,पत्रकारों, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हस्तियां, विद्यार्थीगणों से स्वतंत्र रूप से विचार व सवाल जवाब आमंत्रित किया गया।जिस पर डॉ चंदन बैरागी के द्वारा कुछ सुरक्षा के उपाय पर सुझाव मांगे तो मॉब लिंचिंग को लेकर बाबूलाल कोमरे,इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की स्वीकार्यता पर एआई की प्रासंगिकता को लेकर संजय वस्त्रकार द्वारा तो जीरी एफआईआर पर डॉ डी एल बढाई ने सवाल किए जिस पर एसडीओपी के द्वारा विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। उक्त कार्यक्रम में सुरेंद्र बंजारे मुख्य कार्यपालन अधिकारी दुर्गुकोंदल,डॉ चंदन बैरागी,श्रीराम बघेल,डॉ डी एल बढ़ाई,श्रीधर दास,बाबूलाल कोमरे, संजय वस्त्रकार,बैजनाथ नरेटी,अशोक जैन,देवलाल नरेटी,बालमुकुंद सिन्हा, विनोद पारख,गणेश वारे,शिवभुवन सिंह,शिवचरण सिन्हा संवाददाता दैनिक भास्कर, आनंद माहवे संवाददाता पत्रिका समूह आर के किशीरे, नंदिनी दीवान,हरीश नागराज,प्रमोद यादव व बड़ी संख्या में विद्यार्थी,कर्मचारी,आमजन उपस्थित थे।अंत मे आभार योगेश सोनी टीआई द्वारा ब्यक्त किया गया।
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