*गढ़चिरौली महाराष्ट्र से गोटूल की मौखिक शोध करने 6 सदस्य टीम, जंगोरायतार विद्या केतुल व शोध संस्थान दमकसा पहुँची,हुआ भव्य स्वागत*
दुर्गूकोंदल । गोंडवाना युनिवर्सिटी गढ़चिरौली महाराष्ट्र से आज शाम गोटुल की मौखिक इतिहास की शोध करने इतिहास विभाग के प्रमुख के साथ सहायक प्रोफेसरों की 06 सदस्य टीम जंगोरायतार विद्या केतुल एवं शोध संस्थान दमकसा दुर्गूकोंदल जिला कांकेर में आगमन हुआ।जिनका स्वागत परम्परागत तरीके से पीला चांवल का टीका लगा कर शोध संस्थान प्रमुख श्री शेरसिंह आचला एवं सदस्यों द्वारा किया गया। गोटुल के सम्बन्ध में आज तक लोग कई प्रकार की धारणाएं बना रखें हैं क्योंकि इतिहासकारों ने अपने - अपने तरीके से अलग-अलग ब्याख्या कर रखी है जो जमीनी हकीकत से कोसों दूर रहा है क्योंकि जिस समुदाय के लोगों का गोटुल से नजदीकी रिश्ते रहे हैं उनके द्वारा इस विषय पर किसी प्रकार की लिखित दस्तावेज रखने की आवश्यकता नहीं समझा जिसे और लोगों के द्वारा मनमाने ढंग से परोसा जाता रहा है । आज की स्थिति में यदि देखें तो गोटुल प्रथा समाप्त हो चुका है जो कि पुराने लोगों में मौखिक तौर पर शेष है जिसे गोंडवाना युनिवर्सिटी की टीम शोध कर वास्तविकता को इतिहास के पन्नों में उकेरने का प्रयास करेंगे। दल के द्वारा बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करेंगे।
गोंडवाना यूनिवर्सिटी गडचिरोली के प्रोफेसर और शोधार्थियों का आगमन आज गोटूल हुलुंग में हुआ, गोंड एवम माड़िया समुदायों के गोटूल संस्थान के मौखिक इतिहास(महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़) विषय पर शोध संचालन में सहयोग के लिए रहा जिसमें गोंडी भाषाचार्य एवम पर्यावरण विद तिरु.शेर सिंह आचला शोध एवं अध्ययन संस्था दमकसा छ ग, डॉ नरेश मड़ावी परियोजना निर्देशक , डॉ संतोष सुरडकर परियोजना सह निर्देशक महेंद्र उसेंडी अनुसधान सहायक , ग्राम सुलंगी के प्रबुद्धजन एवम गोंडी जानकार उपस्थित रहे
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