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Durgkondal: आईटीआई दुर्गूकोंदल में कारगिल विजय दिवस मनाया,जवानों की शहादत को किया सलाम*

*आईटीआई दुर्गूकोंदल में   कारगिल विजय दिवस मनाया,जवानों की शहादत को किया सलाम*

*भारतीय सैनिकों के अदमय साहस और वीरता का प्रतीक कारगिल विजय- विकास राजु नायक* 





दुर्गूकोंदल | 25वाँ कारगिल विजय दिवस औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था दुर्गूकोंदल में मनाया गया और माँ भारती के रक्षा के लिए अपनी प्राणों की आहुति देने वाले शहीद वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, कार्यक्रम में श्री देवानंद ध्रुव प्रभारी प्राचार्य, प्रशिक्षण अधिकारी श्री भूपेंद्र कुमार गजेंद्र, कु. हीना साहु सहित भाजयुमो महामंत्री विकास राजु नायक ने कार्यक्रम के सम्बोधित किया और कारगिल दिवस के बारे में बताया।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये विकास राजु नायक ने कहा कि धन्य है वो वीर सपूत जिन्होंने ऊँचा किया माँ भारती का माथा रणबांकुरो के शौर्य और पराक्रम की कारगिल स्वयं सुनाता है विजय गाथा* कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारतीय सैनिकों के अदमय साहस का प्रतीक है, 5 मई 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान श्रीनगर-कारगिल राजमार्ग दुश्मनों के सीधे निशाने पर रहा, पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की पहाड़ी चोटियों मई से जुलाई महीने में युद्ध हुआ। युद्ध करीब 84 दिनों तक चला। 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ युद्ध आधिकारिक तौर पर खत्म हुआ। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 84 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी, प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे। तब भारतीय सैनिकों ने सबसे कठिन तोंगोलीन और टाइगर हिल्स जैसे जगहों पर भारत का तिरंगा लहराया और तब से आज के दिन कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है और आज के दिन भारत के प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति नई दिल्ली में शहीदों को श्रद्धांजलि देते है और सैनिकों की याद में प्रत्येक वर्ष कारगिल विजय दिवस पर पुरे भारत में कार्यक्रम आयोजित किये जाते है ,इस कार्यक्रम में आईटीआई दुर्गूकोंदल के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा निबंध, चित्रकला एवं भाषण का आयोजन किया गया जिसमें डेविड कुमार, नर्रोतम निषाद, गीता उसेंडी, साक्षी नरेटी, अनिल, मिथलेश चुरेंद्र, मोहित कोश्मा, वीणा जैन, लीना निषाद, गौतम मंडावी, आरती कोवाची, मालती कांगे, विद्या कोरचा, विद्या गावड़े, ने भाग लिया, कार्यक्रम में आईटीआई के  अरुणा, प्रीतिका, उमेश्वरी, नर्रोतम जैन, भूमिका, सरिता, उषा, कुंती, नोहरबत्ती, सरस्वती, गुलशन, मंजू, उमभारती, मिथलेश कुलदीप, विदेश, अनूप, योगिता, साधना, सहित प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे |

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