कोमाखान मां दुर्गा की प्रतिमाओं को दे रहे अंतिम जीवंत रूप ।
ब्यूरो रिपोर्ट महासमुन्द
पितृ पक्ष समाप्ति के बाद अब नवरात्र प्रारंभ हो जाएगी, मां शाकम्बरी मूर्ति कला केंद्र में पटेल बंधु दे रहे मूर्ति को अंतिम रूप । मूर्तिकार दीपक पटेल ने बताया की खेल खेल में नंदिया बैला,जाता चुकता वा गौरा गौरी की मूर्त्ति बनाने से शुरू हुआ शौक अब बड़े व्यवसाय प्रतिवर्ष 5,से 6 लाख में परिवर्तित हो चुका है । हमने जब पंडाल में प्रवेश किया तो बहुत ही तल्लीनता से दोनों भाई मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए थे ,छेत्र के लोग अब उनकी बनाए मूर्तियों को देख हैरान होने लगे है । मूर्तिकार दीपक पटेल ने बताया की मिट्टी लाने का काम फसल कटने के बाद से फागुन माह तक चलता है खासकर बिंद्रावन ग्राम के जोंक नदी किनारे से दोमट वा काली मिट्टी का संग्रहण किया जाता है जो मूर्ति बनाने हेतु उत्तम किस्म की मिट्टी मानी जाती है । गोलू पटेल ने बताया कि गणेश उत्सव के बाद से ही दुर्गा जी की मूर्ति बनाने का काम चालू हो जाता है तथा पंडाल सजने की तैयारी होने लगती है प्रतिदिन 8 से10 घंटे मिट्टी से शुद्ध मेहनत करके अपनी कलाकारी को देते है अंजाम तब जाके जीवंत मूर्ति बन पाती है । प्राकृतिक रंगों का स्तेमाल कर इको फ्रेंडली मूर्ति बनाने का करते है प्रयास पी.ओ.पी का नहीं करते स्तेमाल ताकि विसर्जन में न हो तकलीफ ।
दूर दूर से आते है लोग मूर्ति का ऑर्डर करने ओडिशा खरीयार रोड, पदमपुर तथा छत्तीसगढ़ से भी लोग ले जाते है अपनी मन पसंद मूर्ति ।इस वर्ष 3अक्टूबर से कलश स्थापित कर नौ दिनों तक होगी मां के विभिन्न रूपों की पूजा ।
0 Comments