*दर्ज संख्या 100 मात्र दो शिक्षिका गढ़ रहे हैं छात्रों का भविष्य*
रिपोर्टर --जयविलास शर्मा
*आदिवासी बालक आश्रम धवलपुर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
गरियाबंद --जिले के बीहड़ों के बीच बसा मैनपुर विकासखण्ड के धवलपुर का आदिवासी बालक आश्रम इन दिनों भविष्य गढ़ने वाले शिक्षकों के अभाव से जुझ रहा है।शिक्षक के अभाव को लेकर जहां छात्र आक्रोश में है वहीं पालकों में पढ़ाई और परिणाम को लेकर चिंता है। आश्रम में छात्रों की दर्ज संख्या 100 से अधिक है और इन सौ छात्रों के भविष्य गढ़ने के लिये मात्र दो शिक्षिकाएं पदस्थ हैं ऐसे में भला इन छात्रों का भविष्य कैसे उज्जवल हो सकता है।उस पर भी कई कार्यालयीन कार्य होतें है एक शिक्षिका को उस कार्य में संलग्न रहना पड़ता है जिससे अध्यापन कार्य प्रभावित रहता है।मुख्य मार्ग पर सरकार के इस आश्रम के बुनियादी सुविधाओं पर ना तो किसी अधिकारी का नजर पड़ता है और ना ही अब तक कोई जन प्रतिनिधि इसकी सुध लेने पहुंचे हैं।
*27 वर्ष पुराना आश्रम पूर्व में सैकड़ों छात्रों का उत्कर्ष विद्यालयों में हुआ है चयन*
मैनपुर के धवलपुर का बालक आश्रम 27 वर्ष पहले 1997 मैं संचालित हुआ।जनता की मांग पर आदिम जाती कल्याण विभाग ने इसकी स्वीकृति दी पर आश्रम के बुनियादी अभाव पर विभाग अभी ध्यान नहीं दे रही है।कुछ वर्ष पहले शिक्षकों की संख्या संतोषजक थी परिणाम भी अच्छे थे तब इसी आश्रम के दो से ढाई सौ छात्रों का चयन जवाहर नवोदय,जवाहर उत्कर्ष और एकलव्य जैसे उत्कृष्ट विद्यालयों में चयन हुआ था पर अब शिक्षक के अभाव में पढ़ाई प्रभावित हैं और छात्रों का चयन नहीं हो पा रहा है।
*तीन बार मांग के बाद पूरी नहीं हुई तो पालक छात्र और ग्रामीण दे रहे हैं आंदोलन की चेतावनी*
आश्रम में शिक्षकों के अभाव को लेकर 25 जुलाई, 27 जुलाई और फिर 01अगस्त को ग्रामीण व छात्रों ने आदिम जाति विभाग को शिक्षकों के पूर्ति करने मांग पत्र सौंपा था आश्वासन तो मिल गया पर उसकी पूर्ति आज तक नहीं हुयी।उसके बाद शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई की स्तर भी गिरने लगा।पालक कलेक्टर से मुलाकात कर शिक्षक की मांग किये थे कलेक्टर गरियाबंद ने भी जिला शिक्षा अधिकारी को शिक्षक भेजने के निर्देश दिये थे पर अभी तक पूर्ति नहीं हुयी।पालक और छात्रों में आक्रोश है सप्ताह भर में कम से कम दो शिक्षकों की पूर्ति नही हुयी तो आश्रम में तालाबंदी और सड़क जाम करने का चेतावनी दे रहे हैं।
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