**गंडई अस्पताल में छत से पंखा गिरने से महिला गंभीर घायल: स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का जीता-जागता सबूत**
संवादाता- मंदीप सिंह चौरे
**खैरागढ़, छत्तीसगढ़:** खैरागढ़ जिले के गंडई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक बार फिर अपनी बदहाल व्यवस्थाओं के चलते सुर्खियों में है। इस बार अस्पताल की छत से अचानक एक चलता पंखा गिर गया, जिसकी चपेट में आकर 45 वर्षीय चंदा बाई देवांगन गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह घटना अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।
**हादसे का विस्तृत विवरण:**
मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम कोगिया कला की निवासी चंदा बाई अपनी बेटी की डिलीवरी के लिए गंडई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आई थीं। वे अपनी बेटी के नवजात शिशु के पेट की सिकाई कर रही थीं, तभी यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। जैसे ही वह पंखे के ठीक नीचे बैठीं, तेज रफ्तार में घूमता पंखा अचानक उनके सिर पर आ गिरा। पंखे के सीधे सिर पर टकराने से चंदा बाई मौके पर ही अचेत हो गईं। इस भयावह हादसे में गनीमत रही कि उनके साथ मौजूद उनका नवजात पोता पूरी तरह सुरक्षित रहा।
घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने तुरंत चंदा बाई का उपचार शुरू किया। उनके सिर पर तीन टांके लगाए गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार, महिला की हालत फिलहाल खतरे से बाहर बताई जा रही है, लेकिन इस घटना ने उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से झकझोर दिया है।
**अस्पताल की अव्यवस्थाओं का पुराना रिकॉर्ड:**
यह कोई पहला मौका नहीं है जब गंडई अस्पताल में अव्यवस्थाओं और लापरवाही का मामला सामने आया हो। पूर्व में भी इस अस्पताल से दवाओं की कमी, डॉक्टरों की गैरमौजूदगी और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव की शिकायतें मिलती रही हैं। स्थानीय निवासियों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह सब दर्शाता है कि मरीजों की जान की कीमत यहां एक पुराने पुर्जे से भी कम समझी जाती है।
सवाल यह उठता है कि क्या अस्पताल प्रबंधन को यह नहीं दिखता कि वहां लगे पंखे कबाड़ हो चुके हैं और कभी भी गिर सकते हैं? क्या सालाना निरीक्षण केवल कागजों में ही होता है और जमीनी स्तर पर कोई रखरखाव नहीं किया जाता? इस हादसे ने यह साफ कर दिया है कि गंडई जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाओं से ज्यादा भरोसा अब किस्मत पर करना पड़ता है।
**प्रशासन की चुप्पी और जिम्मेदारी से बचना:**
इस गंभीर हादसे के बाद भी अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या बयान सामने नहीं आया है। आनन-फानन में घायल महिला का इलाज तो शुरू कर दिया गया और उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई, लेकिन इस घटना की न तो कोई जांच समिति बनी और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने कोई बयान दिया। प्रशासन की यह चुप्पी उसकी लापरवाही और जवाबदेही से बचने की प्रवृत्ति को दर्शाती है।
यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि सरकार भले ही बड़े-बड़े सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के सपने दिखा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत ग्रामीण क्षेत्रों में किसी पुराने भवन की छत से गिरते पंखे से ज्यादा मजबूत नहीं है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली अक्सर सुर्खियों में रहती है, जिसमें डॉक्टरों द्वारा रिश्वत मांगे जाने और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी खबरें शामिल हैं। इस तरह की घटनाएं मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से विश्वास कम करती हैं और उन्हें निजी स्वास्थ्य सेवाओं की ओर धकेलती हैं, जो अक्सर गरीब और मध्यम वर्ग के लिए वहनीय नहीं होतीं।
**जरूरी है ठोस कार्रवाई:**
इस घटना के बाद यह बेहद जरूरी है कि छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले। केवल इलाज कर देने से जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का गठन कर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान होनी चाहिए और उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही, गंडई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैसे सभी ग्रामीण अस्पतालों में उपकरणों के रखरखाव, सुविधाओं की उपलब्धता और डॉक्टरों व कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए नियमित और पारदर्शी निरीक्षण प्रणाली लागू की जानी चाहिए। मरीजों की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवा उनका मौलिक अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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