संवाददाता राम प्रताप सिंह की रिपोर्ट बेलगहना.......
बेलगहना–लुफा मार्ग की वो तस्वीरें देखकर दिल बैठ जाता है… सड़क किनारे मरी पड़ी गाय और उसके पास खड़े नन्हे बछड़े की बेबसी मानो बोल रही हो—
“मेरा साथी तो चला गया… अब मैं कहाँ जाऊं?”
कहते हैं तस्वीरें बोलती हैं, और यह तस्वीर तो इंसानियत की मौत का पोस्टर बन गई। दिनदहाड़े किसी बेलगाम भारी वाहन ने मवेशी को कुचल दिया और लोग ऐसे निकलते रहे जैसे सड़क पर लकड़ी पड़ी हो!
न कोई रुकने की कोशिश…
न हटाने की…
न सहानुभूति की…
बस चुप्पी… और बेपरवाही।
भला हो बेलगहना के उपसरपंच का, जिन्होंने सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर मवेशी को सम्मानपूर्वक सड़क से हटवाया।
वरना यह ‘हैवानियत की गवाही देती लाश’ पता नहीं कब तक सड़क पर अपमान झेलती रहती।
---
**हाईकोर्ट के आदेश धरे के धरे!
फिर भी सड़कें बनीं “डेथ ट्रैप”**
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट कई बार सख्त निर्देश दे चुका है कि—
आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाया जाए
दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की होगी
मवेशियों को खुला छोड़ने वाले पशुपालकों पर जुर्माना लगाया जाए
पंचायत और नगर निकाय रात की ‘कैटल पेट्रोलिंग’ करें
लेकिन हकीकत में, हालात शहरी हाईवे से निकलकर अब ग्रामीण सड़कों पर भी खौफनाक रूप लेने लगे हैं।
बेलगहना–लुफा जैसे मार्ग आज ‘मवेशी दुर्घटना हॉटस्पॉट’ बन चुके हैं—
गाड़ियों की रफ्तार और बेजुबानों की मजबूरी…
टक्कर में मरता कौन है?
हमेशा वही… जो बोल नहीं पाता!
---
**दोषी कौन?
वाहन चालक… प्रशासन… या खुद पशुपालक?**
सवाल बड़े हैं—
आखिर कितने आदेशों के बाद प्रशासन जागेगा?
कब तक ग्रामीण सड़कों पर मवेशियों की लाशें यूँ ही दिखती रहेंगी?
और पशुपालक कब तक अपने मवेशियों को ‘आवारा’ छोड़कर खतरे में डालते रहेंगे?
अगर अब भी कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो यह मौतों का सिलसिला ‘आम बात’ बन जाएगा, और रोज किसी न किसी सड़क पर ऐसी संवेदनहीन तस्वीरें जन्म लेंगी।
---
**ग्रामीणों की मांग—
सख्त नजर, सख्त कार्रवाई!**
स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि—
बेलगहना क्षेत्र में रात का निरीक्षण बढ़े
भारी वाहनों की स्पीड मॉनिटरिंग हो
मवेशी मालिकों पर सख्त कार्रवाई हो
पंचायत स्तर पर कैटल-शेल्टर की व्यवस्था की जाए
क्योंकि अगर अब नहीं… तो शायद अगली तस्वीर में कोई और बेबस बछड़ा अपने साथी के पास खड़ा मिलेगा।


0 Comments