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BALRAMPUR: तातापानी के अलावा बलरामपुर जिले के अन्य पुरातात्विक ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों पर महोत्सव के आयोजन व विकास कार्य प्रारंभ हों-: सुनील सिंह

तातापानी के अलावा बलरामपुर जिले के अन्य पुरातात्विक ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों पर महोत्सव के आयोजन व विकास कार्य प्रारंभ हों-: सुनील सिंह



रामजीवन यादव 




बलरामपुर राजपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी बलरामपुर रामानुजगंज के प्रवक्ता व अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी राजपुर सुनील सिंह ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मांग की है की ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों के अलावा तातापानी महोत्सव की तरह आयोजन की परंपरा आगे बढ़ाई जाए ताकि जिले के विभिन्न विकास खंडों में स्थित जिले की संस्कृति गौरवशाली परंपरा पुरातात्विक स्थलों के रूप में स्थापित प्राचीन धरोहरों से न केवल स्थानीय लोग बल्कि प्रदेश व देश के लोग परिचित हो सकें बलरामपुर जिले के कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल प्रदेश की नजरों से ओझल है जिस तरह से पिछले कुछ सालों में जिला प्रशासन तातापानी स्थल को विकसित किया है जहां गर्म पानी की जलधारा से मकर संक्रांति में लोग स्नान करने आते थे वहां भव्य मेला लगने के साथ-साथ विभिन्न तरह के आयोजनों से क्षेत्र को एक अलग पहचान मिल रही है साथ ही साथ स्थानीय परंपराओं से लोग परिचित हो रहे हैं परंतु विडंबना है की छठी से 12वीं शताब्दी के बीच शैव उपासकों की नगरी डिपाडीह आज भी जो कि सामरी विधानसभा क्षेत्र में है बलरामपुर जिले में उपेक्षित है जबकि प्रदेश के साथ देश में भी डीपाडीह के पुरातात्विक अवशेष को लोग देखने आते हैं।


सामरी विधानसभा क्षेत्र में जहां प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी गोरा लोटा स्थित है वहीं कोठी पत्थर में प्राचीन शिव मूर्तियों के अवशेष के अलावा प्राचीन शिव मूर्ति कोठी पत्थर राजपुर में के अलावा समूचा जिला प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है जिसमें सामरी पाट,अर्जुनगढ़,पवई जलप्रपात पलटन घाट रामानुजगंज, सीतारामपुर,लहसुन पाट,लंगड़ा पाट आदि रमणीय स्थलों के अलावा, बच्छराजकुंवर चलगली बाटीडांड धाम शिव मंदिर,श्रीकोट गुरु गहिरा आश्रम अभी उपेक्षित हैं।

इको टूरिज्म की दृष्टि से देखा जाए तो बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभयारण्य और सीतारामपुर की पहाड़ियां काफी अनुकूल है जोका पाट में चाय बागान के साथ-साथ पर्यटन विभाग के मॉडल रिसोर्ट की स्थापना कर प्रदेश के लोगों को जिले की ओर आकर्षित किया जा सकता है और क्षेत्र के कला संस्कृति प्राचीन धरोहर तक लोगों को ले जाकर एक दूसरे के बारे में जानने की कई संभावनाएं के साथ-साथ विकास के कई द्वार खुलेंगे पर्यटन से व्यवसाय व विकास की संभावनाएं बढ़ती हैं, क्षेत्रीय गीत- संगीत-खानपान को आगे बढ़ा कर जिले के छत्तीसगढ़ के पर्यटन के नक्शे में स्थापित किया जा सकता है।

सुनील सिंह ने आगे यह भी कहा है कि तातापानी महोत्सव की तरह बलरामपुर जिले के हर ब्लाक में ऐसे महोत्सव आयोजित किया जाए जिससे अंचल की लोक संस्कृति का विकास संभव हो और लोक कला संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को मजबूती से आगे बढ़ाया जा सके, अपने पत्र में श्री सिंह ने बलरामपुर जिला के पर्यटन संस्कृति के विकास के लिए प्राचीन मूर्तियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए लोक संस्कृति केंद्र की स्थापना और संग्रहालय की स्थापना की भी मांग की है। 

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