अक्षय तृतीया किसानों का पहला त्योहार में किसानों ने अपने खेत मे बीज बोआई कर मनाया दुबेलाल साहू
अक्षय तृतीया - परशुराम जयंती 🌸
महासमुंद ब्यूरो रिपोर्ट आशीष गुप्ता
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है.
भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था.
प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं. वृन्दावन स्थित श्री बाँके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढकें रहते हैं.
परशुराम जयंती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है. इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है.
भाजपा किसानमोर्चा जिला अध्यक्ष दुबेलाल साहू ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है , शास्त्रों में अक्षय तृतीया को युगादि तिथि कहा गया है इस दिन से कई युगों का आरंभ हूवा है और भगवान विष्णु के कई अवतार हु़वा है इस दिन सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ है अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर लड़ाई झगडे या गाली गलौज से बचना चाहिए इसमें अशुभ माना गया है शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह ,ग्रह प्रवेश ,व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना शुभ फल दायक होता है इस दिन मांशाहार, और शराब सेवन करने से अशुभ माना गया है । यह दिन किसानों का प्रथम त्यौहार है किसान अपने खेत में नियम विधि के साथ पूजा पुष्ट कर बीज बोवाई का शुरुवात करते है एवम किसानी कार्य आज के दिन से आरंभ हो जाता है किसान बरसात ,खरीफ फसल की तैयारी में जुट जाती है अक्षय तृतीया के दिन जमीन,सोना चांदी, खरीदी करने पर शुभ माना गया है।।और प्लास्टिक, कांच वस्तु जैसे समान खरीदी करने पर अशुभ माना गया है
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