*वर्मी खाद खरीदने किसानों को किया जा रहा परेशान*
*कृषिमंत्री के विधानसभा मुख्यालय में किसानों को जबरदस्ती दिया जा रहा खाद*
*खाद की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवाल*
टुमेश जायसवाल बेमेतरा साजा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोठानो में तैयार किया गया वर्मी खाद जिसे सरकारी फरमान के अनुसार सहकारी समितियों में भंडारण कर वर्तमान में समितियों से खरीफ सीजन के लिए केसीसी ऋण अंतर्गत किसानों द्वारा उठाए जा रहे कर्ज खाद बीज नगद राशि के साथ किसानों को भंडारण किए वरमी खाद को किसानों के मर्जी के बिना दबाव पूर्वक प्रति एकड़ 3 बोरी प्रति बोरी 30 किलोग्राम 10 रुपए किलो की दर से लगभग 90 किलो ग्राम के माप दंड से थमाया जा रहा है जिसकी लागत 300 रुपए प्रति बोरी अर्थात किसानों को वर्मी खाद देने के नाम पर सीधे तौर से 900 रुपए प्रति एकड़ का अतरिक्त कर्ज बोझ सरकार द्वारा दिया जा रहा किसानों से प्राप्त जानकारी में यह भी तथ्य सामने आ रहे की वर्मी खाद लेने से इंकार करने पर अन्य खाद बीज नगद भी नही देने की बात कही जा रही गौरतलब हो की लगभग किसानों के घरों में पशु होने से वे स्वय गोबर खाद का निर्माण करते हे और खेतो में फसल बोनी के पूर्व इसका छिड़काव कर बीज की बोनी करते हे ऐसे में किसानों के साथ जबरदस्ती कर उन्हे गुणवत्ता हीन वरमी खाद थमाकर एक तरफ किसानों को कर्ज में लादा जा रहा ओर उन्हे बे वजह परेशान किया जा रहा है और ऐसा आलम है प्रदेश के कद्दावर नेता और कृषिमंत्री रविंद्र चौबे के स्वयं के गृह विधानसभा मुख्यालय और क्षेत्र में है जब कृषिमंत्री के स्वयं के क्षेत्र में किसानों की ऐसी दुर्दशा हे तो पूरे प्रदेश का भगवान ही मालिक होगा वर्मी खाद के विक्रय को लेकर किसानों को वितरण करने समूचा प्रशासनिक अमला लगातार निगाहे गड़ाकर किसानों के जेब ढीली करवाने बेताब बैठा नजर आ रहा है। जो की किसानों के साथ अन्याय और शोषण है।
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