अपनों के विरोध से टेकाम का उत्साह हुआ फीका
केशकाल विधानसभा में टिकट को लेकर घमासान जारी
राज शार्दुल
कोंडागांव ----- पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने सरकारी नौकरी छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। उन्होंने केशकाल में एक भव्य कार्यक्रम में प्रदेश के नेताओं के समक्ष भाजपा प्रवेश किया था। उनके साथ सैकड़ो समर्थकों ने भी भाजपा प्रवेश किया है। नीलकंठ टेकाम का भाजपा प्रवेश हो रहा था तब 10 वर्षों के बाद भाजपाईयो में अलग चमक दिखाई दे रही थी भाजपाइयों की माने तो उस कार्यक्रम ने कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी थी किंतु दो दिन बाद भाजपा खेमों में बट गई और कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया स्वयं नीलकंठ टेकाम भी शांत मुद्रा में आ गए।
खेमों में बंटी भाजपा
जैसे ही नीलकंठ टेकाम का भाजपा प्रवेश हुआ वैसे ही भाजपा अलग-अलग खेमों में बंट गई। भाजपा के स्थानीय दावेदार हाई कमान से नाराजगी जताने रायपुर पहुंच गए थे दावेदारों के अलावा उसमें मंडल के पदाधिकारी भी शामिल थे। स्थानीय नेताओं ने कहा कि उन्हें नीलकंठ टेकाम कतई स्वीकार नहीं है। स्थानीय दावेदारों ने उन्हें बाहरी बताकर उनका विरोध शुरू कर दिया है। हालांकि मान मनौव्वल का दौर भी शुरू हो गया है तथा अंततः नीलकंठ टेकाम पर ही मुहर लगने की बात कही जा रही है। बता दें कि केशकाल में कांग्रेस के विधायक संत राम नेताम जो कि विधानसभा उपाध्यक्ष हैं। उनके पास जनबल धनबल जबरदस्त दिखाई दे रहा है। वह अपनी ताकत का एहसास कराने चौपहिया वाहनों का काफ़िला निकालते हैं तो देखते ही बनता है। उनके मुकाबले केशकाल भाजपा में कोई दावेदार मजबूत स्थिति में नहीं दिख रहा है जिस पर पार्टी जीत का भरोसा कर सके। विगत चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति रही। जिसके चलते ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया गया था जिनका पार्टी में कोई खास योगदान नहीं था किंतु गायत्री मिशन से जुड़े संस्कारी प्रत्याशी बताकर उन पर पार्टी ने विश्वास जताया था किंतु तब मामला उलटा पड़ा और भाजपा को पहले के मुकाबले दो गुना अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इसी के चलते भाजपा इस बार प्रत्याशी चयन को लेकर कोई चूक नहीं करना चाहती। इस बार नीलकंठ टेकाम को केशकाल विधानसभा में ऊर्जावान प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के द्वारा आम सभा में नीलकंठ टेकाम को आने वाले विधानसभा में जिताने की अपील के पश्चात उनकी टिकट पक्की मानी जा रही है किंतु जब तक पार्टी दूसरी लिस्ट जारी नहीं कर देती तब तक उन्हें अभी दावेदार ही कहा जा रहा है।
यहां नीलकंठ टेकाम के नाम को लेकर एक अलग उत्साह दिखाई दे रहा है भाजपा में टिकट के दावेदारों एवं उनके कुछ समर्थकों के द्वारा नीलकंठ टेकाम को बाहरी बताकर उनका विरोध किया जा रहा है किंतु यह समझ से परे है कि कांग्रेस के द्वारा भी उसी तर्ज पर उनका विरोध किया जा रहा है।
अभी कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही पार्टियों ने यहां अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है किंतु भाजपा को नीलकंठ टेकाम एवं कांग्रेस में संत नेताम को प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है। संत नेताम ने प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है। साथ ही वे नीलकंठ टेकाम पर गंभीर आरोप लगान शुरू कर दिए हैं। उन्होंने भाजपा को सुझाव दिया है कि भाजपा को भी स्थानीय व्यक्ति को ही टिकट देना चाहिए। संत नेताम ने कहा है कि भाजपा के नेता स्थानीय लोगों की उपेक्षा करके बाहरी व्यक्ति को मैदान में उतार रहे हैं। अब यह तो टिकट की घोषणा के पश्चात ही पता चल पाएगा कि भाजपा कांग्रेस विधायक के सलाह पर अमल कर पाती है या यहां पुनः पर्यवेक्षक भेज कर प्रत्याशी चयन को लेकर सलाह मशविरा करती है।
बता दें कि कांग्रेस विधायक संत राम नेताम दूसरी बार केशकाल विधानसभा में चुनाव जीत कर आए हैं पहली बार 2013 में उन्हें सेवक राम नेताम को 8689 वोटो से हराया था तब संत नेताम को 53867 वोट मिले थे और सेवक राम नेताम को 45178 वोट मिले थे।
दूसरी बार 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने पुनः संत राम नेताम पर विश्वास जताया जबकि भाजपा ने प्रत्याशी बदलकर हरिशंकर नेताम को मैदान पर उतारा। इस बार संत नेताम को 73470 वोट मिले थे तथा हरिशंकर नेताम को महज 56498 मत ही मिल पाए थे। संत नेताम ने पहले के मुकाबले दो गुने मतों से जीत दर्ज किया उन्होंने भाजपा के हरिशंकर नेताम को 16972 वोटो से हराया। 2018 के चुनाव में 83.47 फ़ीसदी मतदान हुआ था।
फोटो -- भाजपा प्रवेश के वक्त नीलकंठ टेकाम प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के साथ
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