मोक्षदायनी है श्रीमद् भागवत की कथा: तिवारी*
पाली में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ
कोरबा पाली शशि मोहन कोशला
नगर पंचायत पाली के इंदिरा नगर टावर मोहल्ले में बाजे-गाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई। वैदिक मंत्रोच्चार, पूजन अर्चन के साथ विधिवत सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आरंभ हुआ।
स्वर्गीय भगवत प्रसाद राठौर की पुण्य स्मृति में राठौर परिवार के तत्वाधान में आयोजित भागवत कथा के प्रथम दिन कथा व्यास से भागवत आचार्य पंडित कौशल मणि तिवारी ने कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है तब ऐसा अनुष्ठान होता है।भागवत कथा श्रवण मात्र जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं. श्रीमद्भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान करते हुए कहा कि सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। कथा व्यास ने आगे बताया कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। श्रीमद् भागवत महापुराण वेदों का सार है, जब ज्ञान वैराग्य की मूर्छा दूर करने के लिए ऋषियों ने देवर्षि नारद से कहा किआप ज्ञान और वैराग्य को जगाने के लिए उन्हें श्रीमद् भागवत महापुराण सुनाओ। नारज जी ने कहा कि ऋषिवर मैंने उन्हें सारे वेद और उपनिषेद सुना दिए हैं। जब वेदों व उपनिषेदों से कोई फायदा नहीं हुआ तो भागवत पुराण से क्या फायदा होगा। ऋषियों ने कहा कि भागवत महापुराण सभी ग्रंथों का सार है, जो फायदा सार शिक्षा से होता है वह पूरी कहानी पढ़ने से नहीं होता है। य़ह ज्ञानियों का चिंतन, संतो का मनन, भक्तों का वंदन तथा भारत की धड़कन है। किसी का सौभाग्य जब शिखर पर होता है तब उसे श्रीमद् भागवत पढ़ने, कहने व सुनने को मिलती है। पंडित श्री तिवारी ने कहा कि भागवत अमृत की भांति है, इसके सुनने से मनुष्य भवसागर में तर जाता जाता है। इसके सुनने से मनुष्य भवसागर से तर जाता है। परमात्मा का नाम नहीं ले तो वह जीवन में पशु के समान है।उन्होंने कहा कि कण-कण में भगवान हैं। आप जिस रूप में भगवान को याद करें वही रूप भगवान का है। जरूरी नहीं है कि आप का स्मरण करने के लिए मंदिर जाएं। जरूरी है कि भगवान का स्मण करने के लिए मन मंदिर को सजाएं और उनकी भक्ति करें। इससे जीवन के सारे दुख और संकट को सहने की शक्ति आपको मिलेगी। राठौड़ निवास में यह कथा प्रतिदिन दोपहर 3:00 से देर शाम तक चल रही है .इसका समापन 28 दिसंबर को सहस्त्र धारा, हवन पूर्णाहुति के साथ होगा.
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