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Kanker: धान से भर गया खरीदी केंद्र...उठाव नहीं होने के चलते बढ़ी समस्या...कई केंद्रों में खरीदी बंद..

रिपोर्टर - प्रसेनजीत साहा

ब्यूरो हेड कांकेर

दिनांक – 02/01/2024

मो.नं.- 09479015116


 - धान से भर गया खरीदी केंद्र...उठाव नहीं होने के चलते बढ़ी समस्या...कई केंद्रों में खरीदी बंद....*






कांकेर - छत्तीसगढ़ में धान खरीदी शुरू हो गई हैं लेकिन समय पर धान का परिवहन ना होने की वजह से खरीदी केंद्रों ने धान खरीदी बंद करने का निर्णय लिया है। कांकेर जिले के बांदे लैंप्स और कोरेनार में पिछले पांच दिनों से धान खरीदी बंद है। प्रबंधन ने एक नोटिस दीवाल पर चिपकाकर जगह होने नहीं होने का कारण देते हुए खरीदी केंद्र को बंद कर दिया है।


मिली जानकारी के अनुसार, बांदे लैंप्स और कोरेनार लैंप्स के धान खरीदी केंद्रों में पिछले पांच दिनों से खरीदी बंद है। पिछले दो 1 नवंबर से अब तक 50 फीसदी ही खरीदी हो पाई है। ऐसे में महज एक महीने का समय और बचा हुआ है, जिसमें धान खरीदी कर पाना खरीदी केंद्रों के लिए असंभव प्रतीत हो रहा है। धान का परिवहन ना होने की वजह से खरीदी केंद्रों में धान की छल्लियों का अंबार लगा हुआ है और साथ ही साथ धान में सुखता ही जा रहा है।  लेकिन प्रशासन अब तक धान का उठाव करने में नाकामयाब हो रहा है। जबकि धान खरीदी जारी हुए दो महीने बीत चुके हैं।


*8 खरीदी केंद्रों में लटका ताला....*


बांदे विकासखंड के 8 खरीदी केंद्रों में ताला लटका हुआ दिखाई दे रहा है। खरीदी केंद्र की दिवार पर एक नोटिस चस्पा की गई है, जिसमें साफ लिखा हुआ है कि, खरीदी केंद्र में धान का परिवहन ना होने की वजह से जगह नहीं है। इसलिए खरीदी केंद्र बंद किया जा रहा है, नतीजतन किसान परेशान हो रहे हैं। खरीदी केंद्र के कर्मचारियों ने बताया कि, हमनें उच्च अधिकारियों को जानकारी दी है लेकिन उसके बाद भी अब तक परिवहन चालू नहीं किया गया है। जबकि इतना कम समय बचा हुआ है ऐसे में अगर खरीदी ऐसे ही बंद रहा तो पूर्ण रूप से धान खरीद पाना सम्भव नहीं होगा। 


*खरीदी केन्द्र बंद होने से किसान की बढ़ी चिंताये...* 


वहीं खरीदी केन्द्र बंद होने से किसान अपनी फसल को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं कि किसानों का धान अगर समय पर नहीं खरीदा गया तो उनको धान का सही समय पर भुगतान नहीं मिल पाएगा जिससे किसानों के द्वारा लिए गए किसान लोन का भुगतान कैसे कर पाएंगे। साथ ही साथ धान के फसल के बाद जो जो किसान मक्के की खेती के लिए तैयार रहते हैं वह खेती करना और खाद बीज खरीदना उनके लिए नामुमकिन साबित हो रहा है। ऐसे में यदि कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो किसानों के साथ सरकार को भी काफी नुकसान सहना पड़ सकता है।

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