*लंबित मांग पर सरकार की चुप्पी वनकर्मी एक फरवरी से चले गये अनिश्चितकालीन हड़ताल पर*
*जिले का जंगल असुरक्षित वन्य प्राणियों का सुरक्षा भी खतरे में
गरियाबंद --छग वन कर्मचारी संघ के आवाह्न पर वनकर्मी फिर एक फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये है ।इसके पहले कोरोना काल में भी इनको अपने चार सूत्रीय मांगों को लेकर लम्बे समय तक हडताल करना पड़ा था जिसके बाद सरकार और संघ के बीच हुये समझौते पर वापस भी लौटे थे।सरकारें बदलती रही वादे होते रहे पर वनकर्मीयो की लम्बित मांगे पूरी न हो सकी तो छग के सभी नाराज वन कर्मचारी फिर से हड़ताल चले गये है।छग में एकबार फिर से जंगल और जंगली जानवर असुरक्षित हो गये है।
*क्या है वन कर्मचारीयो का वर्षों पुराना लंबित मांग जिसके लिये वनकर्मी आंदोलन की राह पर*
उप वन क्षेत्र पाल के 180 पद जो वर्ष 2009 में लघु वनोपज संघ के साथ हुये समझौते के आधार पर सृजित किए गए थे अब सरकार उसे विलोपित कर इसपर संविदा नियुक्ति प्रक्रिया चला रही है। वहीं वनरक्षक को 2400 वनपाल को 2800 और उप वनक्षेत्रपाल को 4200 ग्रेड पे स्केल का मांग भी है। विभागीय सेटअप और उसका पुनरीक्षण करने तथा वर्ष 2023 के जलवायु परिवर्तन विभाग के सौंपे निर्देश के परिपालन के लिये जिला कोषालय को निर्देशित करने जैसे चार लम्बित मांग को लेकर फिर से वन कर्मियों ने सरकार से लड़ाई छेड दिया है।
*गरियाबंद के बारह हजार कर्मचारी गांधी मैदान में हड़ताल पर बैठे*
वन कर्मचारी संघ गरियाबंद के जिला अध्यक्ष डोमार सिंह कश्यप और जिला सचिव दिनेश चंद्र पात्र ने एक संयुक्त जानकारी देते हुये बताया जिले सभी 12 हजार वन कर्मचारी हड़ताल पर हैं राज्य सरकार ने 25 जनवरी तक मांगों विचार करने कि आश्वासन दिया था पर इनके 15 वर्षों का लम्बित मांग पर कोई विचार नहीं हुआ इसलिये एक फरवरी को गरियाबंद के गांधी मैदान में आंदोलन पर बैठ गये है।
*जंगल और जंगली जानवर असुरक्षित तो तेंदूपत्ता संग्रहण भी होगा प्रभावित*
चूंकि छग का बड़ा भू भाग में जंगल हैं जहां आये दिन कीमती लकड़ी और वन्य प्राणियों के तस्करी की संभावना बनी रहती है पिछले बार जब वन कर्मचारीयो के हड़ताल से कई जंगल जले और वन्य प्राणी तस्करी के भी कई मामले देखे गये ।वन कर्मचारीयों के हड़ताल पर चले जाने से जहां जंगल और जंगली जानवर पर सुरक्षा का खतरा मंडरायेगा वही सरकार के महत्वपूर्ण तेंदुपत्ता संग्रहण भी प्रभावित हो जायेगा।
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