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Gariyaband: एन एच 130 सी निर्माण में ना सीबीआर के मापदण्ड का और ना जीएसबी के नियमों का हो रहा पालन*

*एन एच 130 सी निर्माण में ना  सीबीआर के मापदण्ड का और ना जीएसबी के नियमों का हो रहा पालन*


रिपोर्ट --जयविलास शर्मा


*ठेकेदार की मनमानी पर अफसर की चुप्पी भ्रष्टाचार नहीं तो आखिर क्या है?



गरियाबंद -- राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सी में मदांगमुडा से देवभोग उड़िसा सीमा तक 27.6 किमी के सड़क निर्माण के सिविल कार्यों में गुणवत्ता का जमकर अनदेखी हो रहा है। प्रदेश के अंतिम छोर  होने के वजह से ना जिम्मेदार अफसरों की नजर हैंऔर ना जनप्रतिनिधी इसका विरोध कर रहे हैं  ऐसे में ठेकेदार के देखरेख करने वाले लोगो का मनमानी धड़ल्ले से चल रहा है।एन एच 130 सी के चौथे हिस्से मदांगमुडा से देवभोग के इस सड़क निर्माण के लिये केन्द्रीय भूतल विभाग ने 95 करोड 73 लाख की राशि स्वीकृत की है जिसमें 84 करोड की राशि सिविल‌ कार्यों में व्यय होना है निर्माण के लिये बड़ी राशि स्वीकृति के बाद भी ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी के‌ नेशनल जोन के अनदेखी से स्तरहीन निर्माण हो रहा है।


*सी बी आर  और जीएसबी के मापदण्ड का नहीं हो रहा पालन,सड़क कैसे होगा टिकाऊ?*


एन एच 130 के 27.6किमी के सड़क निर्माण में मिट्टी का सीबीआर गुणवत्ता हीन है मिट्टी के उपयोग के पहले उसका परीक्षण होता है पर परीक्षण कर्ता को कभी परीक्षण करते नहीं देखा गया है।सीबीआर का मतलब कैलिफोर्निया वायरिंग रेशों होता है मतलब सड़क निर्माण में ऐसे मिट्टी का उपयोग होना चाहिये जिसमें भारी वाहनों को सहने की क्षमता हो इसमें रेतीले मिट्टी या दाना वाले मुरम को उपयुक्त माना गया है मगर ठेकेदार द्वारा प्रतिबंध के बावजूद ठेकेदार ने कम प्रति वर्ग मीटर भार सहन करने वाले  काली मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है जिससे सड़क गुणवत्ता हीन हो जायेगा और अपने समयावधि पूर्व ही उखड़ जायेगा। वैसे ही सड़क के बैस तैयार करने गिट्टी बजरी और डस्ट का उपयोग कर ग्रेनुअल सब बेस (जीएसबी) भी स्तरहीन बनाया जा रहा है।जीएसबी में अक्सर मिट्टी को भर दिया जा रहा है।


*रसुकदारों पर रहम तो किसानों के भूमि अधिग्रहण में मनमानी*


सड़क निर्माण में ठेकेदार ने गोहरापदर और देवभोग के बस्ती में रसुकदारों के मकान बचाने चौड़ीकरण को कम कर दिया तो वहीं मुडागांव में 32 मीटर की चौड़ाई से तुलसी बाई,केशरमणी चक्रधारी,खगेश्वर नेताम, रेखराम नेताम सहित कई किसान की जमीन बिना अधिग्रहण के सड़क खा गयी जबकि इस संबंध में विभाग का कहना है उसके ठेकेदार ने राष्ट्रीय राजमार्ग सीमा आर ओ डब्ल्यू का पालन किया है।इधर किसानों का कहना है जानकारी के अभाव में मुआवजे के लिए विभाग को आवेदन नहीं लगा सके।वही नाली निर्माण में भी बराबर लेवल नहीं लिये जाने को लेकर पीड़ित ग्रामीण परेशान हैं।


**ग्रामीणों के परेशानी का भी नहीं रखा जा रहा है ध्यान लोग फिसल कर गिर रहे हैं*


सड़क निर्माण में ठेकेदार  इतनी लापरवाही कर रहा कि  लोगों  का सड़क में चलना दुभर है गया है अनसीजन वारिश से काली मिट्टी में फिसलन है ग्रामीण गिर रहे हैं।वही सड़क निर्माण में धुल से वातावरण को प्रदुषित होने से रोकने पानी का छिड़काव जरूरी होता है पर ठेकेदार कभी कभार पानी का छिड़काव करवा रहा है जिसका लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है।इस बात को लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी नाराज़ हैं और स्थानीय प्रशासन से इसकी कई बार शिकायत भी कर चुके हैं।


*ये कैसी लापरवाही स्वास्थ्य केंद्र के बाउंड्री वाल का गेट तोड़ा?*


सड़क निर्माण कर्ता ठेकेदार का जेसीबी नाली निर्माण के समय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवभोग के बाउंड्री वाल के मेन गेट को तोड डाला जब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारीयो ने गेट तोड़ने को लेकर आपत्ति जतायी तो उसके लोगों ने उल्टा ही स्वास्थ्य कर्मियों से तु- तु मैं -मै करने लगे।जब दबाब बढ़ने लगा तो ठेकेदार दार के लोगों ने जेसीबी से तोड़े गये में गेट को किनारे लगाया।

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