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Mahasamund: ग्राम नर्रा में मुस्लिम जमात के द्वारा मनाया गया ईद का पर्व*

*ग्राम नर्रा में मुस्लिम जमात के द्वारा मनाया गया ईद का पर्व*

 

महासमुन्द ब्यूरो रिपोर्ट आशीष गुप्ता


 ईद का यह पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके। ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर होता है। चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है।







आज सम्पूर्ण भारत में ईद का पवित्र त्योहार मनाया जा रहा है वही आज ग्राम नर्रा में भी मुस्लिम जमात के द्वारा ईद का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मस्जिद में नमाज अता कर सभी के लिए शांति और अमन चैन की दुआ मांगी गई बता दें कि ईद मुस्लिमों के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस दिन मुस्लिम धर्म के लोग नए कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। ईद पर घरों में मिठाईयां भी बनाई जाती है और एक-दूसरे के मुंह मीठा कराया जाता है। तो चलिए इस मौके पर जानते हैं कि ईद क्यों मनाई जाती है और इस्लाम में इसका क्या महत्व है।


*ईद का क्या मतलब है?*

आपको बता दें कि ईद एक अरबी शब्द है। ईद का मतलब होता है खुशी यानि खुशी का वह दिन जो बार-बार आए। ईद पर लोग सारे गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। इसलिए इसे मोहब्बत या सद्भाव का त्योहार भी कहा जाता है।


*क्यों मनाई जाती है ईद?*

मुस्लिम धर्म से जुड़े धर्म ग्रंथों के अनुसार पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने जब बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी, तो उसकी खुशी में लोगों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा करके जश्न मनाया था। पहली बार 624 ईस्वी में ईद मनाई गई थी। उसके बाद से ही हर साल मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग ईद मनाते हैं। इस दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर कहते हैं।


*अल्लाह का इनाम है ईद :*

दरअसल रमजान के महीने में मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग रोजे रखते हैं। इस दौरान वह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते हैं। 30 दिन के रोजे के बाद जब चाँद दिखाई देता है तो उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है। ऐसे में माना जाता है कि ईद अल्लाह की तरफ से अपने बंदों को तोहफा है ताकि वह रोजे के दौरान हुई किसी तरह की परेशानी को भूल सकें।


*दान करने का महत्व :*

ईद के दिन मुसलमान पैसे, कपड़े, मिठाई, भोजन सहित कई तरह की चीजें दान करते हैं। दान को इस्लाम में जकात कहा जाता है। ईद पर जकात का खास महत्व है। रोजे के दौरान भूखे रहने से लोगों को इस बात का अहसास हो जाता है कि एक भूखे और गरीब व्यक्ति का जीवन कैसा होता है। यही कारण है कि ईद पर गरीब व्यक्ति को दान करने का विशेष महत्व है।

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