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Belgahana: *जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था की इकाई गरिमा के मंच के वार्षिक मिलेट सम्मेलन ​में ग्रामीण महिला किसान हुए सम्मानित*

*जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था की इकाई गरिमा के मंच के वार्षिक मिलेट सम्मेलन ​में ग्रामीण महिला किसान हुए सम्मानित* 


Cgvtv संवाददाता राम प्रताप सिंह की रिपोर्ट.....





बेलगहना......विश्व के अधकितर देशों में एक विकट समस्या उभरी है, कि पिछले 5-6 दशकों से विभिन्न फसलों की परंपरागत प्रजातियाँ लुप्त हो रही है और किसानों के पास जो बीज सम्पदा पीढ़ी दर पीढ़ी सैंकड़ों वर्षों से सुरक्षित थी वह खेतों से गायब हो चुकी हैं। जिसके फलस्वरुप खाद्य विविधता व पोषक तत्वों के आभाव का मानव स्वास्थ्य पर इसका असर सीधा देखने को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में आ रहा है। जैसे - रक्तचाप, शुगर, मोटापा और कई प्रकार की बीमारीयां इत्यादि। कृत्रिम (दवाई) रुप से शारिरीक रोगप्रतिरोधक क्षमता को निर्मित या स्वास्थ्य को संतुलित  रखना अप्राकृतिक व बेबुनियादी आधार है। शारिरीक रोगप्रतिरोधक क्षमता का आधारभूत विकास संतुलित भोजन या कह सकते हैं कि खाद्य विविधता पर असल में निर्भर है। आज भागम-भाग प्रतिस्पर्धात्मकता के दौर में बेहतर स्वास्थ्य बेहद जरुरी है, और बेहतर स्वास्थ्य की कल्पना स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी महंगे उपचार एवं दवाइयों और जमा पूंजी के बल पर करना बेबुनियादी आधार और एक भ्रम है ! इसके लिए रसायन मुक्त एवं मिलावट रहित विविधता युक्त खाद्य/भोज्य पदार्थों का उपभोग या थाली में सामावेश होना अति आवश्यक है। साथ ही इसके लिए हमें भ्रामक व झूठे विज्ञापनों के झांसे मे न आकर पारंपारिक जैविक खेती को बढावा देना एवं संरक्षण संवर्धित करने के प्रयास करना होगा!

जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था गनियारी की इकाई गरिमा मंच के द्वारा वार्षिक मिलेट एवं जैविक खेती कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें जैविक फसल अनाज दलहन तिलहन एव मिलेट उत्पादन करने वाले किसान, प्रसंस्करण करने वाली महिला समिति एवं पैकेजिंग कर के घर घर जाकर बजार व्यवस्था उपभोक्ता तक पहुचाने वाली महिला समितियां उपस्थित हुई कार्यक्रम में गरिमा के संस्थापक सदस्य श्री अनिल बामने जी ने गरिमा मंच की साल भर की सफर में किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्या अच्छा रहा अपना अनुभव व्यक्त किया जिसमे भण्डारण की कमी बड़ी समस्या है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बिलासपुर से आए डॉक्टर आर.के.एस तिवारी जी ने जैविक खेती में शुष्मा बीजों की भूमिका पर विचार व्यक्ति किया मिट्टी की स्वास्थ्य के लिए क्यों जरूरी है। बीच प्रमाणीकरण विभाग चोरभट्ठी से डॉ बी.वी राव जी ने किसानों को जैविक पंजीयन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दिया जन स्वास्थ्य सहयोग की संस्थापक डॉ.रमन कटारिया जी ने खेती को स्वास्थ्य की मुल कड़ी के रूप में विचार रखते हुए किसानों को स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गरिमा मंच के संस्थापक सदस्य गजानन फुटके जी ने उत्पादक से उपभोक्ता तक सीधा जुड़ाव एवं गांव आधारित उत्पादन प्रसंस्करण मूल्यवर्धन पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे। राष्टीय आजीविका मिशन के जिला प्रमुख श्री रामेंद्र गुर्जर जी ने महिला समूह एवं किसानों के लिए सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी कोटा दीपक उपध्याय जी ने सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए सहायता का आश्वासन दिया। नाबार्ड से डी.डी.एम.अशोक साहू ने भी उत्पादक समूह बनाकर कार्य करने और वित्तीय सहयता करने का अश्वसन दिया। गरिमा मंच में जुड़े किसान एवं महिला समूह ने भी अपने अनुभव रखे। जन स्वास्थ्य सहयोग के कृषि ईकाई गनियारी का प्रयोगिक प्लाट में लगाए विभिन्न मिलेट फसल जिसमे रागी ,सांवा,कांग,छोटी कंगनी,चेना आदि का अवलोकन किया। मिलेट सम्मेलन में अचानकमार अभ्यारण एवं कोटा ब्लॉक के ग्रामीण बैगा एवं आदिवासी 200 सौ से भी अधिक किसान उपस्थित हुए एवं कार्यक्रम के अंत में उत्पदक किसान महिला समूहों को प्रसश्ति पत्र देकर सम्मनित किया गया। 

जिला प्रशासन से मिशन प्रबंधक रामेन्द्र सिंह, इंदिरा गांधी विश्वद्यालय से आर.के.एस तिवारी, बीज प्रमाणीकरण विभाग से बी.वी राव, नाबार्ड से डी.डी.एम अशोक साहू, जन स्वस्थ्य सहयोग से भास्कर परमानंद, श्रमना रॉय, सूर्यकान्त शर्मा, जैकब नीलीनाथम, कस्मिता दत्ता, इंडिया पोस्ट विभाग से सुनीता द्विवेदी, आल इंडिया रेडियो से सुप्रीया भारतीयन,गोपाल पाण्डे, दिल्ली से अनिका जुनेजा, रायपुर से बाबा जलफल,मध्यप्रदेश से शेरसिंह भूसारे जन स्वास्थ्य सहयोग से मिनल मदनकर, बेन रत्नाकर,प्रकाशमणी क्रांती, धरमेंद्र, शैलेंद्र नरेश, भवन, भगत, संंतकुमार, ममता,मंजू, अजय पूर्णिमा, जगदेव सुनील सूर्यकांत,होमप्रकाश दूधनाथ, कांशी,महेश, शमिल रहे।

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