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Durgkondal: करियर मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में दी गई जानकारी।*

*करियर मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में दी गई जानकारी।*




भानुप्रतापपुर /दुर्गुकोंडल  - ग्राम चिचगाँव में दसवीं से कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं  के लिए एकदिवसीय करियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मार्गदर्शक के रूप में देव कांगे सहायक प्राध्यापक रसायनशास्त्र, कंगलू कुम्हार शासकीय महाविद्यालय दुर्गूकोंदल उपस्थित रहे उनके द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को केवल नौकरी की नजरिए से न देखें बल्कि यह मानव में सर्वांगीण विकास बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व,  चरित्र  व आदर्शों का निर्माण होता है। पढ़ाई के क्षेत्र में कक्षा दसवीं के बाद अपने रुचि और लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन  करने को कहा जिससे आपको अपनी करियर की तैयारी करने में आसानी होगी, बारहवीं के बाद कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाएं जैसे नीट, जेईई, पीएटी, पीईटी, नर्सिंग, नाटा, सीबीएस, आईआईएसटी, सीएटी,  क्लेट, एनडीए, एनईएसटी, केव्हीपीवाई, डिएलएड  आदि होती है जिस भी क्षेत्र में जाना है उसके अनुसार प्रवेश परीक्षाएं दे सकते है इसके लिए ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरु कर देना चाहिए। सपना यदि सिविल सर्विस का है तो स्नातक के बाद पीएससी, यूपीएससी की ओर जा सकते है इसके लिए स्नातकोत्तर करने की आवश्यकता नहीं है स्नातकोत्तर आप तभी करें जब किसी एक विषय में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में रुचि रखते  हैं। ग्रामीण अंचल के बच्चों को संबोधित करते हुंए कहा कि आप सभी हुनरमंद व प्रतिभाशील हैं हर किसी में कोई न कोई  कला छिपी हुई है जिसमें आप माहिर होंगे अपने अंदर के प्रतिभा को पहचानकर उसे सहीं दिशा देने की आवश्यकता होती है। ग्रामीण अंचल में जानकारी व मार्गदर्शन के अभाव या सहीं मंच नहीं मिलने के कारण भी प्रतिभा निखरने के बजाय सिमटकर रह जाता है। विद्यार्थी जीवन में प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य  निर्धारित कर पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर जिद्द, जुनून,आत्मविश्वास व मेहनत जरूरी होता है। 

 उनके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस सत्र 2024-25 से राज्य के सभी महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू होगी जिसके अनुसार स्नातक चार वर्ष का होगा और सभी में सेमेस्टर, क्रेडिट व ग्रेडिंग प्रणाली होगी। यदि प्रथम वर्ष की पढ़ाई करके किसी कारणवश द्वितीय वर्ष में प्रवेश नहीं ले पाते हैं या परीक्षा नहीं दे पाते हैं तो उस 1 वर्ष  का भी महत्व होगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स कहा जाएगा उसी प्रकार दो वर्ष पर डिप्लोमा और तीन वर्ष पर स्नातक कहा जाएगा। चार वर्ष का स्नातक  उन्ही को करने की आवश्यकता होगी जिसे आगे विषय विशेषज्ञ बनना हो या रिसर्च के क्षेत्र में जाना हो। नई शिक्षा नीति एक बहुविषयक पैटर्न है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को आगे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में आसानी होगी।  नये पैटर्न के अनुसार विद्यार्थी अपने  मुख्य विषय के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय का भी चयन कर सकता है। मल्टीपल एग्जिट एंट्री सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी काॅलेज की पढ़ाई छोड़कर अधिकतम 6 या 7 साल के बीच पुनः महाविद्यालय में प्रवेश ले सकता है। प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष के तृतीय सेमेस्टर में  प्रवेश लेने के लिए प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट में से कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करने होंगे। ठीक उसी प्रकार तृतीय वर्ष के पांचवे सेमेस्टर में प्रवेश के लिए होगी। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में शशि उयके, सरपंच प्रमिला सलाम ग्राम पंचायत चिचगाँव, सुमन कोला, माखन उसारे, आत्माराम पटेल, दीपक कोला, महेश सलाम, साधु दर्रो का योगदान रहा।

 *विद्यार्थी जीवन में अपने लक्ष्य के अनुसार पाठ्यक्रम का चयन जरूरी*

 - ग्राम चिचगाँव में दसवीं से कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं  के लिए एकदिवसीय करियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मार्गदर्शक के रूप में देव कांगे सहायक प्राध्यापक रसायनशास्त्र, कंगलू कुम्हार शासकीय महाविद्यालय दुर्गूकोंदल उपस्थित रहे उनके द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को केवल नौकरी की नजरिए से न देखें बल्कि यह मानव में सर्वांगीण विकास बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व,  चरित्र  व आदर्शों का निर्माण होता है। पढ़ाई के क्षेत्र में कक्षा दसवीं के बाद अपने रुचि और लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन  करने को कहा जिससे आपको अपनी करियर की तैयारी करने में आसानी होगी, बारहवीं के बाद कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाएं जैसे नीट, जेईई, पीएटी, पीईटी, नर्सिंग, नाटा, सीबीएस, आईआईएसटी, सीएटी,  क्लेट, एनडीए, एनईएसटी, केव्हीपीवाई, डिएलएड  आदि होती है जिस भी क्षेत्र में जाना है उसके अनुसार प्रवेश परीक्षाएं दे सकते है इसके लिए ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरु कर देना चाहिए। सपना यदि सिविल सर्विस का है तो स्नातक के बाद पीएससी, यूपीएससी की ओर जा सकते है इसके लिए स्नातकोत्तर करने की आवश्यकता नहीं है स्नातकोत्तर आप तभी करें जब किसी एक विषय में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में रुचि रखते  हैं। ग्रामीण अंचल के बच्चों को संबोधित करते हुंए कहा कि आप सभी हुनरमंद व प्रतिभाशील हैं हर किसी में कोई न कोई  कला छिपी हुई है जिसमें आप माहिर होंगे अपने अंदर के प्रतिभा को पहचानकर उसे सहीं दिशा देने की आवश्यकता होती है। ग्रामीण अंचल में जानकारी व मार्गदर्शन के अभाव या सहीं मंच नहीं मिलने के कारण भी प्रतिभा निखरने के बजाय सिमटकर रह जाता है। विद्यार्थी जीवन में प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य  निर्धारित कर पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर जिद्द, जुनून,आत्मविश्वास व मेहनत जरूरी होता है। 

 उनके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस सत्र 2024-25 से राज्य के सभी महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू होगी जिसके अनुसार स्नातक चार वर्ष का होगा और सभी में सेमेस्टर, क्रेडिट व ग्रेडिंग प्रणाली होगी। यदि प्रथम वर्ष की पढ़ाई करके किसी कारणवश द्वितीय वर्ष में प्रवेश नहीं ले पाते हैं या परीक्षा नहीं दे पाते हैं तो उस 1 वर्ष  का भी महत्व होगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स कहा जाएगा उसी प्रकार दो वर्ष पर डिप्लोमा और तीन वर्ष पर स्नातक कहा जाएगा। चार वर्ष का स्नातक  उन्ही को करने की आवश्यकता होगी जिसे आगे विषय विशेषज्ञ बनना हो या रिसर्च के क्षेत्र में जाना हो। नई शिक्षा नीति एक बहुविषयक पैटर्न है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को आगे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में आसानी होगी।  नये पैटर्न के अनुसार विद्यार्थी अपने  मुख्य विषय के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय का भी चयन कर सकता है। मल्टीपल एग्जिट एंट्री सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी काॅलेज की पढ़ाई छोड़कर अधिकतम 6 या 7 साल के बीच पुनः महाविद्यालय में प्रवेश ले सकता है। प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष के तृतीय सेमेस्टर में  प्रवेश लेने के लिए प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट में से कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करने होंगे। ठीक उसी प्रकार तृतीय वर्ष के पांचवे सेमेस्टर में प्रवेश के लिए होगी। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में शशि उयके, सरपंच प्रमिला सलाम ग्राम पंचायत चिचगाँव, सुमन कोला, माखन उसारे, आत्माराम पटेल, दीपक कोला, महेश सलाम, साधु दर्रो का योगदान        *नये शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पूर्व ग्राम पंचायत चिचगाँव द्वारा किया गया करियर मार्गदर्शन का आयोजन।*।         - ग्राम चिचगाँव में दसवीं से कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं  के लिए एकदिवसीय करियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मार्गदर्शक के रूप में देव कांगे सहायक प्राध्यापक रसायनशास्त्र, कंगलू कुम्हार शासकीय महाविद्यालय दुर्गूकोंदल उपस्थित रहे उनके द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को केवल नौकरी की नजरिए से न देखें बल्कि यह मानव में सर्वांगीण विकास बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व,  चरित्र  व आदर्शों का निर्माण होता है। पढ़ाई के क्षेत्र में कक्षा दसवीं के बाद अपने रुचि और लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन  करने को कहा जिससे आपको अपनी करियर की तैयारी करने में आसानी होगी, बारहवीं के बाद कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाएं जैसे नीट, जेईई, पीएटी, पीईटी, नर्सिंग, नाटा, सीबीएस, आईआईएसटी, सीएटी,  क्लेट, एनडीए, एनईएसटी, केव्हीपीवाई, डिएलएड  आदि होती है जिस भी क्षेत्र में जाना है उसके अनुसार प्रवेश परीक्षाएं दे सकते है इसके लिए ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरु कर देना चाहिए। सपना यदि सिविल सर्विस का है तो स्नातक के बाद पीएससी, यूपीएससी की ओर जा सकते है इसके लिए स्नातकोत्तर करने की आवश्यकता नहीं है स्नातकोत्तर आप तभी करें जब किसी एक विषय में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में रुचि रखते  हैं। ग्रामीण अंचल के बच्चों को संबोधित करते हुंए कहा कि आप सभी हुनरमंद व प्रतिभाशील हैं हर किसी में कोई न कोई  कला छिपी हुई है जिसमें आप माहिर होंगे अपने अंदर के प्रतिभा को पहचानकर उसे सहीं दिशा देने की आवश्यकता होती है। ग्रामीण अंचल में जानकारी व मार्गदर्शन के अभाव या सहीं मंच नहीं मिलने के कारण भी प्रतिभा निखरने के बजाय सिमटकर रह जाता है। विद्यार्थी जीवन में प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य  निर्धारित कर पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर जिद्द, जुनून,आत्मविश्वास व मेहनत जरूरी होता है। 

 उनके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस सत्र 2024-25 से राज्य के सभी महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू होगी जिसके अनुसार स्नातक चार वर्ष का होगा और सभी में सेमेस्टर, क्रेडिट व ग्रेडिंग प्रणाली होगी। यदि प्रथम वर्ष की पढ़ाई करके किसी कारणवश द्वितीय वर्ष में प्रवेश नहीं ले पाते हैं या परीक्षा नहीं दे पाते हैं तो उस 1 वर्ष  का भी महत्व होगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स कहा जाएगा उसी प्रकार दो वर्ष पर डिप्लोमा और तीन वर्ष पर स्नातक कहा जाएगा। चार वर्ष का स्नातक  उन्ही को करने की आवश्यकता होगी जिसे आगे विषय विशेषज्ञ बनना हो या रिसर्च के क्षेत्र में जाना हो। नई शिक्षा नीति एक बहुविषयक पैटर्न है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को आगे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में आसानी होगी।  नये पैटर्न के अनुसार विद्यार्थी अपने  मुख्य विषय के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय का भी चयन कर सकता है। मल्टीपल एग्जिट एंट्री सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी काॅलेज की पढ़ाई छोड़कर अधिकतम 6 या 7 साल के बीच पुनः महाविद्यालय में प्रवेश ले सकता है। प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष के तृतीय सेमेस्टर में  प्रवेश लेने के लिए प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट में से कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करने होंगे। ठीक उसी प्रकार तृतीय वर्ष के पांचवे सेमेस्टर में प्रवेश के लिए होगी। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में शशि उयके, सरपंच प्रमिला सलाम ग्राम पंचायत चिचगाँव, सुमन कोला, माखन उसारे, आत्माराम पटेल, दीपक कोला, महेश सलाम,  *कक्षा दसवी के बाद अपने रुचि व लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन करें - प्रो. डी.एस. कांगे*- ग्राम चिचगाँव में दसवीं से कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं  के लिए एकदिवसीय करियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मार्गदर्शक के रूप में देव कांगे सहायक प्राध्यापक रसायनशास्त्र, कंगलू कुम्हार शासकीय महाविद्यालय दुर्गूकोंदल उपस्थित रहे उनके द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को केवल नौकरी की नजरिए से न देखें बल्कि यह मानव में सर्वांगीण विकास बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व,  चरित्र  व आदर्शों का निर्माण होता है। पढ़ाई के क्षेत्र में कक्षा दसवीं के बाद अपने रुचि और लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन  करने को कहा जिससे आपको अपनी करियर की तैयारी करने में आसानी होगी, बारहवीं के बाद कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाएं जैसे नीट, जेईई, पीएटी, पीईटी, नर्सिंग, नाटा, सीबीएस, आईआईएसटी, सीएटी,  क्लेट, एनडीए, एनईएसटी, केव्हीपीवाई, डिएलएड  आदि होती है जिस भी क्षेत्र में जाना है उसके अनुसार प्रवेश परीक्षाएं दे सकते है इसके लिए ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरु कर देना चाहिए। सपना यदि सिविल सर्विस का है तो स्नातक के बाद पीएससी, यूपीएससी की ओर जा सकते है इसके लिए स्नातकोत्तर करने की आवश्यकता नहीं है स्नातकोत्तर आप तभी करें जब किसी एक विषय में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में रुचि रखते  हैं। ग्रामीण अंचल के बच्चों को संबोधित करते हुंए कहा कि आप सभी हुनरमंद व प्रतिभाशील हैं हर किसी में कोई न कोई  कला छिपी हुई है जिसमें आप माहिर होंगे अपने अंदर के प्रतिभा को पहचानकर उसे सहीं दिशा देने की आवश्यकता होती है। ग्रामीण अंचल में जानकारी व मार्गदर्शन के अभाव या सहीं मंच नहीं मिलने के कारण भी प्रतिभा निखरने के बजाय सिमटकर रह जाता है। विद्यार्थी जीवन में प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य  निर्धारित कर पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर जिद्द, जुनून,आत्मविश्वास व मेहनत जरूरी होता है। 

 उनके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस सत्र 2024-25 से राज्य के सभी महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू होगी जिसके अनुसार स्नातक चार वर्ष का होगा और सभी में सेमेस्टर, क्रेडिट व ग्रेडिंग प्रणाली होगी। यदि प्रथम वर्ष की पढ़ाई करके किसी कारणवश द्वितीय वर्ष में प्रवेश नहीं ले पाते हैं या परीक्षा नहीं दे पाते हैं तो उस 1 वर्ष  का भी महत्व होगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स कहा जाएगा उसी प्रकार दो वर्ष पर डिप्लोमा और तीन वर्ष पर स्नातक कहा जाएगा। चार वर्ष का स्नातक  उन्ही को करने की आवश्यकता होगी जिसे आगे विषय विशेषज्ञ बनना हो या रिसर्च के क्षेत्र में जाना हो। नई शिक्षा नीति एक बहुविषयक पैटर्न है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को आगे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में आसानी होगी।  नये पैटर्न के अनुसार विद्यार्थी अपने  मुख्य विषय के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय का भी चयन कर सकता है। मल्टीपल एग्जिट एंट्री सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी काॅलेज की पढ़ाई छोड़कर अधिकतम 6 या 7 साल के बीच पुनः महाविद्यालय में प्रवेश ले सकता है। प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष के तृतीय सेमेस्टर में  प्रवेश लेने के लिए प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट में से कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करने होंगे। ठीक उसी प्रकार तृतीय वर्ष के पांचवे सेमेस्टर में प्रवेश के लिए होगी। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में शशि उयके, सरपंच प्रमिला सलाम ग्राम पंचायत चिचगाँव, सुमन कोला, माखन उसारे, आत्माराम पटेल, दीपक कोला, महेश सलाम, साधु दर्रो का योगदान रहा।

*नई शिक्षा नीति 2020 का बहुविषयक पैटर्न आगे प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए आसानी।*

 - ग्राम चिचगाँव में दसवीं से कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं  के लिए एकदिवसीय करियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मार्गदर्शक के रूप में देव कांगे सहायक प्राध्यापक रसायनशास्त्र, कंगलू कुम्हार शासकीय महाविद्यालय दुर्गूकोंदल उपस्थित रहे उनके द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को केवल नौकरी की नजरिए से न देखें बल्कि यह मानव में सर्वांगीण विकास बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व,  चरित्र  व आदर्शों का निर्माण होता है। पढ़ाई के क्षेत्र में कक्षा दसवीं के बाद अपने रुचि और लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन  करने को कहा जिससे आपको अपनी करियर की तैयारी करने में आसानी होगी, बारहवीं के बाद कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाएं जैसे नीट, जेईई, पीएटी, पीईटी, नर्सिंग, नाटा, सीबीएस, आईआईएसटी, सीएटी,  क्लेट, एनडीए, एनईएसटी, केव्हीपीवाई, डिएलएड  आदि होती है जिस भी क्षेत्र में जाना है उसके अनुसार प्रवेश परीक्षाएं दे सकते है इसके लिए ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरु कर देना चाहिए। सपना यदि सिविल सर्विस का है तो स्नातक के बाद पीएससी, यूपीएससी की ओर जा सकते है इसके लिए स्नातकोत्तर करने की आवश्यकता नहीं है स्नातकोत्तर आप तभी करें जब किसी एक विषय में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में रुचि रखते  हैं। ग्रामीण अंचल के बच्चों को संबोधित करते हुंए कहा कि आप सभी हुनरमंद व प्रतिभाशील हैं हर किसी में कोई न कोई  कला छिपी हुई है जिसमें आप माहिर होंगे अपने अंदर के प्रतिभा को पहचानकर उसे सहीं दिशा देने की आवश्यकता होती है। ग्रामीण अंचल में जानकारी व मार्गदर्शन के अभाव या सहीं मंच नहीं मिलने के कारण भी प्रतिभा निखरने के बजाय सिमटकर रह जाता है। विद्यार्थी जीवन में प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य  निर्धारित कर पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर जिद्द, जुनून,आत्मविश्वास व मेहनत जरूरी होता है। 

 उनके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस सत्र 2024-25 से राज्य के सभी महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू होगी जिसके अनुसार स्नातक चार वर्ष का होगा और सभी में सेमेस्टर, क्रेडिट व ग्रेडिंग प्रणाली होगी। यदि प्रथम वर्ष की पढ़ाई करके किसी कारणवश द्वितीय वर्ष में प्रवेश नहीं ले पाते हैं या परीक्षा नहीं दे पाते हैं तो उस 1 वर्ष  का भी महत्व होगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स कहा जाएगा उसी प्रकार दो वर्ष पर डिप्लोमा और तीन वर्ष पर स्नातक कहा जाएगा। चार वर्ष का स्नातक  उन्ही को करने की आवश्यकता होगी जिसे आगे विषय विशेषज्ञ बनना हो या रिसर्च के क्षेत्र में जाना हो। नई शिक्षा नीति एक बहुविषयक पैटर्न है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को आगे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में आसानी होगी।  नये पैटर्न के अनुसार विद्यार्थी अपने  मुख्य विषय के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय का भी चयन कर सकता है। मल्टीपल एग्जिट एंट्री सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी काॅलेज की पढ़ाई छोड़कर अधिकतम 6 या 7 साल के बीच पुनः महाविद्यालय में प्रवेश ले सकता है। प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष के तृतीय सेमेस्टर में  प्रवेश लेने के लिए प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट में से कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करने होंगे। ठीक उसी प्रकार तृतीय वर्ष के पांचवे सेमेस्टर में प्रवेश के लिए होगी। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में शशि उयके, सरपंच प्रमिला सलाम ग्राम पंचायत चिचगाँव, सुमन कोला, माखन उसारे, आत्माराम पटेल, दीपक कोला, महेश सलाम, साधु दर्रो का योगदान रहा।

 *नई शिक्षा नीति के अनुसार द्वितीय व तृतीय में प्रवेश के लिए लाने होंगे कम से कम 50 प्रतिशत  क्रेडिट - प्रो. डी.एस. कांगे*

 ग्राम चिचगाँव में दसवीं से कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं  के लिए एकदिवसीय करियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मार्गदर्शक के रूप में देव कांगे सहायक प्राध्यापक रसायनशास्त्र, कंगलू कुम्हार शासकीय महाविद्यालय दुर्गूकोंदल उपस्थित रहे उनके द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को केवल नौकरी की नजरिए से न देखें बल्कि यह मानव में सर्वांगीण विकास बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व,  चरित्र  व आदर्शों का निर्माण होता है। पढ़ाई के क्षेत्र में कक्षा दसवीं के बाद अपने रुचि और लक्ष्य के अनुसार विषय का चयन  करने को कहा जिससे आपको अपनी करियर की तैयारी करने में आसानी होगी, बारहवीं के बाद कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाएं जैसे नीट, जेईई, पीएटी, पीईटी, नर्सिंग, नाटा, सीबीएस, आईआईएसटी, सीएटी,  क्लेट, एनडीए, एनईएसटी, केव्हीपीवाई, डिएलएड  आदि होती है जिस भी क्षेत्र में जाना है उसके अनुसार प्रवेश परीक्षाएं दे सकते है इसके लिए ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरु कर देना चाहिए। सपना यदि सिविल सर्विस का है तो स्नातक के बाद पीएससी, यूपीएससी की ओर जा सकते है इसके लिए स्नातकोत्तर करने की आवश्यकता नहीं है स्नातकोत्तर आप तभी करें जब किसी एक विषय में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में रुचि रखते  हैं। ग्रामीण अंचल के बच्चों को संबोधित करते हुंए कहा कि आप सभी हुनरमंद व प्रतिभाशील हैं हर किसी में कोई न कोई  कला छिपी हुई है जिसमें आप माहिर होंगे अपने अंदर के प्रतिभा को पहचानकर उसे सहीं दिशा देने की आवश्यकता होती है। ग्रामीण अंचल में जानकारी व मार्गदर्शन के अभाव या सहीं मंच नहीं मिलने के कारण भी प्रतिभा निखरने के बजाय सिमटकर रह जाता है। विद्यार्थी जीवन में प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य  निर्धारित कर पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर जिद्द, जुनून,आत्मविश्वास व मेहनत जरूरी होता है। 

 उनके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस सत्र 2024-25 से राज्य के सभी महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू होगी जिसके अनुसार स्नातक चार वर्ष का होगा और सभी में सेमेस्टर, क्रेडिट व ग्रेडिंग प्रणाली होगी। यदि प्रथम वर्ष की पढ़ाई करके किसी कारणवश द्वितीय वर्ष में प्रवेश नहीं ले पाते हैं या परीक्षा नहीं दे पाते हैं तो उस 1 वर्ष  का भी महत्व होगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स कहा जाएगा उसी प्रकार दो वर्ष पर डिप्लोमा और तीन वर्ष पर स्नातक कहा जाएगा। चार वर्ष का स्नातक  उन्ही को करने की आवश्यकता होगी जिसे आगे विषय विशेषज्ञ बनना हो या रिसर्च के क्षेत्र में जाना हो। नई शिक्षा नीति एक बहुविषयक पैटर्न है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को आगे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में आसानी होगी।  नये पैटर्न के अनुसार विद्यार्थी अपने  मुख्य विषय के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय का भी चयन कर सकता है। मल्टीपल एग्जिट एंट्री सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी काॅलेज की पढ़ाई छोड़कर अधिकतम 6 या 7 साल के बीच पुनः महाविद्यालय में प्रवेश ले सकता है। प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष के तृतीय सेमेस्टर में  प्रवेश लेने के लिए प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट में से कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करने होंगे। ठीक उसी प्रकार तृतीय वर्ष के पांचवे सेमेस्टर में प्रवेश के लिए होगी। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में शशि उयके, सरपंच प्रमिला सलाम ग्राम पंचायत चिचगाँव, सुमन कोला, माखन उसारे, आत्माराम पटेल, दीपक कोला, महेश सलाम, साधु दर्रो का योगदान रहा।

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