Ticker

6/recent/ticker-posts

Balod: स्आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार*

लोकेशन बालोद

संजय कुमार


स्आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार*







*एंकर जिला शिक्षा विभाग हमेशा विवादों में रहकर सुर्खियां बटोरी है कारण गैरजिम्मेदार अधिकारियों व शिक्षकों के कारण अनेक बेहतरीन शिक्षक व शिक्षा विभाग बदनाम होता है पर अधिकारी व नारद मुनि जो अधिकारी का जेब गर्म रखता है वही राजेश पांडे को नियमों को ताक में रखकर प्रायमरी शिक्षक को संकूल संमवयक बनाया गया, वह भी भारी विरोध के बावजूद न ही आजतक एक भी कक्षा बच्चों को नही  पढ़ाया , स्कूल संमवयक का क्या दायित्व होता है पर अधिकारी अपने स्वार्थ के लिए मोहरा बनाना व सारी वास्तु स्थिति से अवगत कर मालामाल करना ऐसा उद्देश्य से नियमों की धज्जियां उड़ा दी, आदिवासी क्षेत्र में बहुत से शिक्षक और प्रधानपाठक आदिवासी हैं इस शिक्षक द्वारा वरिष्ठ आदिवासी शिक्षकों से बदतमीजी की जाती है और कुछ बोलने पर ब्लाक शिक्षा अधिकारी का नाम लेकर डराया जाता है शिक्षकों की शिक्षक सर्विस बुक संधारण के लिए पूरे ब्लाक के शिक्षकों से 2500 रूपए प्रति शिक्षक ब्लाक शिक्षा अधिकारी के नाम से धमका कर वसूली की गई है इस तरह लाखों रूपए का भ्रष्टाचार राजेश पाण्डेय द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की शह पर किया जा गया है। राजेश पाण्डेय जबसे स्कूल संमवयक बना है अपने पूरे वेतन को लोन में कटवा रहा है और अपना जीवन यापन शिक्षकों से अवैध वसूली कर करता है।

राजेश पाण्डेय द्वारा ब्लाक शिक्षा अधिकारी की शह पर एक बड़ा सिंडीकेट चलाया जा रहा है जिसमें पहले तो अपने लोगों से शिक्षकों का शिकायत कराया जाता है फिर उस मामले को निपटाने के लिए मोटी रकम आदिवासी शिक्षकों से वसूला जाता है।राजेश पाण्डेय आज एक प्रायमरी शिक्षक होने के बाद भी ब्लाक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का इतना चहेता क्यों है,इसकी इतनी शिकायत होने के बाद भी ब्लाक शिक्षा विभाग इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता है तो इसका एक ही कारण है कि राजेश पाण्डेय प्रायमरी शिक्षक ब्लाक शिक्षा विभाग का दलाल बना बैठा है और पूरे ब्लाक से गलत तरीके से आदिवासी शिक्षकों पर दबाव बनाकर उन्हें डराकर वसूली कर अपने ब्लाक शिक्षा विभाग के आकाओं तक पहुंचाता है*

    *लेकिन इस बार कलेक्टर बालोद को शिकायत करने पर जांच अधिकारी एस डी एम लोहारा को बनाया गया है अब देखना है कि एस डी एम लोहारा तथ्यों को देखकर ऐसे भ्रष्ट प्रायमरी शिक्षक पर कार्रवाई करते हैं और उसे सबसे पहले ब्लाक के शिक्षकों की मांग पर स्कूल संमवयक से हटाते और साथ ही आदिवासी शिक्षकों के साथ बदतमीजी और सर्विस बुक संधारण के लिए वसूली करने पर सस्पेंड करते हैं या फिर जिस तरह कांग्रेस की सरकार में लीपापोती कर दिया गया था और कांग्रेसी नेताओं के दबाव में आकर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।व यह शिक्षक अध्यापन कार्य करने में सक्षम नही है वह अपने जगह अन्य शालाओं के शिक्षक को अटैचमेंट कराता है ताकी ग्रामीणों का मुंह बंद रहे व कारोबार चलता रहे*

Post a Comment

0 Comments

Balod:  सेवानिवृत्त व्यायाम शिक्षक का सस्मामान विदाई।
Balod:  बालोद पुलिस ने 02 दिवस में जुआ खेलते 15 आरोपियों को किया गिरफ्तार।
Bilaspur:  फोटोबाजी के लिए पार्षद का खिलवाड़, मगरमच्छ के पीठ पर बैठ थाम ली लगाम  बिलासपुर रतनपुर सोशल मीडिया पर धाक जमाने और हवाबाजी करने के लिए रतनपुर का एक पार्षद ने एक विशालकाय मगरमच्छ के पीठ पर बैठ फोटो खिचवाने के लिए उस  मगरमच्छ पर बंधे रस्सी को घोड़े की लगाम की तरह थाम ली। उनकी देखा सीखी अब नगर के कई युवा और बच्चे भी इस तरह की हरकत कर अपनी जान जोखिम में डाल सकते हैं। ये महाशय है रतनपुर नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद हकीम मोहम्मद, एक जन प्रतिनिधि होने के कारण उन्हे इस तरह की खतरनाक फोटो बाजी को रोकना चाहिए और लोगो को जागरूक करना चाहिए जबकि वो खुद इस तरह की स्टंटबाजी को बढ़ावा दे रहे  दरसल रतनपुर के वार्ड क्रमांक 5 रानीपारा में स्थित बिकमा तालाब जिससे लगा हुआ खेत में  था मगरमच्छ मोहल्ले के कुछ लोग सुबह उठ कर निकले खेत की ओर जहां खेत में घूमता हुआ दिखा  मगरमच्छ जिसे देख होश उड़ गय चीख पुकार सुन कर पूरे मोहल्ले हो गय एकत्रित सभी ने हिम्मत जुटा कर किसी भी तरह बांध कर वन विभाग को दी सूचना सूचना मिलते ही वन विभाग अधिकारी पहुंचे टीम के साथ पहुंचकर खुटा घाट में छोड़ा गयापर वहा देखी गई लापरवाही रतनपुर नगर पालिका के जनप्रतिनिधि वार्ड क्रमांक 12 के भाजपा पार्षद हकीम मोहम्मद के द्वारा ऐसे खिलवाड़ किया जा रहा है ।जिसकी वीडियो फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है क्या एक जनप्रतिनिधि होते हुए ऐसी हरकत कीया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है। अब देखना है कि सरकार द्वारा इस लापरवाही के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे