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Durgkondal: रीति-रिवाज संस्कृति और प्रकृति की रक्षा में आदिवासी समाज का अतुलनीय योगदान:घम्मा उयके*

*रीति-रिवाज संस्कृति और प्रकृति की रक्षा में आदिवासी समाज का अतुलनीय योगदान:घम्मा उयके*



दुर्गूकोंदल।विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर ग्राम हाटकोदल में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया इस अवसर पर 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर ग्राम बरगाव(हाटकोन्दल) में शितला माता के मंदिर में पूजा कर शहिद को याद कर बड़ी धूम धाम से रैली निकाल कर मनाया गया जिसमे  घम्मा सिंह उयके ने कहा कि विश्व के लगभग 90 देश में आदिवासी निवासरत हैं उनकी संस्कृति रीति रिवाज एवं परंपरा लगभग एक समान है 9 अगस्त के दिन आदिवासियों की संस्कृति सभ्यता उपलब्धि और समाज और पर्यावरण में उनके योगदान की तारीफ का दिन होता है आदिवासियों के इन्हीं सब उपलब्धियां के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ में 9 अगस्त को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय लिया उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी प्रकृति पूजक है उनके रीति रिवाज परंपरा एवं जन्म विवाह तथा मृतक संस्कार में प्रकृति द्वारा वस्तुओं का महत्वपूर्ण स्थान है इसीलिए प्रकृति को बचाए रखना आदिवासी समाज का अहम योगदान है  इस अवसर पर समाज के प्रबुद्ध जन उपस्थित थे जिसमें प्रमुख रूप से नारायन सिंह भोयर जोगेंद्र फरदिया कार्तिक रावटे सरोज मंडावी एवं अन्य ग्रामवासी महिला पुरुष आदि उपस्थित थे

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