*शिव शक्ति समिति ठेल्काबोड के महिलाओं ने काँवड़ यात्रा कर कुबेरश्वर महादेव का जलाभिषेक किया*
कांकेर | शिवशक्ति समिति ठेल्काबोड से सरंगपाल तक काँवड़ यात्रा निकाली गई, 01 अगस्त को सुबह महिलाओं की टीम काँवड़ यात्रा लेकर निकली जिसमें शिव शक्ति समिति अध्यक्ष योगिता ठाकुर, भगवती नेताम,अनीता सिन्हा,जागेश्वर उइके, रामेश्वरी जैन, लता सिन्हा रुखमनी नागवंशी पुनिता साहु, कृति साहु, हरिता चक्रधारी इंद्रा, पिंकी, सहित शिव शक्ति समिति के सदस्य यात्रा के लिए निकले, जहाँ काँवड़ियों की आरती उतारी गई और उन्हें श्रीफल प्रदान किया गया जिसमें जय जोहार सेवा जोहार समाज सेवी संस्था की अध्यक्ष सुश्री पुजा पांडे, खिलेन्द्र साहु एवं उनके साथी शामिल हुये, हिंदू धर्म में भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना बेहद लाभदायी माना जाता हैकांवड़ यात्रा के नियमों का पालन करती हुये कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है. कांवड़ यात्रा पर जाने वाले भक्तों को इस दौरान खास नियमों का पालन करना होता है इस दौरान भक्तों को पैदल यात्रा करनी होती है यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विक भोजन का सेवन करना होता है साथ ही आराम करते समय कांवड़ को जमीन पर नहीं रखते हैं सावन में ही कांवड़ यात्रा का आयोजना होता है जिसमें शिव जी के भक्त कांवड़ में गंगा जल भरकर लाते हैं सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, मान्यता है ऐसा करने वालों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसती है हज़ारों लाखों की तादाद में लोग कांवड़ लेकर शिव जी को जल चढ़ाने पैदल ही कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ते हैं कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से होगी. इसकी समाप्ति 2 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि पर होगी और आज कावड़ यात्रा एक तीर्थ यात्रा के समान होती है जिसका लोग पूरे साल भर इंतजार करते हैं सावन माह में शिव भक्त गंगातट पर कलश में गंगाजल भरते हैं और उसको कांवड़ पर बांध कर कंधों पर लटका कर अपने अपने इलाके के शिवालय में लाते हैं और शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं भगवान शिव मंदिर ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। ठेल्काबोड़ बड़ेपारा से जल लेकर गए और सरंगपाल महानदी तट पर स्थित भगवान कुबेरश्वर महादेव सरंगपाल का गंगाजल से अभिषेक किया|
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