*मुस्कान बनी गांव की मुस्कान,सुयश ने रखा गांव का यश*
रिपोर्टर --जयविलास शर्मा
*देवभोग क्षेत्र को मिला दो डाक्टर शिक्षक की बेटी और व्यवसायी का बेटा देंगे गृहग्राम में सेवा
गरियाबंद --जिले के देवभोग को दो क्षेत्रीय डाक्टर मिल गये इस बात को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल है।दोनों पोस्टींग डाक्टर देवभोग नगर के है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवभोग में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी बतौर पदस्थ हैं मुस्कान शिक्षक मनोज तिवारी के परिवार से ताल्लुक रखती है तो कुछ माह पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पदस्थ चिकित्सा अधिकारी सुयश अग्रवाल नगर के प्रतिष्ठित व्यवसायी स्व बसंत अग्रवाल का पोता और अशोक कुमार गर्ग के पुत्र है। इस प्रकार क्षेत्र को दो क्षेत्रीय डाक्टर मिलने से देवभोग की ज्वलंत स्वास्थ्य समस्या में काफी निजात मिलने की बात चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि पहले की अपेक्षा देवभोग में स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है। मुस्कान नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश तिवारी की भतीजी हैं मुस्कान के देव भोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ होने को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश तिवारी सहित गृहग्राम के लोगों ने बधाई दी है वहीं सोशल मिडिया में भी बधाई का सिलसिला जारी है।
*बचपन से ही प्रतिभा झलक रही थी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ सेवा का रहा मन*
गृहग्राम में पदस्थ शिक्षक की बेटी मुस्कान और सुयश में बचपन से ही शिक्षा को लेकर अलग प्रतिभा झलक रहा था। दोनों पदस्थ चिकित्सकों की बात करें तो शुरूवाती शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में हुयी।वहीं मुस्कान तिवारी ने भिलाई स्थित शकुंतला विदयालय में हायर सेकंडरी बोर्ड में 93% अंक अर्जित कर क्षेत्र को गौरव दिलाया तो वहीं वर्ष 2019 में डाक्टरी पढ़ाई के लिये नीट परीक्षा में छग स्तर पर 178 रैंक और आल इंडिया में 22हजार रैंक के साथ बिलासपुर सिम्स में मेडिकल की पढ़ाई की वहीं सुयश अग्रवाल भी सरस्वती शिशु मंदिर के छात्र होने के साथ नवोदय चयन के पश्चात 2017 में छग स्तर पर 83 और आल इंडिया स्तर पर 17 हजार रैंक के साथ अपनी पहली पोस्टींग देवभोग स्वास्थ्य सेवा के लिये चुना।
*आखिर लक्ष्य को कैसे साधा ? और किन्हें मानते हैं सफलता का आधार?*
देवभोग के दो मेधावी विद्यार्थी जो अपने सफलता के लिये अपने परिवार और प्रारंभिक शिक्षा को आधार मानते हैं। चिकित्सक बने मुस्कान और सुयश का कहना है देवभोग में बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने के बाद भी ज्यादातर समय अध्यापन कार्यो में लगाया वहीं गृहग्राम में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाता है इसलिये गृहग्राम में सेवा देने कड़ी मेहनत की और इस प्रकार अपने लक्ष्य को साधा है।


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