राज शार्दुल ---- कोंडागांव
अक्षय तृतीया पर हुई गुड्डे गुड़िया की शादी
अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी के बने गुड्डा गुड़िया के विवाह रचाए जाने की परंपरा है। इस अवसर पर विवाह की पूरी रस्में निभाई जाती है। ग्राम बांसकोट में बालिकाओं ने पूरे रस्म रिवाज के साथ नाच गाना करते हुए गुड्डे गुड़िया का शादी रचाया। इस अवसर पर देवी देवता की प्रतिष्ठा कर पेड़ की टहनियों से मंडप सजाया गया जहां गुड्डा गुड़िया को तेल हल्दी चढ़ाकर शादी की रस्म पूरी की गई। शादी में भाग ले रही लड़कियों ने विवाह स्थल पर डांस भी किया। सनातन धर्म के अनुसार अक्षय तृतीया विवाह के लिए अति शुभ दिन माना गया है। इस दिन विवाह ही नहीं बल्कि अन्य मांगलिक कार्यों के लिए भी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। अक्षय तृतीया के दिन गांव गांव शहर शहर शादियां होती हैं। छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती तिहार के नाम से जाना जाता है। इस दिन एक और शादी जोड़े विवाह के बंधन में बधेंगे वहीं शादी के बंधन से अनजान बच्चे पूरी रीति रिवाज के साथ मिट्टी के बने गुड्डे गुड़ियों का पारंपरिक विवाह रचाकर खुशियां मनाएंगे। कई परिवारों में बच्चों के साथ माता-पिता भी गुड्डा गुड़िया के विवाह की रस्में उसी तरह संपन्न कराएंगे जैसे वास्तव में शादी संपन्न होता है। इस अवसर पर जो बच्चे गुड्डा गुड़िया की शादी करवाते हैं उन्हें अपनी शादी के समय यह अवसर यादगार बनता है।
किसानों के लिए भी शुभ है अक्षय तृतीया
भारतीय सनातन संस्कृति में अक्षय तृतीया को अत्यधिक महत्व दिया गया है प्रत्येक मांगलिक कार्यों के लिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। किसान इसी दिन से खेती किसानी की शुरुआत करते हैं। बस्तर में अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त काल में खेतों में बीज बोने की परंपरा है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में बीज बोने की शुरुआत करने से किसानों की उपज अच्छी होती है तथा खेती किसानी में होने वाले विघ्न बाधा दूर होते हैं।
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