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Durgkondal: नवाखाई पर देवी देवताओं को लगाया,नए अन्न का भोग

 *नवाखाई पर देवी देवताओं को लगाया,नए अन्न का भोग।*



*दुर्गूकोंदल।* 22 सितम्बर 2023 । आज  दुर्गूकोंदल क्षेत्र के अधिकांश  आदिवासी अंचल में महापर्व नवाखाई ,ठाकुर जोहरनी बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है ।अंचल के खेतिहर किसान उदार प्रकृति के प्रति सदैव कृतज्ञ रही है। उनकी संस्कृति में प्रकृति से उपजे उपादानों के लिए नयी फ़सल के आने पर उसे ग्रहण करने से पूर्व समारोह पूर्वक कृतज्ञता अर्पण करता है ।वैसे तो बारह माह प्रकृति से प्राप्त किसी न किसी फल फुल, अनाज व अन्य कन्द मूल के अर्पण के बाद नवाखाई का त्योहार ,रीति रिवाज के साथ क्षेत्र के सभी छोटे बड़े गांव में धूमधाम से मनाते हैं ।परंपरा के अनुसार नवाखाई के दिन नया चावल का पहला चढ़ावा बूढ़ादेव ,दूल्हा देव,देवी देवताओं एवं कुलदेवी तथा अपने पूर्वजों को अर्पित कर पूरे परिवार के साथ नया चावल अर्पित कर मनाया जाता है। नवाखाई त्योहार के दिन कोरिया पत्ता का दोना बनाकर पूजा अर्चना की जाती है। प्रसाद कोरिया पत्ता पर हि ग्रहण किया जाता है। आदिवासी समाज में नवाखाई तिहार के दौरान परिवार के प्रत्येक सदस्य को अनिवार्यत शामिल होना पड़ता है। किन्ही कारणों से परिवार का कोई सदस्य वंचित हो जाता है। तो उसे पारिवारिक रूप से पुन,:आयोजन कर नए अन्न का भोग अर्पित कर खिलाया जाता है। इस तिहार में  मांसाहार तथा मदिरापान सिम्मलित होता है। अलग अलग गावो में यह तिहार अलग अलग तिथियों में मनाया जाता है। इस तिहार में पारिवारिक संबंधो का विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है। नव वधू और दामाद पूर्व में विवाहित बेटी दामाद तथा उनके ससुराल पक्ष को विशेष रूप से आमंत्रित करते है ।यह त्यौहार लगभग तीन दिनों तक चलता है ।मुख्य रूप से प्रथम दिवस पूजा पाठ और सामाजिक आवभगत तथा आतिथ्य सत्कार का होता है। तथा दूसरा दिन बासी तिहार अर्थात मौज मस्ती खाने पीने आनंद का दिन,और तीसरा दिन उल्लासपूर्ण वातावरण में  मिलने का दिन होता है। समाज के युवक युवतियां सामूहिक रूप से खुशी से नाचते अपने,पारम्परिक गीतों को गाते हुए झूम पड़ते हैं ।

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