लोकेशन–बालोद:
रिपोर्टर- संजय कुमार
बालोद जिले के एजुकेशन हब कहलाने वाले मालीघोरी में इन दिनों हो रहे अवैध शराब के कारोबार की चर्चा का बाजार भी गर्म है , एक ओर जहां प्रशासन अवैध शराब कारोबार पर सकती लाने में जुटा है वहीं बालोद से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम मालीघोरी में जहां पर पूरे जिले को गौरवान्वित करने वाला नवोदय विद्यालय, जिले का एक मात्र पालीटेक्निक कालेज संचालित हैं, उसी से लगे खाली मैदान में खुले में चलती फिरती मधुशाला भी प्रचलित है, पुलिस प्रशासन की कार्रवाही पर सवालिया निशान लगाने वाले इन अवैध शराब कारोबारियों के हौसले इतने बुलंद है कि, इन्हें अब किसी का भी भय नहीं है मानो सब इनकी जेब में है, प्रशासन की खानापूर्ति कार्यवाहियों के लिए इन्होंने अपने छोटे गुर्गे पाल रखे हैं जिन्हें सामने रख कर फिर से अवैध शराब कारोबार का संचालन चालू रखते हैं, और पुलिस प्रशासन भी इन छोटी मछलियों को पकड कर किसी बड़े शार्क को पकडने का दावा करते हुए अपने मुँह मिया मिट्ठू बनने का खिताब लेती नज़र आती है और अपनी पीठ खुद थपथपाने में लगी हुयी है, जिस अवैध कारोबार की जानकारी पूरे गाव के बच्चों बच्चों के जुबान पर है उस की जानकारी से प्रशासन अंजान है, अखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है? ये सोचने पर मजबूर करता है खैर पब्लिक है सब जानती है ,सूत्रों की माने तो ये पूरी शराब की खेप दिन में तीन से चार बार जाती है और इसका परिवहन कोतवाली थाने से महज कुछ मिनटों की दूरी पर स्थित शराब के ठेके से होता है अब भला इन अवैध कारोबारियो को कौन सी संज्ञा दी जाए जो आंख के नीचे से काजल चुराने में माहिर हैं, या फिर बिल्ली ही आंख बंद कर के दूध पीने में मस्त है, नाम ना छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने कहा हम लोग ग्रामीण स्तर पर भी विचार कर रहे हैं कि ऐसे लोगों पर कार्यवाही कर गाव से बाहर किया जा सके, लेकिन इन अवैध शराब कारोबारियो के हौसले इतने बुलंद है कि पैसों के दम पर अपने किसी गुर्गे को खड़ा कर स्वय बाहर रहकर अपना अवैध कारोबार चलाते हैं, कहने को तो जिले मे आबकारी विभाग भी है, पर लगता है कि आबकारी विभाग खुद अपना पता तलाशने में व्यस्त हैं, जाने कब इनकी कुंभकर्ण की नींद खुले या फिर लक्ष्मी जी की हो रही कृपा से संतुष्ट है, जो ऐसे लोगों पर कृपा बनाए हुए है!
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