Ticker

6/recent/ticker-posts

Gariyaband: आखिर संविदा नियुक्ति का विरोध क्यों? क्यों वनकर्मी आंदोलन की राह पर?

आखिर संविदा नियुक्ति का विरोध क्यों? क्यों वनकर्मी आंदोलन की राह पर?


*एक फरवरी को आंदोलन पर चले गये तो फिर से जंगल होगा असुरक्षित



गरियाबंद --छग वन कर्मचारी संघ ने प्रांतीय बैठक में निर्णय लिया है सरकार उप वनपाल से संविदा भर्ती  ना करें किये तो आंदोलन की राह पर चले जायेंगे । प्रांतीय बैठक छग वन कर्मचारी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संरक्षक सतीश मिश्रा,प्रांतीय अध्यक्ष मूलचंद शर्मा, प्रांतीय संरक्षक फैयाज खान और एच बी शास्त्री प्रदेश उपाध्यक्ष सुजीत रंगारी के उपस्थिति में सम्पन्न हुआ तो वहीं इस बैठक में गरियाबंद के जिला अध्यक्ष डोमार कश्यप और सचिव दिनेश पात्र सहित सभी जिला के पदाधिकारी उपस्थित थे।


*संविदा भर्ती से वनकर्मीयो को कितना नुकसान होगा*


 लघु वनोपज में उप वनक्षेत्रपाल के लिये जिन 180 पदों को भरे जाने थे उसमें यदि संविदा भर्ती  वनपाल को लिया जाता है  तो इसका असर वनपाल के पदोन्नति पर होगा और पदोन्नति रूक जाने से सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी के पदोन्नति के लिये उनको आठ से दस साल इंतजार करना होगा।वहीं जो उप वनपाल सेवानिवृत अवधि के करीब है उनको भी पदोन्नति का लाभ नहीं मिलेगा।


*समझौता पर अमल नहीं नयी सरकार पर आस बंधा*


वर्ष 2009 के हड़ताल अवधी में सरकार और वन कर्मचारी संघ के बीच समझौता हुआ था जिसमें लघु वनोपज के 180 पदों को उप क्षेत्र वनपाल के लिये स्वीकृत किया गया था इसमें वनपाल को सीधे भर्ती ना कर पहले इन्हें उप वनक्षेत्रपाल में पदोन्नत कर प्रतिनियुक्ति करने पर समझौता किया गया था पर ऐसा नहीं हुआ पिछली सरकार ने ही समझौता को बदल दिया और वनपाल को ही लघु वनोपज में संविदा भर्ती करने का आदेश जारी कर दिया है वन कर्मचारी संघ की मांग है कि  वनपाल को पहले उपवनक्षेत्र पाल पर पदोन्नति मिले फिर लघु वनोपज के लिये प्रतिनियुक्ति हो।


*संविदा भर्ती प्रकिया नहीं बदले गये तो आंदोलन और लघु वनोपज के सभी कार्यों का विरोध करेंगे*


गरियाबंद जिला के अध्यक्ष डोमार कश्यप और सचिव दिनेश पात्र ने एक संयुक्त वार्ता में बताया संविदा भर्ती पर प्रांतीय निर्णय के अनुसार  यदि नियमों को नहीं बदला गया या वन कर्मचारीयों की मांग नहीं मानी गयी तो वन विभाग का पुरा अमला एक फरवरी से आंदोलन पर चले जायेंगे और लघु वनोपज के सभी कार्यों में अपनी सहभागी भी नहीं बनेंगे।


*आंदोलन पर गये तो असर कार्यालय से जंगल में दिखेगा*


यदि वन विभाग का पुरा अमला आंदोलन पर चला गया तो कार्यालयीन कार्य तो बाधित होगा ही साथ जंगल की कटाई और जंगली जानवरों के शिकार पर गहरा असर पड़ेगा। वर्ष 2009 में जब वन कर्मचारी हड़ताल पर थे तब कई वन जले और कई वन्य प्राणी का मौत हो गया या शिकार हो गया।

Post a Comment

0 Comments

Balod:  सेवानिवृत्त व्यायाम शिक्षक का सस्मामान विदाई।
Balod:  बालोद पुलिस ने 02 दिवस में जुआ खेलते 15 आरोपियों को किया गिरफ्तार।
Bilaspur:  फोटोबाजी के लिए पार्षद का खिलवाड़, मगरमच्छ के पीठ पर बैठ थाम ली लगाम  बिलासपुर रतनपुर सोशल मीडिया पर धाक जमाने और हवाबाजी करने के लिए रतनपुर का एक पार्षद ने एक विशालकाय मगरमच्छ के पीठ पर बैठ फोटो खिचवाने के लिए उस  मगरमच्छ पर बंधे रस्सी को घोड़े की लगाम की तरह थाम ली। उनकी देखा सीखी अब नगर के कई युवा और बच्चे भी इस तरह की हरकत कर अपनी जान जोखिम में डाल सकते हैं। ये महाशय है रतनपुर नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद हकीम मोहम्मद, एक जन प्रतिनिधि होने के कारण उन्हे इस तरह की खतरनाक फोटो बाजी को रोकना चाहिए और लोगो को जागरूक करना चाहिए जबकि वो खुद इस तरह की स्टंटबाजी को बढ़ावा दे रहे  दरसल रतनपुर के वार्ड क्रमांक 5 रानीपारा में स्थित बिकमा तालाब जिससे लगा हुआ खेत में  था मगरमच्छ मोहल्ले के कुछ लोग सुबह उठ कर निकले खेत की ओर जहां खेत में घूमता हुआ दिखा  मगरमच्छ जिसे देख होश उड़ गय चीख पुकार सुन कर पूरे मोहल्ले हो गय एकत्रित सभी ने हिम्मत जुटा कर किसी भी तरह बांध कर वन विभाग को दी सूचना सूचना मिलते ही वन विभाग अधिकारी पहुंचे टीम के साथ पहुंचकर खुटा घाट में छोड़ा गयापर वहा देखी गई लापरवाही रतनपुर नगर पालिका के जनप्रतिनिधि वार्ड क्रमांक 12 के भाजपा पार्षद हकीम मोहम्मद के द्वारा ऐसे खिलवाड़ किया जा रहा है ।जिसकी वीडियो फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है क्या एक जनप्रतिनिधि होते हुए ऐसी हरकत कीया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है। अब देखना है कि सरकार द्वारा इस लापरवाही के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे