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Gariyaband: उठाव में देरी तो खरीदे धान में आ रहा सुखत आखिर नुकसान का जिम्मेदार कौन*?

*उठाव में देरी तो खरीदे धान में आ रहा सुखत आखिर नुकसान का जिम्मेदार कौन*?


रिपोर्ट --जयविलास शर्मा


*प्रत्येक समिति को 70 से 80 क्विंटल का नुक़सान



गरियाबंद --छग सरकार की कृषि हितकारी योजना धान खरीदी में उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से समितियां धान खरीदती है इस वर्ष भी गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लाक के उपार्जन केन्द्रों में जमकर खरीदी हुयी,खरीदी 14 नवम्बर से 6 फरवरी तक हुयी शासन का नियम था ट्रांसपोर्टर को समिति द्वारा खरीदे धान को 72 घंटे के भीतर उठाव करना था मगर समय पर उठाव नहीं हुआ और समितियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।तौले धान में समितियों को भारी सुखती का मार झेलना पड रहा है।


*अब तक 4 समितियों के 6 केन्द्रो में 40 क्विंटल से अधिक धान का उठाव बाकि*


देवभोग ब्लाक में देवभोग, लाटापारा, निष्टीगुडा, झाखरपारा चार समितियों के अंदर में 10 उपार्जन केन्द्र 20 हजार से अधिक किसानों से धान की खरीदी करते हैं अगर हम उठाव की बात करें तो देवभोग केन्द्र में 80 हजार की खरीदी में 7 हजार क्विंटल उठाव के लिये बाकि है तो वही सीनापाली केन्द्र में 44 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुयी जिसमें 4 हजार क्विंटल का उठाव नहीं हो सका है वहीं लाटापारा 70 हजार क्विंटल में 7 हजार उठाव शेष, दिवानमुडा 90 हजार में 11 हजार क्विंटल शेष, निष्टीगुडा में साढ़े ग्यारह हजार में पांच हजार शेष है और खरीदी केंद्र घुमरगुडा में 34 हजार 5 सौ क्विंटल धान खरीदी में 5 हजार आठ सौ क्विंटल उठाव के लिये शेष है।



*चुहो के दावत में चला गया दस क्विंटल धान समितियों को 3 लाख का नुक़सान*


खरीदी केन्द्रों में धान का उठाव नहीं होने से उपार्जन केन्द्रों में खुला पड़ा है ऐसे में चुहों की बल्ले बल्ले हो गया है अगर हम नुकसान की बात करें तो देवभोग ब्लाक के केन्द्रो में 10 क्विंटल धान चुहों के दावत में चला गया।और इससे समितियों को लगभग 3 लाख का नुक़सान हुआ है इसकी भरपाई को लेकर भी समिति प्रबंधन को चिंता है। आखिर ये सवाल खड़ा हो रहा है ट्रांसपोर्टर द्वारा उठाव नहीं करने से हुए नुकसान का जिम्मेदार कौन?



*कई खरीदी केन्द्रों में शेड नहीं खुले आसमान जमीन पर पड़े हैं धान*


राज्य सरकार ने किसानों की मांग पर जगह जगह उपार्जन केन्द्र खोल‌ दिये उनके रख रखाव के लिये ना शेड बनाये गये है ना ही बचाव के कोई और प्रबंध किये गये है ऐसे में किसानों से खरीदें गये धान खुले आसमान में जमीन पर पड़े हैं जिससे मौसम के बदलते मिजाज और दीमक का खतरा बना हुआ है इस बात को लेकर भी समितियां चिंता में हैं।


*उठाव में हुयी देरी से हुये नुकसान का जिम्मेदार कौन?*


ब्लाक भर में झाखरपारा, खोकसरा को छोड़कर बाकी के 9 केन्द्रो में बम्फर लिमिट में खरीदी सम्पन्न हुई सरकारी नियम के अनुसार ट्रांसपोर्टर को खरीदें गये धान का उठाव खरीदी के 72 घंटों में उठाव करना था।उठाव में देरी हुआ तो प्रत्येक केन्द्रों में चुहों से नुकसान को मिलाकर 70 से 80 क्विंटल का नुक़सान हुआ है इस प्रकार प्रत्येक केन्द्र को 2लाख 17हजार का नुक़सान हुआ है और समिति की बात करें तो एक समिति के अंदर दो या तीन केन्द्र आते हैं समिति को हुये नुकसान को देखें तो ब्लाक के एक एक समिति को 6से 7 लाख का नुक़सान हुआ है आखिर समिति को हुये इस भारी भरकम नुकसान की भरपाई कौन करेगा?

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